शिमला। प्रदेश की जयराम सरकार ने अपने ने आज प्रदेश में विधानसभा चुनावों की घोषणा के दिन प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश चंदर भूषण बारोवालिया को प्रदेश का नया लोकायुक्त नियुक्त कर दिया है। प्रधान सचिव गृह ने आज जस्टिस बारोवालिया की नियुक्ति की घोषणा कर दी।
बारोवालिया अगले साल यानी मार्च 2023 में प्रदेश उच्च न्यायालय से सेवानिवृत होने हैं। अब जयराम सरकार ने उन्हें अपने सक्रिय कार्याकाल के आखिरी दिन क्यों नियुक्त किया यह जानना दिलचस्प हो गया है।
सरकार उन्हें एक सप्ताह पहले भी नियुक्त कर सकती थी। लेकिन जयराम सरकार ने ऐसा नहीं किया । अब इस मसले को लेकर जाहिर तौर पर सवाल तो उठेंगे ही।
अधिसूचना में कहा गया है कि वह अपने पद की शपथ उच्च न्यायालय से इस्तीफा देने व इस्तीफे के मंजूर होने के बाद लेंगे ।जस्टिस बारोवालिया बतौर न्यायाधीश मार्च 2023 में सेवानिवृत होने थे।
नहीं बन पाया कोई मुख्य सूचना आयुक्त
उधर जयराम सकरार ने पिछले तीन महीने से भी समय से खाली पडी मुख्य सूचना आयुक्त के कुर्सी पर किसी को नहीं बिठाया। शुरू में इस कुर्सी पर मौजूदा मुख्य सचिव आर डी धीमान को बिठाने कीअटकलें चली थी। लेकिन अचानक वह मुख्य सचिव बन गए। फिर लगा की जिन राम सुभग सिंह को मुख्य सचिव के पद से हटा कर धीमान को मुख्य सचिव बनाया गया है, उन्हें मुख्य सूचना आयुक्त बनाया जाएगा। लेकिन जयराम सरकार ने ऐसा कुछ नहीं किया । सचिवालय से जुडे सूत्रों के मुताबिक धीमान इस कुर्सी पर बैठने के चाहवान थे। वह दिसंबर में मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत हो जाएंंगे।लेकिन जयराम सरकार के सामने नया मुख्यसचिव किसे बनाया जाए यह आडे आ गया। पहले ही धीमान से तीन-तीन वरिष्ठ अधिकारी जयराम सरकार से खार खाए हुए है। राम सुभाग सिंह, निशा सिंह और संजय गुप्ता जो धीमान से वरिष्ठ थे को सरकार ने सलाहकार बनाया हुआ है।
हालांकि जयराम चाहते थे 1990 बैच के आइएएस अधिकाारप्रबोध सक्सेना का मुख्य सचिव बना दिया जाए लेकिन ऐसा नहीं किया जा सका और मुख्य सूचना आयुक्त की कुर्सी खाली रह गई। अब संभवत- अगली सरकार ही अपने किसी चहेते अधिकारी को इस पद पर बिठाएगी।
राज्य खादय आयोग के अध्यक्ष का पद भी खाली
उधर राज्य खादय आयोग के अध्यक्ष का पद भी खाली ही रह गया है। जयराम सरकार इस पद पर भी किसी की नियुक्ति नहीं कर पाई । अध्ध्यक्ष के पद का कार्यभार आयोग के सदस्य रमेश गंगोत्रा देख रहे है। पिछले दिनों उनने आोग के सचिव पर एफआइआर दर्ज करा दी थी। उसके बाद आयोग के सचिव ने भी उन पर अदालत के जरिए एफआइआर दर्ज करा रखी हैै।दोनों ने एक दूसरे पर जातिसूचक शब्द बोलने और मारपीट के इल्जाम लगा रखे हैं।
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