शिमला। प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डाक्टर यशवंत सिंह परमार की ओर से प्रदेश में स्थापित पहली यूनिवर्सिटी को उनके बाद सता संभालने वाले सभी मुख्यमंत्रियों जिनमें रामलाल, शांताकुमार, प्रेम कुमार धूमल और मौजूदा मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह शामिल है ने तबाह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आज आलम ये है कि सरकार ने इस विवि को एक दुकान बना कर छोड़ दिया है। इस साल तो स्थिति ये हो गई ग्रेजुएशन के फाइनल इयर के परिणाम बाद में आए और एमए व बाकी के कोर्सों में दाखिले पहले हो गए। दुनिया में ऐसा कहीं हुआ है तो वो प्रदेश विवि में इस साल हुआ है।
विवि में एमए व बाकी कोर्सों के लिए मैरिट फाइनल इयर के अंक जोड़ने के बाद बनती है। विवि का कहना है कांफेडैंशियल रिजल्ट विभागों को भेज दिया था। ये कांफेडैंशियल रिजल्ट क्या होता है ये किसी को पता नहीं है। ये पहली बार हुआ कि जब छात्रों की एडमिशन हुई तो उनके पास फाइनल इयर का सर्टिफिकेट तो दूर रिजल्ट तक नहीं था। सरेआम व्यापमं हो गया और विवि के वाइस चांसलर स्थापना दिवस मनाने में लगे हैं और मुख्य अतिथि बनाने के लिए कोई स्कॉलर नहीं मिला तो पहले दिन मुख्यमंत्री की बीवी प्रतिभा सिंह को बुला लिया वदूसरे दिन खुद मुख्यमंत्री को बुला लिया। अपने राजनीतिक संपर्कों व उन्हें भूनाने के लिए मशहूर विवि के वाइस चांसलर विवि में हाईकोर्ट के आदेशों के बावजूद भर्ती नहीं कर रहे है। बताते है कि मुख्यमंत्री कार्यालय, मुख्यमंत्री, व उनके लाडले कुछ नहीं होने दे रहे है। शिक्षा विभाग मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के पास है व ये उनकी जिम्मेदारी है कि प्रदेश के विवि में टीचर हो वो सारे मेरिटोरियस हो।
विवि में आज अध्यापकों की संख्या चौंकाने वाली है और वाइस चांसलर गेस्ट टीचरों के सहारे विवि को चलाने का जुमला प्रदेश की जनता के बीच फेंक रहे हैं।
प्रदेश विवि के रिकार्ड के मुताबिक विवि में अध्यापकों के 401 पद मंजूर है जिनमें से केवल 160 अध्यापक ही विवि में तैनात है बाकी पद खाली है। यानि की 60 प्रतिशत से ज्यादा पद खाली है।
विभाग वार ब्योरा तो और भी भयावह है। विवि के हिंदी विभाग में 88.89 प्रतिशत अध्यापकों के पद खाली है। सोशलॉजी में 85.71, राजनीतिक शास्त्र में 80 प्रतिशत, संस्कृत और इकॉनामिक्स में 75 प्रतिशत, लॉ व शारीरिक शिक्षा में 70.59, बॉयोसाइंस में 70 प्रतिशत पद खाली है। उधर, अंग्रेजी विभाग में आठ पद मंजूर है जिनमें से विवि में केवल तीन ही अध्यापक है। राजनीतिक शास्त्र में 10 अध्यापकों में से दो ही है। संस्कृत में आठ में से 2 ही है और हिंदी में तो स्थिति और भी खराब है। यहां पर 9 पदों में से केवल एक ही भरा हुआ है। बाकी सारे खाली है। इसी तरह सोशलॉजी में 7 पदों में से एक पद भरा है। बॉयो साइसेंज में की स्थिति भी दयनीय है। यहां पर 20 पदों में से सात ही भरे है, बाकी खाली है।
