शिमला। एकमात्र वामपंथी विधायक राकेश सिंघा ने विधानसभा में सेब मंडियों में आढ़तियों की ओर से बागवानों के साथ मचाई जा रही लूट का मसला उठाते हुए सरकार से दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। नियम 62 के तहत चर्चा करते हुए सिंघा ने कहा कि 2002 में प्रदेश कृषि, बागवानी उत्पाद विपणन विकास व नियमन अधिनियम पारित हुआ था।
इस अधिनियम का इन दिनों ठियोग , रोहड़ू, पराल ,व ढली मंडियों में सरेआम उल्लंघन हो रहा हैं। लेकिन जयराम ठाकुर सरकार इस लूट- खसूट को लेकर गंभीर नहीं हैं व आढ़तियों को लूट के लिए खूला छोड़ा हुआ हैं।
उन्होंने कहा कि सेब की कीमत वजन के हिसाब से मिलनी चाहिए लेकिन आढ़ती पेटी के हिसाब से कीमत दे रहे हैं। यह अधिनियम का खुला उल्लंघन हैं व बागवानों की मेहनत का मजाक हैं और सरकार चुप बैठी है। पेटी का कीमत निर्धारित होने के बाद आढ़ती उसकी कीमत को मनमर्जीसे कम कर रही है। जबकि एक बार नीलामी हो गई तो उसकी कीमत कम नहीं किया जा सकता । यहां यह हो रहा है कि साढ़े चौदह सौ रुपए प्रति पेटी के हिसाब से नीलामी हुई हैं तो आढ़ती इसके चौदह सौ से साढ़ तरह सौ रुपए बागवानों को दे रहे हे। यह खुली लूट हैं। इसकी कानून कतई अनुमति नहीं देता हैं।
उन्होंने कहा कि आढ़ती गाड़ी के भाड़े को भी जो किसान ने पहले ही गाड़ी वाले को अदा कर दिसा हैं, उस राशि को भी काट लेता हें। यही नहीं सेब को उतारने व चढ़ाने की एवज में पांच से बीस रुपए काटे जा रहे हैं जबकि अधिनियम के मुताबिक पांच रुपए से ज्यादा नहीं काटे जा सकते है। सिंघा ने इलजाम लगाया कि इस में से पल्लेदार को तीन से साढ़े तीन रुपए तक ही दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भी पीछे नहीं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने शोघी व परवाणु में बेरियर लगा रखे हैं वहां मार्किंटिंग फीस के नाम पर चूंगी काटी जा रही है। जबकि यह कभी की खत्म हो गई है।
सिंघा ने कहा कि जब सेब की नीलामी हो गई तो बागवानों को तुरेत पैसा मिल जाना चाहिए। कम से कम पंद्रह दिन बाद तो मिल ही जाना चाहिए लेकिन यहां पर महीनों ही नहीं कई मामलों में साल के बाद भी पैसा नहीं मिला हैं। उन्होंने सरकार से इस लूट से बागवानों को निजात दिलाने की मांग की।
चर्चा का जवाब देते हुए कृषि मंत्री राम लाल मारकंडा ने कहा कि इस तरह के मामले मार्किटिंग यार्ड के बाहर से समाने आ रहे हे। विभाग ने छह एफआइआर दर्ज की है और एक लाइसेंस रदद कर दिया है। उन्होंने अधिकारियों के अलावा पुलिस को भी शिकायतों पर तुरंत कार्रवाई करने के आदेश दिए है। वह खुद भी मंडिया का लगातार दौरा कर रहे है।
मारकंडा ने कहा कि मंडियों में वजन के हिसाब से कीमत अदा करने का फरमान जारी किया गसया है। लेकिन बागवान आढ़तियों से सौदा कर लेते हैं व वजन के बजाय पेटियों के हिसाब से ही कीमत ले लेते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भी चिंतिंत है लेकिन साथ ही कदम भी उठाए जा रहे है। पल्लेदारी के पांच रुपए से ज्यादा नहीं लिए जा सकते । अगर कहीं ऐसा है तो कर्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि अधिनियम का उल्ल्ांघन नहीं होने दिया जाएगा व सरकार बागवानों व किसानों के हितों की रक्षा करने के लिए तत्पर हैं।
(0)