20 और 13 मिनट की कॉल का अदालत में दिया था हवाला
शिमला। हिमाचल काडर की 2010 बैच की महिला आइपीएस अधिकारी सौम्या सांबशिवन के कोटखाई पुलिस कस्टडी में मारे गए नेपाली सूरज की हत्या मामले में सीबीआइ की विशेष अदालत में दिए बयान के बाद आइजी जहूर हैदर जैदी की जमानत को अदालत ने रदद कर दिया था।
अदालत में IPS सौम्या सांबशिवन ने हवाला दिया था कि जैदी ने उसे कॉल कर बयान बदलने का दबाव बनाया था। इनमें से एक कॉल 20 मिनट की व दूसरी कॉल 13 मिनट की थी। इल्जाम थे कि इसके अलावा भी जैदी ने आइपीएस सौम्या को प्रभावित करने की कोशिश की थी। लेकिन उन्होंने अपना रुख कायम रखा और तमाम दबाावों को दरकिनार कर कानून का सहारा लिया।
ततकालीन एसपी शिमला सांबशिवन के बयान के बाद सीबीआइ ने स्पेशल कोर्ट में जैदी की जमानत रदद करनी अर्जी लगाई और अदालत ने उनकी जमानत रदद कर दी थी।
इसके बाद जैदी ने मई 2020 में पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन हाईकोर्ट ने सीबीआइ के स्पेशल कोर्ट का फैसला बहाल रखा। सौम्या सांबशिवन के बयान के बाद इस मामले ने नया मोड़ ले लिया था।
याद रहे गुडिया कांड के बाद शिमला के तत्कालीन एसपी डी डब्ल्यू नेगी को सीबीआइ ने 2017 के आखिर में गिरफतार कर लिया था।उसके बाद शिमला एसपी का जिम्मा आइपीएस सौम्या सांबशिवन को सौंपा गया था।
याद रहे गुडिया मामले की जांच के लिए गठित एसआइटी के मुखिया जैदी ही थी। इस मामले में पहले पकड़े गए छह आरोपियों में से जब पुलिस कस्टडी में नेपाली सूरज की मौत हो गई तो पुलिस ने उसके साथी राजू पर ही उसकी हत्या का इल्जाम लगाकर एफआइआर दर्ज कर दी।
पुलिस कस्टडी में हत्या हो जाने के बाद जैदी मौके पर गए थे। कायदे से जैदी को जिन पुलिस कर्मियों ने सूरज को पीटा था व उसकी हत्या कर दी थी उनके खिलाफ एफआइआर दर्जकर मुकदमा चलाना था। यही बड़ी चूक जैदी से हो गई थी। जैदी व बाकियों ने दोषी पुलिस कर्मियों को बचाने का काम किया।
बाद में सीबीआइ की जांच में सब कुछ जाली पाया गया और सीबीआइ ने शिमला पुलिस की ओर से पकड़ सभी छह आरोपियों को क्लीन चिट दे दी(इनमें से एक सूरज की हत्या हो गई थी) और जैदी समेत नौ पुलिस अफसरों व कर्मियों को कोटखाई थाने के संतरी के बयान को आधार बनाकर अरेस्ट कर लिया।इनमें ठियोग के तत्कालीन डीएसपी मनोज जोशी के अलावा शिमला के तत्कालीन एसपी डोंडुप वांग्याल नेगी भी शामिल थे।
हालांकि तत्कालीन एसपी डोंडुप वांग्याल नेगी एसआइटी में शामिल नहीं थे लेकिन वो तब प्रदेश पुलिस महकमे में सबसे ज्यादा ताकतवर अफसर थे। वह तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के बेहद करीबी थे।18 जनवरी को सीबीआइ अदालत चंडीगढ़ की ओर से सुनाए फैसले में नेगी को सभी आरोपों से बरी कर दिया है।
(140)