चंबा। हिमाचल प्रदेश संस्कृत अकादमी काग भाषा को समझने के लिए शोध पर विचार करेगी। ये एलान अकादमी क सचिव मस्तराम शर्मा ने चंबा में महाकवि कालिदास की स्मृति में आयोजित दो दिवसीय समारोह के दौरान किया। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से अकादमी को हर तरह की आर्थिक सहायता मिल रही है और वो संस्कृत के विद्वानों खासकर अध्यापक ,प्राध्यापक वर्ग की चिंताओ से सरकार को रूबरू कराएंगे। इसके अलावा छात्रों की जिला व राज्य स्तरीय पर संस्कृत प्रतियोगिताएं भी कराई जाएगी। विचार करेगी।
पहले दिन समारोह का आगाज करते हुए डीसी चंबा एम सुधा देवी कहा कि अकादमी संस्कृत भगवान की भाषा है। साथ ही हिंदुस्तान की तमिल भाषा को छोड़ कर बाकी तमाम भाषाओं की जननी भी संस्कृत ही है। इसके अलावा ज्ञान की जो धरोहर संस्कृत संजोए हुए है उस स्तर का ज्ञान दुनिया की किसी भी भाषा में उपलब्ध नहीं है। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई भाषाओं को बोलने वाले नहीं रहे और वो भाषाएं लुप्त हो गई। इसी तरह अंग्रेजों ने भी इस देश की संस्कृति, भाषा और इंतिहास समेत हर चीज को हीन साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और एक नई शिक्षा पद्धति भारतीयों पर थोप दी। जिसने गुरुकुल जैसी शिक्षा प्रणाली तबाह कर दी।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद 2003 बैच की इस आई एस एस अधिकारी ने कहा कि वो खुद संस्कृत की कविताएं पहली बार सुन रही है और मंत्रों के उच्चारण के अलावा उन्होंने ये भाषा कभी नहीं सुनी। लेकिन आज इसे सुनकर लगा कि इस भाषा में स्पंदन है, इसमें उर्जा है।
उन्होंने संस्कृत आकदमी की ओर से इस भाषा के प्रचार व प्रसार के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि इस तरह के कार्यक्रम लगातार होने चाहिए ताकि इस भाषा में पड़े ज्ञान के असल मायने से लोग रूबरू हो सके।
इस मौके पर करीब तीन घंटें चले कवि सम्मेलन में प्रदेश के हर जिले से आए संस्कृत के कवियों ने अपनी कवितांए पेश की।
कवि सम्मेलन सम्मेलन का आगाज आचार्य मदनमोहन की कविता से हुआ। उन्होंने आतंकवाद से लेकर दुष्कर्म,अपहरण,महिलाओं को तंदुर में जलाने जैसे दुष्कृत्यों पर रोशनी डाली तो प्रेम लाल गौतम ने महाकवि कालीदास पर अपनी कविता पढ़ी। यही नहीं मनोहर लाल शर्मा ने प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान को अपनी कविता का विषय बनाया ।युवा कवि अशोक कुमार ने अपनी कविता में श्रोतओं को किन्नौर व कैलाश पर्वत के सौंदर्य से रूबरू कराया।
शंकर वशिष्ठ ने संस्कृत भाषा पर अपनी रचना पेश की तो एक और युवा कवि प्रभात कुमार ने हाल ही में बच्चों के लिए सार्थक काम करने वाले नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी व आतंकवाद से ग्रस्त पाकिस्तान की मलाला युसूफजई के प्रयासों समेत प्रधानमंत्री मोदी की जनधन योजना और हिमाचल प्रदेश विवि में छात्रों पर किए लाठीचार्ज जैसी घटनाओं को अपनी कविता में समेटा।
