शिमला। गुडिया ब्लात्कार और हत्या मामले में शिमला पुलिस की ओर से 2017 में पकड़े नेपाली सूरज की पुलिस हिरासत में हुई हत्या के मामले में दोषी पाए जाने के बाद अब आइजी जहूर हैदर जैदी व बाकी आठ पुलिस अफसरों व कर्मियों पर बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है।
चंडीगढ़ की स्पेशल जज सीबीआइ अलका मलिक का सूरज की हत्या मामले में हत्या व बाकी धाराओं के तहत दोषी ठहराए पुलिस अफसरों का फैसला अब सुक्खू सरकार के गृह विभाग के पहुंचेगा। इसके बाद इस फैसले का अध्ययन किया जाए।
ये आठों की अफसर अब सीबीआइ ने अदालत के आदेशों पर सीबीआइ ने न्यायिक हिरासत में ले लिए है और 27 जनवरी तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे। 27 जनवरी को सभी आरोपियों को सजा सुना दी जाएगी।
पुलिस विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक किसको कितनी सजा मिलेगी इसका फैसला आ जाने के बाद ये फैसला भी सरकार के गृह विभाग को जाएगा।उसका भी अध्ययन किया जाएगा और कानून विभाग से भी राय ली जाएगी।उसके बाद सरकार को इन सभी को बर्खास्त करना पड़ेगा ।
हालांकि सभी आरोपियों के पास हाईकोर्ट में अपील करने का अधिकार रहेगा व स्पेशल कोर्ट सीबीआइ से मिली सजा को निलंबित किया जा सकता है। लेकिन इससे सरकार में किसी दोषी को सरकारी नौकरी में रखने का प्रावधान नहीं है। खासकर पुलिस जैसे संवेदनशील विभाग में तो कतई नहीं है।
एक पुलिस अधिकारी के मुताबिक उनकी जानकारी में पुलिस विभाग में कोई भी दोषी अफसर व कर्मी सेवा में नहीं है।
ये दीगर है कि हाईकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट किसी तरह की कोई राहत दे दें तो ये अलग बात है लेकिन ये बेहद मुश्किल है ।चूंकि मामला पुलिस हिरासत में हत्या का है और ऐसे में मामलों में सुप्रीम कोर्ट के फैसले तस्वीर बिलकुल साफ करते है।
ये अफसर है जो हैं बर्खास्तगी की जद में:
जहूर हैदर जैदी तो बर्खास्तगी की जद में है ही । इसके अलावा हिमाचल पुलिस सेवा के अधिकारी व ततकालीन डीएसपी ठियोग मनोज जोशी,कोटखाई थाने के ततकालीन एसएचओ सब इंस्पैक्टर राजेंद्र सिंह, कोटखाई थाने के ही तत्कालीन एएसआइ दीप चंद,हैड कांस्टेबल मोहन लाल,सुरत सिंह, रफीक मोहम्मद और कांस्टेबल रणजीत स्टेटा शामिल है। इन सब पर अब बर्खास्तगी की तलवार लटक गई है।
इन सबकों सीबीआइ की विशेष अदालत ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120B, 302, 330,348,218,195,196,201 IPC के तहत दोषी ठहराया है।ये मामला हिमाचल जैसे शांत राज्य की पुलिस मशीनरी को कलंकित करने से कम नहीं है।
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