तीन विभागों सोशल वर्क, योगा स्टडी और अडल्ट एजुकेशन में एक भी अध्यापक नहीं है। मजे की बात है कि मुख्यमंत्री पिछले करीब तीन सालों से खामोश है। विवि में राज्यपाल का दखल भी होता है। विवि के चांसलर वही होते है। मौजूदा राज्यपाल कल्याण सिंह से पहले हिमाचल की राज्यपाल कांग्रेस नेत्री उर्मिला सिंह थी। अब कल्याण सिंह है, जो भाजपा नेताओं की अर्जियों पर तुरंत संज्ञान लेते है। लेकिन विवि, जिसके वो चांसलर है उसकी स्थिति उन्हें पता भी नहीं है। ये स्थिति एक दिन में पैदा नहीं हुई है। छठी बार मुख्यमंत्री बने वीरभद्र सिंह व दो बार मुख्यमंत्री रहे प्रेम कुमार धूमल के समय से ये स्थिति चलती रही। इन दोनों की ये जिम्मेदारी थी कि प्रदेश विवि को संभाले। शांताकुमार भी अढाई साल के लिए ही सता में रहे थे। लेकिन व 1990 के दशक में रहे ।
ये विवि का एक पक्ष है। दूसरा पक्ष इससे भी ज्यादा भयानक है। विवि में स्कॉलरों की जगह नेताओं की बीवियां भर्ती हो गई या फिर प्रदेश में रहे मुख्यमंत्रियों के चाहने वालों पर सौगातें बरसीं। कई राज्यपालों ने भी अपने चहेते विवि में फिट करा दिए। एक मुख्यमंत्री ऐसे रहे जिनके डाक्टर की बीवी तक को नौकरी मिली। एबीवीपी व एनएसयूआई के पदाधिकारियों में से कोई चोर दरवाजे से तो कोई सीधे तौर पर विवि में अध्यापक बन गए। गलती से एक -आध वामपंथी भी अंदर हो गया। ये सिलसिला आज भी जारी है। कांग्रेस ने अपना कैडर, तो भाजपा ने आरएसएस के लोगों को विवि में अंदर पहुंचा दिया। किसी भी पार्टी व मुख्यमंत्री ने अकादमिक क्लास को विवि में नहीं आने दिया। पिछले 45 सालों से विवि में व्यापमं –व्यापमं होता रहा है।
ऐसा नहीं है कि इस व्यापमं के खिलाफ कभी आवाज न उठी हो। विवि की स्थापना के बिलकुल बाद सबसे पहले आवाज उठाने वालों में आज के भाजपा के वरिष्ठ नेता शांता कुमार शुमार रहे। लेकिन कुछ समय बाद वो खामोश हो गए। विवि के मामले में वो तब से लेकर अब तक खामोश ही है। जबकि उनके सामने –सामने भाजपा व कांग्रेस के नेताओं की बीवियां विवि में भर्ती हो गई। कई जांचे भी बैठी लेकिन कहीं कुछ नहीं निकला। सब ठीक- ठाक मिला। हालांकि ये हैरानजनक है।
छात्र संगठनों के बैनर तले छात्रों का तो ऐसा एक भी साल नहीं गया है जब उन्होंने विवि में भर्तियों में चहेतों को न उठाया हो धूमल व वीरभद्र सिंह की पुलिस ने लाठियां न बरसाई हों। ऐसा नहीं है कि विवि की हालात का अंदाजा केंद्र की मोदी सरकार व प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार को नहीं है।