शिमला। मोदी सरकार के आयकर विभाग को हलका सा झटका देते हुए प्रदेश हाईकोर्ट ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को आयकर विभाग की ओर से भेजे दो नोटिसों व की जा रही रिअसेसमेंट प्रोसीडिंग पर स्टे दिया है। साथ ही अदालत ने आयकर विभााग से दो सप्ताह के भीतर जवाब तलब किया। अदालत ने आब्जर्व किया पृथम दृष्टया ऐसा लगता है कि ये नोटिस आयकर एकट की धारा 148 के अनुरूप नहीं है। ऐसे में ऐसे चलताउ और स्कैची नोटिस का जवाब देने याचिका कर्ता को संभव ही नहीं है।
हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट कीजस्टिस राजीव शर्मा और जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर की खंडपीठ ने आज वीरवार को ये आदेश वीरभद्र सिंह की ओर से दायर की गई याचिका की सुनवाई करते हुए दिए।वीरभद्र सिंह ने अपनी याचिका में कहा था कि आयकर विभाग ने उनकी रिवाइज्ड आयकर रिटर्न पर रिअसेसमेंट के नोटिस जारी कर गलती की है।क्योंकि आयकर एक्ट के तहत कृषि आय को आयकर से छूट है।
वीरभद्र सिंह ने 2009-2010 में अपनी फाइल की मूल रिटर्न में अपनी कर योग्य आय को 17 लाख 8 हजार 938 रुपए बताया था और कृषि आय को 7 लाख 35 हजार रुपए बताया था। लेकिन जब उन्होंने 2009-10 के लिए रिवाइज्ड आयकर रिटर्न भरी तो उनकी इस आय में कई गुणा बढ़ोतरी थी। ये 7 लाख 35 हजार से बढ़कर 2 करोड़ 21 लाख 35 हजार हो गई।
इसी तरह 2011-12 की अपनी आयकर की मूल रिटर्न में उन्होंने अपनी कर योग्य आय 15 लाख 31 हजार 712 रुपए बताई थी और कृषि से आय 25 लाख बताई थी। ये कृषि आय रिवाइज्ड रिटर्न में 25 लाख से 1 करोड़ 55 लाखउ हो गई।
इस मसले को पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके दोनों बेटों अनुराग ठाकुर और अरुण धूमल ने जमकर उठाया था। छोटे धूमल ने तो राजधानी में लगातार तीन तीन दिनों तक संवाददाता सम्मेलन कर इस मसले पर वीरभद्र सिंह पर हमला बोला था। ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट में प्रशांत भूषण की याचिका में भी है। वहां ये मामला वीबीएस रिश्वत कांड को लेकर प्रशांत भूषण कीअ ोर से दायर याचिका के साथ जुड़ा हुआा है। दिल्ली हाईकोर्ट में भी आज वीबीएस रिश्वत कांड की सुनवाई थी । उसमें आगे की डेट लगी है।
वीरभद्र सिंह ने हाईकोर्ट में आयकर विभाग के नोटिसों को इस ग्राउंड पर भी चुनौती दी थी कि उन्हें नोटिस आयकर एक्ट की धारा 148 के तहत डिप्टी कमिशनर के स्तर के अधिकारी की ओर से जारी किए गए है जबकि असेसमेंट धारा 143/3 के तहत एडिशनल कमिशनर ने पूरी की है। जो कि डिप्टी कमिशनर से उच्च अधिकारी है। ऐसे में उच्च अधिकारी अधिकारी की ओर से पूरी की गई असेसमेंट को जूनियर अधिकारी की ओर से दोबारा नहीं खोला जा सकता।
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