शिमला। कांग्रेस की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार की ओर से संविधान को ठेंगे पर रख कर बनाए छह मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति प्रदेश हाईकोर्ट की ओर से निरस्त कर देने के बाद कल 20 जनवरी को इनकी विधायकी को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है।
पिछली बार बीजेपी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील मानविंद्र सिंह ने सुप्रीम कोर्ट से तमाम कानूनों का हवाला देते हुए इन छह के छह कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए मजबूत दलीलें दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस बावत प्रदेश सरकार व इन विधायकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था।
अब कल सुपी्रम कोर्ट में प्रदेश की सुक्खू सरकार और इन विधायकों की ओर से क्या जवाब जाता है इस पर सबकी निगाहें रहेंगी।
उधर बीजेपी की ओर से इन सभी विधायकों को अयोग्य ठहराने के लिए पूरा जोर लगाया जा रहा है।
अगर सीपीएस की तरह ही इनकी विधायकी भी गई तो प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार पर एक बार फिर संकट आ जाएगा। सरकार में एक खेमा व बीजेपी में जयराम खेमा पूरी तरह से सरकार को गिराने का मौका तलाश रहा है। इसके अलावा कांग्रेस से बीजेपी में गए नेता भी सुक्खू सरकार की नैया डूबोने में रात दिन एक किए हुए है।
सीपीएस मामले में सुप्रीम कोर्ट में कल यानी 20 जनवरी को होने वाली सुनवाई महत्वपूर्ण है।
इन विधायकों की विधायकी पर है संकट
सुक्खू सरकार की ओर से सत्ता में आने पर जिन छह विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव बनाया गया था उनमें से रोहड़ू से कांग्रेस विधायक व हालीलाज कांग्रेस समर्थक मोहन लाल ब्राकटा, अर्की से मुख्यमंत्री सुक्खू के खासमखास कांग्रेस विधायक संजय अवस्थी और सुक्खू के ही दून से विधायक राम कुमार चौधरी शामिल है।
इसके अलावा कुल्लू से विधायक व सुक्खू खेमे के अन्य विधायक सुंदर ठाकुर, कांगड़ा जिला से आशीष बुटेल और किशोरी लाल शामिल है। इन सभी की विधायकी पर संकट बरकरार है।
अब बहुत कुछ कल सुप्रीम कोर्ट में होने वाली सुनवाई पर निर्भर है।
उधर अगर सुप्रीम कोर्ट से इन विधायकों की विधायकी चली जाती है तो राजनीतिक समीकरण्र बिठाने के लिए भाजपा के नौ विधायकों की को लेकर एक मामला स्पीकर विधानसभा कुलदीप सिंह पठानिया के पास लंबित है। क्यास लगाए जा रहे है कि अगर इन कांग्रेस विधायकों की विधायकी गई तो स्पीकर के पास भाजपा के नौ विधायकों को अयोग्य ठहराने का विकल्प मौजूद हैं। अब देखना है कि राजनीति किस करवट बैठती है।
याद रहे कुछ अरसा पहले प्रदेश हाईकोर्ट के जस्टिस बिपिन चंदर नेगी ने इन छह विधायकों की बतौर सीपीएस नियुक्ति को गैर संवैधानिक करार दे दिया था।
(141)