शिमला। पुलिस जांच में विमल नेगी की मौत के बाद उनकी पत्नी और परिवार वालों की ओर से पावर कारपोरेशन के निदेशक इलेक्ट्रिकल देशराज के खिलाफ लगाए गए इल्जामों को बल मिला हैं।पुलिस जांच में साफ हुआ है कि देशराज दिवंगत विमल नेगी का कंट्रोलिंग अफसर था और उसे मानसिक तौर पर प्रताडि़त किया जाता था। यहां बड़ा सचाल ये भी है कि दबाव देशराज ही डाल रहा था या एमडी हरिकेश मीणा का भी हाथ था और वो अपने ही दम पर ये सब कर रहे थे या सरकार के स्तर पर भी किसी तरह का दबाव बनाया जा रहा था कि जान ही ले ली गई।
पुलिस ने 23 मार्च को विमल नेगी के पर्सनल अस्सिटेंट का ब्यान दर्ज किया। उनके पर्सनल अस्सिटेंट राजीव ठाकुर ने कहा है कि विमल नेगी पेखुवाला प्रोजेक्ट के लिए समय अवधि बढ़ाने को लेकर अत्यधिक तनाव में थे। यानी उन पर दबाव बनाया जा रहा था। पेखुवाला सोलर प्रोजेक्ट की लागत को लेकर सदन में भी सवाल उठे हैं। इस प्रोजेक्ट की लागत सौ करोड़ ज्यादा कर दी गई बताई गई हैं। जाहिर है कोई भ्रष्टाचार हुआ होगा। अन्यथा दबाव बनाने की क्या जरूरत थी।
इसके अलावा देशराज की जमानत याचिका का विरोध करते हुए अदालत में अतिरिक्त महाधिवक्ता की ओर से कहा गया कि आरोपी जांच में शामिल नहीं हो रहा हैं। इसके अलावा ट्रायल में भी वो उपलब्ध हो पाएगा इसमें संदेह हैं। आरोपी कार्यालय में भी नहीं आ रहा है और फरार हैं।
पुलिस ने अदालत में दायर अपनी स्टेटस रपट में माना है कि देशराज प्रभावशाली व्यक्ति है और सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता हैं।इसके अलावा गवाहों के बयान भी यही इंगित करते है कि विमल नेगी की प्रताड़ना में देशराज की भूमिका है ।
इस मामले में एसआइटी ने आरोपी के कार्यालय की तलाशी ली और मृतक विमल नेगी की ओर से हैंडल किए जा रहे प्रोजेक्टों के भारीभरकम दस्तावेज एकत्रित किए हैं। स्टेटस रपट में पुलिस कहा कि गवाहों से लिए गए बयानों में पृथम दृष्टया साफ पता चलता है कि विमल नेगी की मानसिक प्रताड़ना की जाती थी और उस पर भारी भरकम काम लाद दिया गया था।
पुलिस रपट में कहा गया है कि 23 मार्च को एसएफएल टीम ने एचपीपीसीएल का दौरा किया और नेटवर्क वीडियो रिकार्डर जिसमें कार्यालय में लगे सीसीटीवी की फुटेज है को अपने कब्जे में लिया । इसके अलावा हार्ड ड्राइव एंड पैन ड्राइव भी कब्जे में लिया है इनमें सीसीटीवी फुटेज का बैकअप रिकार्ड हैं।14 दिनों तक का डाटा सीसीटीवी फुटेज से खंगाला गया है जिससे विमल नेगी की बॉडी लैंग्वेज से पता चलता है कि वो तनाव में था।
बासोमैट्रिक्स रिकार्ड भी कब्जे में लिया है जिसमें साफ हो गया है कि विमल नेगी व बाकी कर्मचारियों को रात –रात भर कार्यालय में बिठाया जाता था और दस-दस घंटे से ज्यादा समय तक काम कराया जाता था।
आश्चर्यजनक तौर पर अभी तक पुलिस की ओर से कारपोरेशन के तत्कालीन एमडी हरिकेश मीणा और निदेशक कार्मिक शिवम प्रताप सिंह का पुलिस ने कहीं जिक्र नहीं किया गया हैं।
मीणा और शिवम प्रताप निलंबित नहीं
इतना बड़ा कांड हो गया और सुक्खू सरकार ने हरिकेश मीणा और शिवम प्रताप सिंह को अभी तक निलंबित नहीं किया हैं। जबकि इल्जाम उनके खिलाफ भी देशराज जैसे ही हैं। मीणा कारपोरेशन के एमडी थे। इसे लेकर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू खुद ही कटघरे में खड़े हो गए हैं। इसके अलावा पेखुवाला प्रोजेक्ट को लेकर भी मुख्यमंत्री ने कोई जांच नहीं बिठाई हैं।चूंकि मुख्यमंत्री खुद इस महकमे के मंत्री हैं ऐसे में उनके हरेक कदम पर विपक्ष के अलावा केंद्रीय एजेंसियों की भी नजर हैं।
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