शिमला।पदेश विधानसभा के स्पीकर कुलदीप पठानिया ने तीनों आजाद विधायकों के इस्तीफों को मंजूर कर बड़ा उल्टफेर कर दिया है साथ ही मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को भी कटघरे में खड़ा कर दिया हैं।
छह विधानसभा हलकों से अयोग्य ठहराए गए छह कांग्रेस विधायाकों जो अब भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ चुके है और नतीजें कल आने हैं,उनके नतीजे आने से पहले ही ये फैसला लेकर पहला काम तो सुक्खू सरकार को गिरने से बचा दिया हैं। कल छह सीटों के नतीजें अगर कांग्रेस के खिलाफ जाते है तो भी सुक्खू सरकार को फोरी तौर पर कोई खतरा नहीं रह गया हैं। स्पीकर ने इन तीन विधायकों के इस्तीफे मंजूर कर ये इंतजाम तो कर दिया हैं।
अब प्रदेश विधानसभा में कुल 68 में से 65 ही विधायक बचे है। (कल छह और विधायक विधानसभा के लिए चुन लिए जाएंगे)कांग्रेस के पास अभी भी 34 विधायक है और अगर कांग्रेस विधानसभा की सभी छह सीटें हार भी जाती हैं तो भी उसके पास बहुमत का आंकड़ा हैं। भाजपा के पास तब 31 ही विधायक होंगे। अगर कांग्रेस शिमला व मंडी संसदीय सीटें जीत भी जाती है तो भी कांग्रेस के पास 32 विधायक हैं जो भाजपा से संख्या में एक ज्यादा होगा।
हालांकि सुक्खू सरकार व स्पीकर के पास सरकार बचाने के अभी कई और तुरुप के पत्ते हैं। अगर सीपीएस मामले में फैसला खिलाफ भी आ जाए तो भी भाजपा के नौ विधायकों के मामले में स्पीकर का फैसला अभी आना हैं। हालांकि भाजपा विधानसभा की सभी छह सीटें जीत ही जाएं ऐसा लग नहीं रहा हैं।
बहरहाल, इस बावत असल तस्वीर कल साफ होगी लेकिन स्पीकर कुलदीप पठानिया ने एक तरह से इन तीन आजाद विधायकों के इस्तीफें मंजूर कर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के इन दावों व इल्जामों को तबाह कर दिया कि ये विधायक राजनीति की मंडी में बिक गए थे।
इन आजाद विधायकों ने 22 मार्च को अपने विधायकी से इस्तीफा देकर सभी चौंका दिया था। इसके बाद 23 मार्च को ये दिल्ली में जाकर भाजपा में शामिल हो गए थे। लेकिन संविधान का वास्ता देकर स्पीकर ने इनके इस्तीफे ये दलील देकर मंजूर नहीं किए थे कि वह पहले ये पड़ताल करेंगे कि ये इस्तीफे स्वेच्छा से व सही सही मंशा से दिए गए है या नहीं। उसी दौरान एक एफआइआर भी शिमला पुलिस ने दो विधायकों संजय अवस्थी और भुवनेश्वर गौड़ की शिकायतों पर (जो थाने में चपड़सियों ने पहुंचाई थी)एफआइआर दर्ज हो गई थी। इस एफआइआर में हमीरपुर से आजाद विधायक आशीष शर्मा और गगरेट से तत्कालीन कांग्रेस विधायक व भाजपा प्रत्याशी चैतन्य के पिता (पूर्व आइएएस) राकेश शर्मा के नाम शामिल कर लिए गए।
जाहिर है स्पीकर ने इन विधायकों के इस्तीफों को मंजूर करने से पहले जरूर कोई जांच की होगी और पाया होगा कि ये इस्तीफे सही मंशा से दिए गए है। कोई बिका नहीं हैं। कहीं कोई दबाव नहीं था। अगर ऐसा नहीं होता तो वो इस्तीफे मंजूर ही नहीं करते।
यही नहीं स्पीकर ने संविधान का वास्ता देकर इन तीनों विधायकों के खिलाफ दलबदल कानून के तहत भी कार्यवाही शुरू की थी। लेकिन उन्होंने इस कार्यवाही को पूरा करना से पहले ही इनके इस्तीफे मंजूर दिए हैं।
स्पीकर ने ऐसा कर सुक्खू पर नए संकट के बादल बो दिए हैं।अगर कल कोई और पांच- छह विधायक इन आजाद विधायकों क तर्ज पर इस्तीफे देते हैं तो स्पीकर को उन्हें भी मंजूर करना पड़ेगा। प्रधानमंत्री मोदी राजनीतिक प्रचार के दौरान जनसभाओं में बोल ही गए थे कि प्रदेश में भाजपा की सरकार होगी।
बेहतर होता कि स्पीकर दलबदल कानून के तहत कार्यवाही कर इन विधायकों को अयोग्य ठहरा देते।
अब स्पीकर पर ये इल्जाम तो लगेगा ही कि उन्होंने सुक्खू सरकार के साथ मिलकर इन आजाद विधायकों के इस्तीफे एक रणनीति के तहत मंजूर नहीं किए थे ताकि ये उप चुनाव न लड़ सके। नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने तो स्पीकर पर इल्जाम लगा भी दिया हैं।
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