शिमला।सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मदन बी लोकुर ने न्यायपालिका के कार्यवाहियों में सूचना प्रोद्योगिकी के इस्तेमाल करने पर जोर देते हुए कहा कि देश की जेल और हर अदालत परिसर के कम से कम एक कोर्ट में वीडियो कांफ्रेसिंग सुविधा मुहैया कराई जाएगी। इसे रूटीन रिमांड ही नहीं बल्कि गवाहों के अदालतों में आए बगैर ही उनकी गवाही कराने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा।
जस्टिस लोकुर उतरी जोन के पांच राज्यों की तीन दिवसीय क्षेत्रीय न्यायिक कांफ्रेस के समापन पर बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि अभी नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड केवल एनआईसी नेट पर ही उपलब्ध है। सुरक्षा आडिट के बाद इसे इंटरनेट पर मुहैया कराया जाएगा ताकि इसकी पहुंच सभी तक हो।इससे केस करने वाले अपने केस के बारे में बिना एडवोकेट के पास जाए जानकारी मिल जाएंगी।बाद में केस का स्टेटस मोबाइल पर भी मुहैया कराया जाएगा।यही नहीं हरेक कोर्ट परिसर में एक क्योस्क बनाया जाएगा जहां पर लोग अपने केस के स्टेटस को जान सकते है।
स्ंट्रैथनिंग जस्टिस डिलीवरी सिस्टम : टूल्स एंड टेक्निक विषय पर इस कांफ्रेंस का आयोजन हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट,नेशनल ज्यूडिशियल अकादमी और हिमाचल ज्यूडिशियल अकादमी की ओर से किया गया था।
सुप्रीम कोर्ट के जज व हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जस्टिस कुरियन जोजेफ ने कहा कि यहां पर मंथन करने के बाद अब ये हमारी डयूटी है कि हम तंत्र को मजबूत करे।उन्होंने जजों से बिना किसी दबाव के कानून के मुताबिक स्वतंत्र फैसले लेने का आहवान किया। तीन दिन चली इस कांफ्रेंस में हिमाचल,जम्मू –कश्मीर,उतराखंड,दिल्ली व उतरप्रदेश के 106 जजों ने शिरक्त की और 10 सेशन चले जिनमें सुप्रीम कोर्ट व विभन्न हाईकोर्टों के जजों ने शिरक्त की।
कांफ्रेंस की बाकी तस्वीरें देखें यहां-:
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