शिमला। अवारा कुतों ने राजधानी के ढली में बीते दिनों स्कूल जा रहे आठ साल के बच्चे को अवारा कुतों ने नोच डाला था, अब इस बच्चे के पिता ने शहर को अवारा कुत्तों और बंदरों से मुक्त कराने का अभियान छेड़ दिया ताकि किसी क और बच्चे, बुजुर्ग या महिला-पुरुष को इन अवारा कुत्तों का शिकार होने से बचाया जा सके।
इस बावत समाजसेवी कर्मचंद भाटिया ने आज शिमला नगर निगम के आयुक्त को एक चिटठी लिख कर साफ किया कि वो इस मामले को कागजों, अखबारों, समाचारों और सोशल मीडिया की सुर्खियों तक नहीं रहने देंगे।
भाटिया ने निगम को 15 दिनों की समय सीमा दी है व कहा है कि नगर निगम शिमला के तहत शिमला शहरी के सभी वार्डों सहित ऐतिहासिक स्थलों, बाजारों, सडकों, रास्तों, गली- मौहल्लों में आवारा व पालतू कुत्ते बड़ी संख्या में घूमते रहते हैं। अगर निगम ने 15 दिनों दिनों के भीतर इनसे शहर को मुक्त नहीं कराया तो वो बड़ें आंदोलन का सामना करने के लिए तैयार रहे।
भाटिय ने अपनी दर्द भी बयां किया है और कहा कि 30 अप्रैल को उनके आठ साल के पुत्र को जो सुबह स्कूल जाने के लिए बस का इंतजार कर रहा था को सात आठ कुत्तों ने बुरी तरह से नोच डाला जिससे वो बुरी तरह से घायल हो गया व अब इलाज चल रहा हैं।
उन्होंने कहा कि कुत्तों की काटने की घटनाएं अब शहर में आम हो गई हैं अगर प्रशासन व निगम पहले कोई कदम उठाता तो उनके पुत्र के साथ ऐसी घटना नहीं होती।
भाटिया ने कहा कि अगर कोई कुत्ता व बंदर प्रेमी शहर को इनसे मुक्त करने का विरोध करता है तो इन्हें उन प्रेमी लोगों व संस्थाओं के घर में शरण दी जाए।बेजुबानों को मारने के पक्षधर तो वो भी नहीं है लेकिन इनके रखरखाव की उचित व्यवस्था की जाए।
भाटिया ने महापौर, निगमायुक्त और पार्षदों से तमाम वार्डों को इन कुत्तों व बंदरों से शहर को मुक्त करने के लिए 15 दिन का समय दिया है और आगाह किया कि अगर 15 दिनों में कुछ नहीं हुआ तो वो शहर में आंदोलन छेड़ देंगे।
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