शिमला।प्रदेश की जयराम सरकार की एक और कारगुजारी का प्रदेश उच्च न्यायालय के ताजा फैसले से भंडाफोड हो गया है और आनी नगर पंचायत को बनाने को लेकर जारी की गई अधिसूचना को रदद कर दिया है। अदालत ने कहा है कि सुनवाई के दौरान दस्तावेजों का अवलोकन करने पर पाया गया कि नगर पंचायत को सृजित करने के लिए सरकार की ओर से उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया और जो अतिरिक्त इलाके इसमें शामिल किए गए उसमें प्रदेश नगर निगम अधिनियम की उल्लंघना की गई।
खंडपीठ ने कहा कि राज्य सरकार को नगर निगम अधिनियम के तहत जहां भी नए इलाकों को निगम में मिलाना प्रस्तावित हो इस बावत उसे अधिसूचना जारी करनी होती हैंु इस अधिसूचना में शामिल किए जाने वाले इलाकों की सीमा का जिक्र होता हैं।अगर और इलाके शामिल करने हैं तो इसके लिए कानून के तहत बनी प्रक्रिया का सरकार को पालन करना होता हैं।
अदालत ने कहा कि इस बावत प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था और आनी नगर पंचायत के सृजन को लेकर 27 अक्तूबर 2020 को जारी अधिसूचना का रदद किया जाता हैं।
यह आदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायामूर्ति तिरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति वीरेंद्र सिंह ने आनी तहसील के कई गांवों के लोगों की ओर से दायर याचिका का निपटारा करते हुए दिए। यह ग्रामीण इस नगर पंचायत के सृजन से प्रभावित हो रहे थे।
इन ग्रामीणों ने इल्जाम लगाया था कि ग्राम पंचायत बखनाओ, आनी, कराना, कुंगस और नमहोग गावों को पंचायत से बाहर निकाल कर नगर पंचायत आनी का गैर कानूनी तरीके से सृजन किया गया। यही नहीं कुल्लू के जिला उपायुक्त ने किसी भी पंचायत से किसी भी तरह के प्रस्ताव के बगैर अपने स्तर पर नगर पंचायत आनी के सृजन को लेकर निदेशक शहरी विकास को सिफारिश भेज दी।
इसके बाद निदेशक शहरी विकास ने 20 अगस्त 2020 को एक अधिसूचना जारी कर दी कि इन गावों को मिलाकर नगर पंचायत निरमंड का सृजन करने का प्रस्ताव हैं। हालांकि अधिसूचना के आखिर में यह लिखा गया कि नगर पंचायत आनी बनाई जाएंगी।
इस अधिसूचना के बाद छह सप्ताह में आपतियां व सुझाव मांगे गए व दर्जनों आपतियां दर्ज की गई लेकिन किसी पर विचार नहीं किया गया और 27 अक्तूबर 2020 का आनी नगर पंचायत के सृजन को लेकर अधिसूचना जारी कर दी गई। यह सब कायदे कानूनों को ठेंगे पर रख कर किया गया
हालांकि सरकार ने ग्रामीणों की इन दलीलों का विरोध किया लेकिन अदालत ने सरकार की दलीलों को दरकिनार कर दिया।
याद रहे इससे पहले शिमला नगर निगम के चुनावों से पहले निगम के वार्डों को सीमांकन को लेकर भी प्रदेश उच्च न्यायालय ने सरकार की कारगुजारी का भंडाफोड किया था। इन्ळीं कारगुजारियों की वजह से शिमला नगर निगम के चुनाव नहीं हो पाए थे जबकि नगर निगम की अवधि 18 जून को समाप्त हो गई थी।
अब धीरे –धीरे जयराम सरकार की कारगुजारियों का भंडाफोड होने लगा हैं और ऊपर से चुनाव आ गए हैं।
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