मोदी सरकार में स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नडडा तो अपने जमाने में विवि में एबीवीपी के नेता रहे हैं और वो उन छात्र नेताओं में शुमार रहे है जो वीसी की कुर्सी पर बैठकर हंगामा करते थे। इनकी पत्नी आज विवि में अध्यापक है। बेशक इक्डोल में हैं। समझा जा सकता है कि वो नडडा को विवि की स्थिति से अवगत कराती होंगी। इसके अलावा प्रदेश के उदयोग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री भी विवि में अध्यापक है। ऐसे में मोदी और वीरभद्र सरकारों को विवि की स्थिति का जरूर पता होगा। वीरभद्र सिंह के तो कई लाडले विवि में तैनात है। बावजूद इसके आज 45 सालों के बाद विवि गेस्ट टीचरों के सहारे आ गई। ये अब तक सता में रहे मुख्यमंत्रियों की नालायकी नहीं तो और क्या है। विवि में शिक्षा का स्तर क्या है, ये किसी से छिपा नहीं है। पिछले दिनों अकादमिक स्टाफ कॉलेज में चले रेफशर्स कोर्स के दौरान शिक्षा के स्तर का मामला उठा भी। एक टीचर ने कहा कि विवि के टॉप के50 प्रोफेसरों की रिसर्च को उठा कर उसकी आनलाइन सॉफ्टवेयर पर जांच की जाए तो पता चल जाएगा कि कौन सी सामाग्री कहां से उठाई गई है।
इस कोर्स के आखिरी दिन पर वाइस चांसलर की और से अनौपचारिक तौर पर बोले गए आशिकाना फिकरे किस स्तर पर रखे जाएगें ये तो यहां कोर्स करने आए टीचर की बता सकते है।ऐसे में स्थापना दिवस पर जश्न मनाना और तालियां पीटने से बेहतर है कि छातियां पीटी जाएं।मुख्यमंत्री भी और नेता प्रतिपक्ष भी खुद को इसमें शामिल करे तो बेहतर होगा।
जून के बाद विवि में टीचिंग स्टाफ की कितनी भयावह स्थिति है,ये नीचे दिए बॉक्स से समझा जा सकता है।
Departments | Sanctioned post | Position | %vacancy | |
1 | English | 8 | 3 | 62.5 |
2 | Pol.Sc | 10 | 2 | 80 |
3 | Sanskrit | 8 | 2 | 75 |
4 | Hindi | 9 | 1 | 88.89 |
5 | Chemistry | 21 | 8 | 61.9 |
6 | Bio-Sc | 20 | 7 | 70 |
7 | Physics | 15 | 6 | 60 |
8 | Institute of MGT studies | 19 | 8 | 57.89 |
9 | Law | 17 | 5 | 70.59 |
10 | History | 9 | 3 | 66.67 |
11 | Psychology | 9 | 5 | 44.44 |
12 | Public Administration | 6 | 4 | 33.33 |
13 | Economics | 12 | 3 | 75 |
14 | Mathematics | 14 | 7 | 50 |
15 | Commerce | 10 | 6 | 40 |
16 | Education | 16 | 8 | 50 |
17 | Pref Arts | 8 | 3 | 62.5 |
18 | Visual Arts | 2 | 1 | 50 |
19 | Geography | 6 | 3 | 50 |
20 | Foreign Language | 4 | 3 | 25 |
21 | Journalism and Mass Comm. | 4 | 2 | 50 |
22 | Computer Sc | 10 | 7 | 30 |
23 | Sociology | 7 | 1 | 85.71 |
24 | Social Work | 3 | Nil | 100 |
25 | Yoga Studies | 4 | Nil | 100 |
26 | Bhoti Language | 2 | 1 | 50 |
27 | MTA | 4 | 4 | 0 |
28 | Academic staff college | 3 | 1 | 66.67 |
29 | Bio Tech | 8 | 5 | 37.5 |
30 | Physical Education | 17 | 5 | 70.59 |
31 | ICDEOL | 61 | 21 | 65.57 |
32 | RC/ Dharamsala | 19 | 12 | 36.84 |
33 | HPUCES | 32 | 13 | 59.38 |
34 | Adult Education | 4 | Nil | 100 |
Total | 179 | 160 | 60.1 |
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