शिमला।अपनी सरकार होने के बावजूद हिमाचल प्रदेश में लोकसभा की चारों सीटों पर कांग्रेस का सुपड़ा साफ होने और विधानसभा की छह में से चार सीटें कांग्रेस के खाते में जाने से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू व उनकी मित्र मंडली के साथ-साथ हालीलॉज कांग्रेस का जलवा बुरी तरह से तबाह हो गया हैं।
जनता ने हालीलॉज कांग्रेस और सुक्खू की मित्रमंडली की करतूतों को पूरी तरह से इन चुनावों में नकार दिया हैं। सीएम सुक्खू की सबसे बुरी हार उनके अपने गृह जिला हमीरपुर में हुई हैं। वहां पर कांग्रेस केवल एक सीट जीत पाई और वह भी सुजानपुर सीट ।ये कोई मानने को तैयार ही नहीं है कि सुजानपुर से भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र राणा की हार में सुक्खू का कोई योगदान नहीं हैं। इस हार के पीछे पूर्व मुख्यमंत्री व भाजपा के सबसे बड़े नेता प्रेम कुमार धूमल का हाथ माना जा रहा हैं।
ऐसे में देखा जाए तो हमीरपुर जिला में सुक्खू दोनों ही सीटें हारे हैं। वो बडसर की सीट तक नहीं जीता पाए। हमीरपुर में सुक्खू की मित्र मंडली के सबसे बड़े चेहरे व उनके राजनीतिक सलाहकार सुनील बिटटू का जलवा कहीं भी नजर नहीं आया। जबकि चुनावों से पहले बिटटू का जलवा सरकार में हर कहीं था।
हमीरपुर के अलावा सुक्खू की मित्र मंडली शिमला संसदीय हलके में चुनावों से पहले अपने जलवे दिखाने में लगी हुई थी। इस संसदीय हलके से मित्र मंडली के करीब 23 से ज्यादा नेता है जिन्हें सुक्खू ने दिल खोलकर ओहदे बांटे थे। लेकिन लोकसभा चुनावों में ये पूरी मित्र मंडली कुछ नहीं कर पाई।
यहां तक सुक्खू के मंत्री तक लोकसभा प्रत्याशी विनोद सुल्तान पुरी को बढ़त नहीं दिला पाए। दून से सुक्खू की मित्र मंडली के खास चेहरे रामकुमार के जलवे पिछले डेढ साल से लगातार देखने को मिल रहे थे लेकिन उनका जलवा भी नहीं चला ।
यही नहीं मंत्री हर्षवर्धन चौहान,धनीराम शांडिल,रोहित ठाकुर और अनिरुद्ध सिंह भी नकारे साबित हुए। सुक्खू ने इन सबको बड़े चाव से मंत्री बनाया था। इसके अलावा दर्जनों सलाहकार,सीपीएस ,अध्यक्ष व उपाध्यक्ष शिमला संसदीय हलके से ही बना डाले थे।लेकिन ये मित्र मंडली अपना जलवा नहीं दिखा पाई । उल्टे कांग्रेस की नैया डुबो दी।
इसके अलावा हालीलाज कांग्रेस का जलवा भी इन चुनावों में तबाह हो गया। हालीलाज कांग्रेस के राजकुमार व सुक्खू सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह बालीवुड की अदाकारा कंगणा रणौत से बुरी तरह से हार गए। कांग्रेस अध्यक्ष व उनकी माता प्रतिभा सिंह ने पहले ही मुख्यमंत्री के खिलाफ कई कुछ उगला था। इसके अलावा सरकार गिराने की मुहिम जब भाजपा ने चली थी तो भी प्रतिभा सिंह व विक्रमादित्य सिंह की भूमिका सवालों में रही थी।
लोकसभा चुनावों में उतरने के बाद उन्होंने इस तरह की हवा बनाई थी कि वो मंडी सीट पर परचम लहरा देंगे।ये संभव हो सकता था क्योंकि प्रदेश में सता में कांग्रेस की सरकार थी। लेकिन हालीलाज कांग्रेस का भी जलवा इन चुनवों में जाता रहा।
यही नहीं लाहुल स्पिति से विधानसभा की प्रत्याशी अनुराधा राणा की जीत का सेहरा भी हालीलाज कांग्रेस अपने सिरे नहीं बांध सकता। अनुराधा राणा हालीलाज खेमे से नहीं थी। उसे सुक्खू के मंत्री जगत सिंह नेगी और सीपीएस सुंदर ठाकुर ने जिताया। इसके अलावा उनका अपना जनाधार भी उनके काम आया।
ऐसे में इन चुनावों ने सुक्खू ,उनकी मित्र मंडली और हालीलाज कांग्रेस की हवा निकाल कर रख दी हैं। अब आगे फैसला कांग्रेस आलाकमान को सोचना है कि इस मित्र मंडली,उनके सर्वेसर्वा व हालीलाज कांग्रेस को कहां जैसे रखना हैं।
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