शिमला। हिमाचल में 1 अप्रैल 2021 से 31 जनवरी 2022 तक करीब दस महीनों में कुष्ठ के 101 नए मामलों का पता चला है। सबसे अधिक 29 मामले सोलन जिले से, इसके बाद जिला शिमला से 18, कांगड़ा जिले से 12, जिला चंबा से 9 मामले सामने आए हैं। जिला ऊना से 8, जिला बिलासपुर में कुष्ठ रोग के 7 नए मामले, जिला मंडी में 6, सिरमौर जिले में 5, हमीरपुर जिले में 4 और किन्नौर जिले में 3 नए नए मामले सामने आए।जबकि कुल्लू और लाहुल स्पिति में में कुष्ठ रोग का कोई मामला सामने नहीं आया है।
स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि जिन गांवों में पिछले 3 सालों में कुष्ठ रोग के मामले सामने आए हैं, वहां आशा कार्यकर्ताओं की ओर से सक्रिय मामले का पता लगाने और नियमित निगरानी गतिविधि संचालित की जा रही है ताकि कुष्ठ मामलों का प्रारंभिक चरण में ही पता लग जाए और रोगी में इस रोग की वजह से किसी भी तरह की अक्षमता को समय रहते रोका जा सके।
उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ताओं बिना कुष्ठ रोग के नए मामलों का पता लगाने के लिए 200 और ढाई सौ रुपए की प्रोत्साहन राशि दी जाती है। उन्होंने कहा कि कुष्ठ रोगियों के संपर्कों का भी पता लगाया जाता है और समुदाय में आगे फैसले को रोकने के लिए रिफैम्पिसिन की एकल खुराक के साथ मुफ्त उपचार प्रदान किया जाता है।
प्रवक्ता ने आगे कहा कि प्रदेश में कुष्ठ रोग का उपचार सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर नि:शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। कुष्ठ रोगियों को वर्ष में दो बार माइक्रोसेलुलर रबर (एमसीआर) जूते प्रदान किए जाते हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, राष्ट्रीय कुष्ठ उन्मूलन कार्यक्रम (एनएलईपी) के तहत 2030 तक देश के हर जिले से कुष्ठ रोग को खत्म करने का लक्ष्य है। उन्होंने बताया कि हिमाचल प्रदेश राज्य ने पहले ही कम प्रसार दर हासिल कर कुष्ठ रोग को खत्म कर दिया है। प्रदेश में साल 2000 ही प्रति 10 हजार की आबादी में 1 कुष्ठ रोगी का लक्ष्य हासिल कर लिया गया था अब प्रदेश को कुष्ठ मुक्त करने का अभियान चल रहा हैं।
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