शिमला। HOT SEAT सिराज में कांग्रेसियों की ओर से कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशियों के साथ की जाने वाली धोखेबाजी मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए वरदान साबित होती रही है। लेकिन इस बार सिराज में अरबों रुपया विकास पर लगाने के बावजूद वह अपने हलके में बार–बार जाकर अपनी जीत को लेकर बाहर संशय का संकेत दे रहे है।
सिराज के लोगों की माने तो कांग्रेसियों की इसी धोखेबाजी की वजह से जयराम ठाकुर 1998 से लेकर अब तक लगातार अपने हलके से जीत कर विधानसभा पहुंचते रहे और 2017 के चुनावों में भाजपा के मुख्यमंत्री के घोषित प्रत्याशी प्रेम कुमार धूमल के सुजानपुर से हार जाने के बाद मुख्यमंत्री बन गए।
इस तरह जयराम की लगातार जीत के पीछे कांग्रेस की गुटबाजी काम करती रही हैं और यह सिलसिला अब तक जारी है। इसके अलावा जयराम का मिजाज का भी उनकी जीत के पीछे बडा हाथ हैं।
अब बात तारा ठाकुर की
2012 के विधानसभा चुनावों में यहां से पूर्व विधायक मोती राम ठाकुर की बेटी तारा ठाकुर जीत के करीब पहुंच चुकी थी। तारा ठाकुर के करीबियों का कहना है कि ऐन मौके पर अगर कांग्रेस के कुछ लोगों ने धोखा नहीं दिया होता तो वह जयराम की जीत का तिलिस्म तोडने में कामयाब हो गई थी।
वह जयराम से साढे पांच हजार से कुछ ज्यादा मतों से पिछड गई थी लेकिन वह 2017 का चुनाव नहीं लड सकी और बीमार हो गई तब से लेकर वह बीमारी से जूझ रही है।ऐसे में 2012 में सिराज में कांग्रेस की बंजर जमीन जो हरी होने लगी थी वह भी सूख गई । तब से अपनों की वजह से कांग्रेस की जमीन सिराज में सूखती ही आ रही हैं।
2017 के चुनावों में जयराम ठाकुर यहां से 11 हजार से ज्यादा मतों से जीत गए और मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंच गए और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के वफादार चेतराम ठाकुर यहां से बुरी तरह से हार गए गए वह इस बार भी टिकट के प्रबल दावेदार है। हालांकि चेतराम ठाकुर की हार को लेकर यह भी कहा जाता है कि उनकी हार के पीछे वीरभद्र सिंह की रणनीति काम किया करती थी।
कहा जाता है कि जयराम ठाकुर भाजपा में वीरभद्र सिंह के भाजपा की अंदर की सूचनाओं के स्त्रोत हुआ करते थे व ऐसे में वह जयराम को जीताने की राजनीति करते थे। हालांकि यह कितना सही है यह कहा नहीं जा सकता लेकिन यह सच है कि जयराम ठाकुर का वीरभद्र सिंह के साथ कभी आमना –सामना नहीं हुआ। जो कभी हुआ भी उस पर सुलह हो गई। जब जयराम ठाकुर मुख्यमंत्री बने तो वीरभद्र सिंह का उनको पूरा साथ मिला और हालीलाज कांग्रेस के साथ जयराम ठाकुर की अभी भी राजनीतिक करीबियां कायम हैं।
सिराज के कांग्रेसियों के माने तो 2007 में यहां से शिव कुमार हार गए। 2012 में तारा ठाकुर जीतते-जीतते हार गई और 2017 में चेतराम ठाकुर हार गए। कहा जाता है कि हर बार इनको भाजपा से ज्यादा कांग्रेस में अपनों ने हराया और यह सिलसिला अब तक जारी हैं। भाजपाइयों का मानना है कि यह सिलसिला इस बार भी टूटने वाला नहीं हैं।
अब तो सिराज में कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद के दावेदार सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपना अलग से कुनबा खडा कर रखा है तो कौल सिंह ठाकुर ने भी किसी को शह दी हुई है। पूर्व मंत्री जी एस बाली ने भी यहां पर कुनबा खडा करने की कोशिश की थी।यह कांग्रेस के नेता मुख्यमंत्री बनने की चाह लिए हुए थे व अब भी हैं और ऐसे में हर जगह से विधायक भी अपना ही चाहते थे।
ऐसे में समझा जा रहा है कि सिराज में कांग्रेस में इस बार भी धोखेबाजी तो होगी है। सबने अपने पुराने हिसाब किताब पूरे करने हैं। कांग्रेस की ओर से सिराज में मुख्यमंत्री के विरोध में वामपंथियों के अलावा कोई कुछ बोल ही नहीं रहा हैं।आप से भी कोई तय नहीं हैं।
पहले की तरह इस बार भी कांग्रेस से टिकट के कई दावेदार है जिनमें हालीलाज कांग्रेस के चेतराम के अलाव विजयपाल है, जगदीश रेडडी हैं , दिलेराम है और वामपंथ व आप से होते हुए कांग्रेस में आए संतराम हैं।ऐसे में जयराम ठाकुर की जीत का संशय जो कहीं है वह कुछ अन्य वजहों से हैं।
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