शिमला। डा. यशवंत सिंह परमार बागवानी व वानिकी विवि नौणी सोलन के कुलपति की नियुक्ति को लेकर प्रदेश हाईकोर्ट का बड़ा आदेश सामने आ गया हैं। प्रदेश हाईकोर्ट ने साफ कह दिया है कि विवि के कुलपति की नियुक्ति चाहे वो नियमित तौर पर हो या आफिशिएटिंग पर,दोनों ही सूरत में विवि एक्ट के प्रावधानों का कड़ाई से पालन किया जाए।
ये आदेश हाईकोर्ट के जस्टिस संदीप शर्मा ने विवि के एक प्रोफेसर धर्म पाल शर्मा की ओर से दायर याचिका की सुनवाई करते हुए बीते रोज जारी किए हैं। ये आदेश आज यानी दो मई को हाईकोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड हुआ हैं।
प्रोफेसर धर्म पाल शर्मा ने नौणी विवि के मौजूदा कुलपति राजेश्वर चंदेल की बतौर कुलपति नियुक्ति को चुनौती दी है और अपनी याचिका में कहा है कि ये नियुक्ति एक्ट की अवहेलना कर की गई हैं।
उन्होंने इस बावत चौधरी सरवण कुमारी कृषि विवि पालमपुर के कुलपति की नियुक्ति की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली पालमपुर विवि के एक प्रोफेसर की याचिका पर हाईकोर्ट की ओर से सुनाए फैसले का हवाला दिया हैं।
नौणी विवि के कुलपति राजेश्वर चंदेल का कार्यकाल आठ मई को समाप्त हो रहा हैं और अभी तक राजभवन की ओर से इस विवि के नए कुलपति की नियुक्ति को लेकर प्रक्रिया तक शुरू नहीं की गई हैं। याद रहे प्रदेश विवि समरहिल और पालमपुर विवि में भी लंबे अरसे से स्थाई कुलपति नहीं हैं।
प्रोफेसर शर्मा की याचिका की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने ये कहा अपने आदेश में-:
Advocate, have put in appearance on behalf of respondents No.2 and 4, respectively. They pray for and are granted two weeks’ time to file Power of Attorney as well as reply to the petition.Reply on behalf of respondent No.3 is on record.
Rejoinder, if any, to the same be filed within a period of twoweeks.
आदेश में आगे साफ तौर पर कहा है कि-:Needless to say, during pendency of petition,selection/appointment on regular or officiating basis, if any, to
the post of Vice Chancellor, shall be made strictly in terms of
the Act.List on 22.05.2025.
इस मामले में बाकी पक्षकारों जिनमें सचिव राज्यपाल के अलावा नौणी विवि के कुलपति और सचिव बागवानी भी है, को दो सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने का समय दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 22 मई को निर्धारित की गई हैं।
चूंकि नौणी विवि के कुलपति का कार्याकाल आठ मई को समाप्त हो रहा है तो ऐसे में अब ये देखना दिलचस्प है कि राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल की ओर से कुलपति की नियुक्ति में क्या किया जाता हैं।
प्रोफेसर शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि कुलपति की नियुक्ति एक्ट के तहत की जाए और विवि के वरिष्ठ प्रोफेसर को कुलपति बनाया जाए।
याद रहे प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों के कुलपति की नियुक्तियों में राजभवन और सरकार के बीच लंबे समय से तनातनी चल रही हैं।
हिमाचल प्रदेश विवि समरहिल में अप्रैल 2022 से स्थाई कुलपति नहीं हैं। जब से प्रोफेसर सिकंदर कुमार भाजपा के सांसद बने है तभी से कुलपति के पद को कार्याभार केंद्रीय विवि धर्मशाला के कुलपति प्रोफेसर सत प्रकाश बंसल संभाल रहे है। बंसल को भाजपा का समर्थन हासिल हैं। इसी तरह की स्थिति पालमपुर विवि के कुलपति को लेकर भी है । वहां भी अस्थाई कुलपति को भाजपा का समर्थन हासिल हैं। जबकि नौणी विवि के कुलपति राजेश्वर चंदेल भी भाजपा के कार्याकाल में ही कुलपति बने थे।
ऐसे में अब सुक्खू सरकार चाहती है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है तो सभी विश्वविद्यालयों में सरकार के मन के मुताबिक कुलपतियों की नियुक्तियों हो।इस बावत सरकार की ओर से एक बिल भी पारित करवाया गया है।लेकिन कहीं कुछ हो नहीं रहा हैं।
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