स्थानीय पत्रकार सोम प्रकाश भुवेटा ने मैं कलम हूं,मजाक नामक शीर्षक से अपनी कविता पढ़ी और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने का एलान किया। कवि ओमपाल शर्मा ने वेदों के बारे में धारणाओं को शब्दों के लेकर अपनी माला गुंथी। शिव कुमार शर्मा ने स्त्रोत्र पढें तो यशपाल शर्मा की कवि वाणी बोली संस्कृत के बिना कैसे जिए। सुशील कुमार ने आम और टहनी के आपस के संयोग व वियोग पर उनके संवादों को अपनी कविता का विषय बनाया।उन्होंने इस कविता का हिंदी अनुवार भी सुनाया।वो बोल उठे ,न जाने मन क्यों उदास है/ जब कुछ पास है।
मनोहर लाला शर्मा ने कालीदास को श्रृंगारराज की पदवी देते हुए आज के दौर के युवा व युवतियों के पहनावें पर कटाक्ष किया।मुकुंद लाल शर्मा ने कहा कि संस्कृत की गूंज हर कंठ और हर घर में होनी चाहिए। आखिर में अकादमी के सचिव मस्तराम शर्मा ने अपनी कविता के जरिए शिमला मालरोड़ की सैर कराई और शिमला का इतिहास भी श्ररेताओं को बताया। ।इस पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रामानंद शर्मा ने चुटकी ली और कहा कि माल रोड़ पर वही घूम सकता है जिसके पास माल हो।
उन्होंने संस्कृत के विद्वानों और कवियों से कहा कि वो लिखे बेशक वो दो ही शब्द क्यों न हो। उन्होंने इस मौके पर चेताया कि संस्कृत वालों को इस दिशा में मिलकर आगे बढ़ाना होगा अन्यथा वो तबाह हो जाएंगे।
समारोह के दूसरे दिन आर्य समाज मठ चंबा के स्वामी व वेदों के ज्ञाता स्वामी सुमेधा नंद ने संस्कृत के विद्वानों का आहवान किया कि वो अनुसंधान पर तन्मयता से लग जाए ।धन की कमी नहीं है । अरबों रुपया एकत्रित किया जा सकता है और वो इस काम वो अपना सहयोग देंगे।उन्होंने कहा कि अमेरिका और यूरोप के लोगों ने अनुसंधान पर जीवन लगा दिया है।साइनायड जैसे जहर पर शोध करते हुए एक वैज्ञानिक का पूरा परिवार मौत के मुंह में समा गया। लेकिन अनुसंधान नहीं रुका।उन्होंने कहा कि संस्कृत वालों को अब लेने में नहीं देने में जुट जाना चाहिए।
इस मौके पर आचार्य मदनमोहन शर्मा ने कालिदास के साहित्य में पर्यावरण विवेचन पर अपना शोध पढ़ा।
युवा विद्वान शिव कुमार शास्त्री ने संस्कृत में सब समस्याओं का समाधान विषय पर अपना पर्चा पढ़ा और कहा कि संस्कृत में लिखे साहित्य में आतंकवाद, भ्रष्टाचार से लेकर सामाजिक और आर्थिक सभी समस्याओं कर निदान है।आचार्य गोकुल चंद शर्मा ने कहा अब रिसर्च से जुड़े कार्यक्रम भी होने चाहिए।अकादमी के पूर्व ओएसडी आचार्य रामानंद शास्त्री ने कहा कि विद्वानों से वाणी की उपासना करने का आहवान किया।
समारोह का समापन हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक सेवा की अधिकारी भू अधिग्रहण अफसर चंबा भुवनेश्वरी ने कहा कि संस्कृत भाषा में घर्म,अर्थ,काम, मोक्ष सब कुछ पाने के के जरिए है।संस्कृत में केवल धार्मिक साहित्य ही नहीं इस भाषा में कामशास्त्र से लेकर अर्थशास्त्र तक सभी विषयों पर बहुत साहित्य है।कौटिल्य अर्थशास्त्र में राज्य प्रबंधन विषय पर पीएचडी कर रही भुवनेश्वरी बोहरा ने कहा कि कालीदास संस्कृत भाषा के सबसे श्रेष्ठ कवि है।इस मौके पर सनातन धर्म संस्कृत कॉलेज चंबा के छात्र-छात्राओं ने सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किया। आर्यसमाज मठ चंबा के छात्रों ने भी कार्यक्रम पेश किया।इस दो दिवसीय समारोह में भागीदारी करने वाले संस्कृत प्रेमियों को सम्मानित किया।
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