चंबा। संस्कृत भगवान की भाषा है। साथ ही हिंदुस्तान की तमिल भाषा को छोड़ कर बाकी तमाम भाषाओं की जननी भी संस्कृत ही है। इसके अलावा ज्ञान की जो धरोहर संस्कृत संजोए हुए है उस स्तर का ज्ञान दुनिया की किसी भी भाषा में उपलब्ध नहीं है। ये उदगार डीसी चंबा सुश्री एम सुधा देवी ने प्रदेश संस्कृत अकादमी की ओर से संस्कृत के महाकवि कालीदास की स्मृति में आयोजित दो दिवसीय समारोह के पहले दिन वीरवार को शाम को हुए कवि सम्मेलन का आगाज करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि दुनिया के कई भाषाओं को बोलने वाले नहीं रहे और वो भाषाएं लुप्त हो गई। इसी तरह अंग्रेजों ने भी इस देश की संस्कृति, भाषा और इंतिहास समेत हर चीज को हीन साबित करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी और एक नई शिक्षा पद्धति भारतीयों पर थोप दी। जिसने गुरुकुल जैसी शिक्षा प्रणाली तबाह कर दी।
इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद 2003 बैच की इस आई एस एस अधिकारी ने कहा कि वो खुद संस्कृत की कविताएं पहली बार सुन रही है और मंत्रों के उच्चारण के अलावा उन्होंने ये भाषा कभी नहीं सुनी। लेकिन आज इसे सुनकर लगा कि इस भाषा में स्पंदन है, इसमें उर्जा है।
उन्होंने संस्कृत आकदमी की ओर से इस भाषा के प्रचार व प्रसार के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना की और कहा कि इस तरह के कार्यक्रम लगातार होने चाहिए ताकि इस भाषा में पड़े ज्ञान के असल मायने से लोग रूबरू हो सके।
इस मौके पर अकादमी के सचिव डाक्टर मस्तराम शर्मा ने इस दो दिवसीय समारोह में आए संस्कृत के विद्वानों को भरोसा दिया कि उनकी बहुत सी जायज मांगे है जो उन्हें भी खटक रही है और व उन मांगों को मुख्यमंत्री के समक्ष उठाएंगे और संस्कृत अध्यापकों को टीजीटी के स्तर तक लाएंगे।
इस मौके पर करीब तीन घंटें चले कवि सम्मेलन में प्रदेश के हर जिले से आए संस्कृत के कवियों ने अपनी कवितांए पेश की।
कवि सम्मेलन सम्मेलन का आगाज आचार्य मदनमोहन की कविता से हुआ। उन्होंने आतंकवाद से लेकर दुष्कर्म,अपहरण,महिलाओं को तंदुर में जलाने जैसे दुष्कृत्यों पर रोशनी डाली तो प्रेम लाल गौतम ने महाकवि कालीदास पर अपनी कविता पढ़ी। यही नहीं मनोहर लाल शर्मा ने प्रधानमंत्री मोदी के स्वच्छता अभियान को अपनी कविता का विषय बनाया ।युवा कवि अशोक कुमार ने अपनी कविता में श्रोतओं को किन्नौर व कैलाश पर्वत के सौंदर्य से रूबरू कराया।
शंकर वशिष्ठ ने संस्कृत भाषा पर अपनी रचना पेश की तो एक और युवा कवि प्रभात कुमार ने हाल ही में बच्चों के लिए सार्थक काम करने वाले नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी व आतंकवाद से ग्रस्त से पाकिस्तान की मलाला युसूफजई के प्रयासों समेत प्रधानमंत्री मोदी की जनधन योजना और हिमाचल प्रदेश विवि में छात्रों पर किए लाठीचार्ज जैसी घटनाओं को अपनी कविता में समेटा।
स्थानीय पत्रकार सोम प्रकाश भुवेटा ने मैं कलम हूं,मजाक नामक शीर्षक से अपनी कविता पढ़ी और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने का एलान किया। कवि ओमपाल शर्मा ने वेदों के बारे में धारणाओं को शब्दों के लेकर अपनी माला गुंथी। शिव कुमार शर्मा ने स्त्रोत्र पढें तो यशपाल शर्मा ने की कवि वाणी बोली संस्कृत के बिना कैसे जिए। सुशील कुमार ने आम और टहनी के आपस के संयोग व वियोग पद उनके संवादों को अपनी कविता का विषय बनाया। मनोहर लाला शर्माने कालीदास को श्रृंगारराज की पदवी देते हुए आज के दौर के युवा व युवतियों के पहनावें पर कटाक्ष किया।मुकुंद लाल शर्मा ने कहा कि संस्कृत की गूंज हर कंठ और हर घर में होनी चाहिए। आखिर में अकादमी के सचिव मस्तराम शर्मा ने अपनी कविता के जरिए शिमला मालरोड़ की सैर कराई और शिमला का इतिहास भी श्ररेताओं को बता दिया।इस पर कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे रामानंद शर्मा ने चुअकी ली और कहा कि माल रोड़ पर वही घूम सकता है जिसके पास माल हो।
उन्होंने संस्कृत के विद्वानों और कवियों से कहा कि वो लिखे बेशक वो दो ही शब्द क्यों न हो। उन्होंने इस मौके पर चेताया कि संस्कृत वालों को इस दिशा में मिलकर आगे बढ़ाना होगा अन्यथा वो तबाह हो जाएंगे।
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