शिमला। अदाणी घराने की कंपनी की ओर से जिला बिलासपुर के बरमाणा और जिला सोलन के दाडला में लगे सीमेंट कारखानों में मौजूदा मालभाडे को कम करने की मांग पर इन दोनों कारखानों को अचानक बंद कर देने के मामले में सुक्खू सरकार पिछले 50 दिनों से मीटिंग –मीटिंग का खेल खेल रही हैं। अदाणी मालभाडे को छह से सात रुपए प्रति किलोमीटर तक तय करने पर अड गए है जबकि सात हजार के करीब ट्रक आपरेटर 11रुपए 41 पैसे प्रति किलोमीटर और 10 रुपए 58 पैसे प्रति किलोमीटर से कम पर काम करने को राजी नहीं हैं। आपरेटरों का माना है कि इससे कम पर ट्रक चलाना घाटे का सौदा हैं। अगर अदाणी की दरों पर ढुलाई करते है तो उनका तबाह होना निश्चित हैं।
जानकारी मिली है कि सरकार की ओर से मालभाडे को तय करने के लिए लगाई एजेंसी ने मालभाडे को 8 रुपए 80 पैसे तय किया हैं। हालांकि सरकार ने इसे सार्वजनिक नहीं किया हैं।
उधर ,50 – 55 दिन पहले बनी सुक्खू सरकार इस मसले पर मीटिंग मीटिंग का खेल खेल रही हैं लेकिन अचानक तालाबंदी करने पर अदाणी समूह की कंपनी के खिलाफ कोई कार्यवाही करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रही रही हैं।
बीते रोज भी ट्रक आपरेटरों की मुख्यमंत्री सुक्खू के साथ बैठक हुई व इस बैठक में आपरेटरों ने इन सीमेंट कारखानों को टेक ओवर करने की मांग कर डाली। इसके अलावा कारखानों का बिजली –पानी काटने और लाइसेंस रदद करने की भी मांग की कर दी गई हैं।
यही नहीं आपरेटरों ने मुख्यमंत्री सुक्खू को यह भी पेशकश कीकोई भी एक साल के लिए चुनिंदा ट्रक आपरेटरों के पचास सौ ट्रक ट्रायल पर लेकर एक साल तक अदाणी की ओर से बताए गए मालभाडे पर चला ले । अगर यह मालभाडा ट्रकों की किश्त व बाकी खर्च निकाल देते हैं तो ट्रक आपरेटरों को अदाणी की ओर से प्रस्तावित माल भाडे पर ढुलाई करने से गुरेज नहीं हैं।
लेकिन सुक्खू सरकार इन तमाम मसलों पर पूरी तरह से खामोश हैं। कहा जा रहा है कि सुक्खू सरकार के चंद नौकरशाहों का झुकाव अदाणी घराने की ओर हैं। हालांकि इस बावत अभी साफ तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन जिस तरह से इन वार्ताओं में कुछ अधिकारियों का रवैया रहा उससे इस तरह की आपरेटरों के बीच समझ बनने लगी हैं।
उधर, सुक्खू अपने अब तक के कार्याकाल में इस मसले पर वोट बैंक भी और औदयोगिक घराना दोनों को साथ रखने की चाहत पर चलते नजर आ रहे हैं। वह न तो ट्रक आपरेटरों को ही नाराज करना चाहते है और न ही अदाणी घराने को ही छोडना चाहते हैं। कोई फैसला भी नहीं ले रहे हैं। अन्यथा मेरिट के आधार पर फैसला करना कोई मुश्किल काम नहीं हैं।
बिलासपुर ट्रक आपरेटर यूनियन के अध्यक्ष राकेश ठाकुर ने कहा कि अब मुख्यमंत्री ने तीन फरवरी यानी कल और बैठक बुला रखी हैं। याद रहे एक फरवरी को हुई बैठक में अदाणी घराने की कंपनी की ओर से बैठक में कोई नहीं था।
राकेश ठाकुर ने कहा कि प्रदेश भर की तमाम ट्रक यूनियनों ने चर फरवरी को प्रदेश में चक्का जाम करने की कॉल दे रखी हैं। तीन फरवरी को बैठक में क्या होता यह देख्खा जाना हैं।
उधर, दाडला में अंबुजा सीमेंट करखाने में लगी ट्रक यूनियनों के फेडरेशन के अध्यक्ष रामकृष्ण शर्मा ने कहा कि मुमुख्यमंत्री की ओर से यह वार्ताओं का दौर चलाना फिजूल की कसरत है। तमाम बातें पहले हो चुकी हैं। उदयोग मंत्री के साथ भी सब कुछ हो चुका हैं। अदाणी घराने की कंपनी मौजूदा मालभाडे पर कारखानों को खोलने के लिए तैयार नहीं हैं।
अदाणी घराने की कंपनी की ओर से कहा जा रहा है कि मालभाडा ज्यादा है और वह कारखाने को चलाने की स्थििति में नहीं हैं। इस बावत आपरेटरों ने इन कारखानों की पिछले पांच सालों की बैंलेंस शीट दिखाने की मांग कर डाली है । आपरेटरों का दावा है कि शुरू की बैठक में अदाणी कंपनी के अधिकारियों की ओर से कहा गया था कि आपरेटरों को बैंलेंस शीट दिखाने की जरूरत नहीं हैं।
लेकिन बडा सवाल यह है कि अगर पिछले पांच सालो में घाटा हो रहा है तो सरकार को तो बैंलेंस शीट जारी करनी ही चाहिए।
अगर यह विवाद नहीं सुलझा तो प्रदेश में बडा औदयोगिक विवाद खडा होने की नौबत आ गई हैं। ट्रक आपरेटर सडकों पर उतरने के लिए तैयार हो गए हैं और सरकार फैसला करने पर असमंजस में है जबकि अदाणी अपने रुख पर अडे हुए हैं।
उधर ,2024 में लोकसभा का चुनाव भी हैं।
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