शिमला। वीरभद्र सिंह सरकार और जेपी कंपनी प्रबंधन के जुल्म का शिकार जिला किन्नौर में खुले आसमान के नीचे रह रहे 12 सौ मजदूरों की याचिका पर प्रदेश हाईकोर्ट ने हिमाचल के गृह सचिव ,सचिव लेबर,लेबर कमिश्नर जेपी कंपनी प्रबंधन के एमडी व किन्नौर के एसपी व डीसी को नोटिस जारी इन सभी से 30 मार्च तक जवाब तलब किया है।
अदालत ने ये आदेश जेपी वकर्स यूनियन के 12 00 मजदूरों की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए दिए है।हाईकोर्ट के मुख्य जस्टिस न्यायाधीश मंसूर अहमद मीर और जस्टिस धर्मचंद चौधरी की खंडपीठ ने दिए । याचिकाकर्ताओं ने अदालत से आग्रह किया था कि लेबर कमिश्नर से 31 जनवरी को इंडस्टिरयल ट्रिब्यूनल को दिए रेफरेंस को वापस मंगाया जाए और यूनियन की नई मांगों को समेत ताजा रेफरेंस देने के निर्देश दिए जाए। यूनियन ने लेबर कमिश्नर के हड़ताल पर रोक लगाने और जिला मजिस्ट्रेट किन्नौर के 144 धारा लगाने,नारों और पांच लोगां से ज्यादा लोगों के चलने पर रोक लगाने के आदेशों को निरस्त करने का आग्रह किया।
अदालत ने सभी से 30 मार्च तक जवाब तलब कर मामले की अगली सुनवाई 31 मार्च को रखी है।
गौरतलब हो कि जेपी के जिला किन्नौर में कड़छम वांगतू बिजली प्रोजेक्ट में 1200 के करीब मजदूर जंगल में रह रहे है। उन्हें किन्नौर के अस्सी गांवों के लोग खाने की सामाग्री जुटा रहे है। इन मजदूरों को अपने आवास तक नहीं जाने दिया जा रहा है।हालांकि बीते रोज जेपी कंपनी के एडिशनल जनरल मेनेजर रिखी शर्मा ने कहा था कि कंपनी ने सभी मजदूरों को काम पर लौटने के लिए 18 मार्च को ही सर्कुलर निकाल दिया था। बीते रोज ही माकपा ने इस मामले में सीएम आफिस की मिलीभगत का आरोप लगाया था।
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