शिमला। जिस केंद्रीय मंत्री के मंत्रालय की करतूतों के चलते प्रदेश के पहाड़ दरक गए और भारी बारिश से तबाही मच गई आश्चर्यजनक तौर पर प्रदेश की भाजपा उसी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी का महिमामंडन करने में जुट गई हैं।
आज भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष राजीव बिंदल खुद मैदान में उतर आए और गडकरी के कुल्लू मनाली के दौरे का लेकर उनका खूब महिमंडन करने लगे। बिंदल से पहले नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर भी इस बावत गडकरी का महिमामंडन कर चुके हैं। जबकि गडकरी के मंत्रालय के तहत एनएचएआइ के जिम्मेदार अधिकारियोंऔर ठेकदारों पर अब तक गाज गिर जानी चाहिए थी लेकिन बड़ी चालाकी से सब कुछ को हवा करने की बुनत गढ़ी जा रही हैं। यही नहीं जिस स्तर का नुकसान हुआ है उसके लिए तो गडकरी भी जिम्मेदार ठहरा कर अब तक उनसे मंत्रालय छीन लिया जाना था।लेकिन मोदी सरकार में ऐसी कोई परंपरा ही नहीं हैं।
। प्रदेश भाजपा बिंदल राजधानी में आज गडकरी के दौरे को लेकर मीडिया ये रूबरू हुए और बोले की प्रदेश में भारी तबाही मची हैं और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी खुद हिमाचल चले आए। उन्होंने कहा कि गडकरी ने तबाह हुए सभी एन एच और फोरलेंस को केंद्र की ओर से ठीक करने का भरोसा दिया हैं। यह बहुत बड़ी बात हैं। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि तबाह हुए सभी एनएच और फोरलेंस केंद्र के सड़क परिवहन मंत्रालय के अधीन आते हैं, ऐसे में क्या इतने बड़े नुकसान का जायजा लेने के लिए गडकरी का प्रदेश का दौरा करना उनकी नैतिक जिम्मेदारी नहीं थी। बिंदल ने कहा कि इसकी प्रशंसा होनी चाहिए लेकिन प्रदेश सरकार ने आभार का एक भी लफज नहीं बोला हैं। बिंदल गडकरी के दौरे का ऐसा महिमामंडन करने लगे जैसे गडकरी ने एन एच जो उनके मंत्रालय के अधीन है की तबाही का जायजा लेकर हिमाचल की जनता पर एहसान कर दिया हो ।
प्रदेश के पहाड़ क्या फोरलेंस और एनएच के निर्माण में बरती जा रही कोताही की वजह से दरक रहे हैं इस बावत बिंदल ने कोई जवाब नहीं दिया। पत्रकारों ने उनसे शिमला परवाणु फोरलेन पर चक्की मोड़ पर बीते रोज हुए भूस्ख्लन के संदर्भ में सवाल किया था। एनएचएआइ की गैर पेशेगत और अवैज्ञानिक खुदाई की वजह से परवाणु से लेकर शिमला तक एक अरसे से पहाड़ दरक रहे हैं। इसी तरह का मंजर मंडी से मनाली तक भी साफ नजर आ रहा हैं।
गौरतलब हो कि बारिश की वजह से प्रदेश में मची भारी तबाही के लिए एनएच व फोरलेन में बरती गई पेशेगत चूकों को जिम्मेदार ठहराया जा रहा हैं। पहाड़ों को बेदर्दी से काटा गया हैं। डंपिग पर तो प्रदेश हाईकोर्ट तक फटकारें लगा चुका हैं। पर्यावरणीय पहलुओं को सरेआम नजरअंदाज किया गया हैं। इस बावत न तो बिंदल और न ही कांग्रेस सरकार की ओर से जुबान खोली जा रहा हैं। केवल राहत के पैसे और तबाह हुए एन एच और फोरलेंस को ठीक करने की बात कर आपराधिक कोताही को नजरअंदाज करने का षडयंत्र रचा जा रहा हैं।
यह सबको को पता है की राहत का पैसा और पुनर्निमाण जनता के पैसों के दम पर होगा लेकिन पहाड़ों को बेदर्दी से खोखला करने के लिए जिम्मेदार कौन है उन्हें कटघरे में खड़ा करने पर सब खामोश हैं। जबकि कायदे से जवाबदेही तो उनकी ही तय होनी चाहिए।
लेकिन ऐसी जिम्मेदारी तय करने के दौरान देश की बड़ी हस्तियां, ठेकेदार, इंजीनियर से लेकर गडकरी तक खुद कटघरे में आ जाएंगे। यह गडकरी भी जानते है और बिंदल भी। इसीलिए संभवत गडकरी से लेकर बिंदल तक सभी तबाही के मंजर को दूसरा मोड़ देने में जुटे हैं। देश व प्रदेश में यह नया चलन चल पड़ा है जवाबदेही को मुआवजे की आंच में पकाकर उसे हवा कर दो।
लेकिन जवाबदेही की बावत शिमला परवाणु फोरलेन पर बारिश से मच रही तबाही पर वामपंथी नेता व शिमला के पूर्व महापौर टिकेंद्र पवंर ने एमआइआर दर्ज करा ही दी है । सभवंत: वह अब मनाली –कुल्लू में मच रही तबाही पर मामला दर्ज करने जा रहे हैं।
मीडिया से रूबरू हुए बिंदल ने इसके अलावा सुक्खू सरकार में मंत्रियों के बीच तालमेल न होने पर सरकार बदलने को लेकर भी टिप्पणी की लेकिन जब पूछा गया कि अगर भाजपा सरकार बना पाती है मुख्यमंत्री राजीव बिंदल होंगे या जयराम ठाकुर या कोई और। बिंदल जवाब टाल गए।
। प्रदेश में मची तबाही की एवज में प्रदेश भाजपा केंद्र से कितने करोड़ के पैकेज की मांग करती है।वह इस सवाल को भी टाल गए।
उन्होंने आपदा से प्रभावित लोगों को राहत राशि में भेदभाव बरतने के जरूर इल्जाम लगाए । साथ ही उपरी शिमला में सेब नालों में फेंकने का मसला भी उठाया। इन दावों को लेकर पहले ही संदेह जताए जा चुके हैं।
(17)