शिमला।लाहुल स्पिति में सेली हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट के अपफ्रंट मनी के 64 करोड़ जमा कराने के बावजूद हिमाचल भवन की नीलामी थम ही जाएगी ये लग नहीं रहा हैं। इसके आड़े CPC का आर्डर 21 रूल 55 आ रहा है। इसके तहत अटैचमेंट को रिमूव करने के लिए ब्याज समेत पूरी रकम अदा करने का प्रावधान है।
ऐसे में 64 करोड़ रुपए की अप फ्रंट मनी की रकम के अलावा जब तक ब्याज की रकम जमा नहीं करा दी जाती तब तक अटैचमेंट को रिमूव करना कानूनी तौर पर संभव नहीं लग रहा है। अटैचमेंट को रिमूव करने के लिए जो अर्जी अदालत में जाएगी वह सीपीसी के आर्डर 21 रूल 55 के तहत जाएगी। इसके मुताबिक -:
Rule 55 of CPC : Rule 55: Removal of attachment after satisfaction of decree.
The Code of Civil Procedure, 1908
- THE FIRST SCHEDULE
- ORDER XXI: EXECUTION OF DECREES AND ORDERS
- Mode of execution
Where-
- (a) the amount decreed with costs and all charges and expenses resulting from the attachment of any property are paid into Court, or
- (b) satisfaction of the decree is otherwise made through the Court or certified to the Court, or
- (c) the decree is set aside or reversed,
the attachment shall be deemed to be withdrawn, and, in the case of immovable property, the withdrawal shall, if the judgment-debtor so desires, be proclaimed at his expense, and a copy of the proclamation shall be affixed in the manner prescribed by the last preceding rule.
Simplified Act
Where- (a) the amount ordered by the court, including costs and any charges from seizing property, is paid into the court, or (b) the c…
जानकारी के मुताबिक सरकार ने हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में 64 करोड़ रुपए के दो बैंकर्स चेक जमा करा दिए है। इनमें से एक 43 करोड़ रुपए से जरूादा का है जबकि दूसरा 20 करोड़ रुपए से ज्यादा का है। ये दोनो ही बैंकर्स चेक सरकार की ओर से दायर एलपीए में जमा कराए गए है।
याद रहे नवंबर 2022 में प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस संदीप शर्मा की एकल पीठ ने सेली हाइड्रो पावर कंपनी की ओर से दायर याचिका की सुनवाई पर फैसला सुरक्षित रखा था। ये पूरा मामला पूर्व की जयराम सरकार में हाईकोर्ट में लड़ा गया। अब ये कितना मजबूती से लड़ा गया इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब जस्टिस संदीप शर्मा की एकल पीठ ने 13 जनवरी 2023 में सुक्खू सरकार के शासन में फैसला सुनाया तो सरकार को 64 करोड़ अप फ्रंट मनी लौटाने के आदेश दे दिए । साथ ही सात फीसद ब्याज जमा कराने के भी आदेश दे दिए।
हालांकि सेली हाइड्रो पावर कंपनी की ओर से जब हाईकोर्ट में ये याचिका दायर की थी तो सरकार ने आपति जताई थी कि ये मामला आर्बिट्रेशन में जाना चाहिए था। लेकिन हाईकोर्ट ने सरकार की दलीलें नामंजूर कर इस मामले की सुनवाई की थी और 13 जनवरी 2023 को सरकार के खिलाफ फैसला सुना दिया था।
सरकार ने इस फैसले को खंडपीठ में चुनौती दे दी। जिस पर अदालत ने ब्याज समेत आज तक पूरी रकम हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराने के आदेश दिए थे व जस्टिस संदीप शर्मा के फैसले पर स्टे दे दिया था। चूंकि सरकार ने बार-बार समय लेने के बावजूद ये रकम जमा नहीं कराई तो अदालत ने स्टे हटा दिया।
इस बीच सेली हाइड्रो पावर कंपनी ने जस्टिस संदीप शर्मा के आदेश की अनुपालना कराने के लिए अदालत में एग्जीक्यूटिव याचिका दायर कर दी। ये याचिका जस्टिस अजय मोहन गोयल की एक पीठ में लगी । उन्होंने सरकार की ओर से तारीखें मांगने पर कई बार समय दिया लेकिन जब रकम जमा नहीं हुई तो उन्होंने कड़ा रुख अपनाते हुए हिमाचल भवन को अटैच करने का आदेश सुना दिया। अदालत ने पहले ही 64 करोड़ अपफ्रंट की रकम व अब तक पूरी ब्याज लौटाने के आदेश दे रखे है।
इस आदेश से सुक्खू सरकार की देश भर में किरकिरी हो गई। खासकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को कई स्तरों पर फजीहत का सामना करना पड़ा। भाजपा ने इसे महाराष्ट्र के चुनावों में जम कर भूनाया।
इतनी फजीहत होने के बाद सरकार ने आनन फानन में दो बैंकर चेक 64 करोड़ के तो जमा करा दिए लेकिन ब्याज जमा नहीं कराया। कहा जा रहा है कि ब्याज समेत ये रकम डेढ़ सौ करोड़ से कुछ कम बनने वाली है । हालांकि विभाग के स्तर पर दोबारा से गणना भी की जा रही है। बहरहाल, इस स्थिति में पूरी रकम जमा कराए बगैर हिमाचल भवन की अटैचमेंट रिमूव हो पाएगी इस बावत कानूनविदों में संशय है। कुछ कानून विदों का मानना है कि अटैचमेंट रिमूव नहीं हुई तो सरकार व मुख्यमंत्री की फिर से फजीहत होंगी। बहरहाल अब सरकार की अटैचमेंट को रिमूव की अर्जी पर होने वाली सुनवाई पर लगी है।
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