शिमला। सरकारी जमीनों पर अवैध कब्जों को हटाने व प्रदेश के किसानों के जमीन से जुड़े मुददों पर वीरभद्र सिंह सरकार की अोर से की गई वादाखिलाफी को लेकर हिमाचल किसान सभा,सेब उत्पादक संघ और किसान बागवान यूनियन पुजारली 16नवंबर को राजधानी शिमला में वीरभद्र सिंह सरकार के जगाने के लिए राज्यव्यापी रैली करेगी। इसके बाद भी अगर वीरभद्र सिंह सरकार ने किसानों की बेदखली को रोकने का इंतजाम नहीं किया तो ये संगठन सरकार के खिलाफ असहयोग आंदोलन छेड़ देंगे।हिमाचल सेब उत्पादक संघ के अध्यक्ष व माकपा नेता राकेश सिंघा ने एलान किया कि पहले चरण में वीरभद्र सिंह सरकार के मंत्रियों व दूसरे जनप्रतिनिधियों का घेराव करेगी। इसके बाद आगे की रणनीति तय की जाएगी।
सिंघा ने कहा कि 27अगस्त को विधानसभा में प्रदेश सरकार ने विधानसभा में इच्छा जाहिर की थी कि वो किसानों को बेदखल नहींहोने देगी। लेकिन पंचायत चुनावों के मददेनजर चुनिंदा लोगों पर कार्रवाई की जा रही है। कुमारसैन के लाठी गांव में विद्या देवी नामक महिला का घर तबाह कर दिया है । उसके सेब के पेड़ काट दिए है। इसी तरह की स्थिति रामपुर बुशैहर में भी हो रही है।
ने कांग्रेस सरकार पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का इस्तेमाल अपने राजनैतिक विरोधियों से खुन्नस निकालने के लिए कर रही है। उच्च न्यायालय के इस निर्देश के बावजूद कि इस मामाले में छंटनी कर कार्रवाई करना गलत है, के बावजूद सरकार इस तरह से पक्षपातपूर्ण कार्रवाई कर रही है। सरकार जिन लोगों के साथ असहज महसूस कर रही है उनके खिलाफ साजिश के तहत कार्रवाई हो रही है। राकेश सिंघा ने आनी के बछौर, कुमारसेन के लाठी और रामपुर के बहाली गांव के उदाहरण देते हुए कहा कि यहां सरकार के कार्रवाई न करने के वायदे बावजूद लोगों पेड़ों की छांग की गई और घर तोड़ा गया। बहाली पंचायत का उदाहरण देते हुए राकेश सिंघा ने कहा कि यहा सरकारी ज़मीन पर बने तालाब के इर्दगिर्द पंचायत ने वृक्षारोपण के दौरान सेब के पौधे लगाए थे जिसके फलों की आमदनी पंचायत को जाती थी और पंचायत के विकास पर लगाई जाती थी, सरकार की अतिक्रमण हटाओं की मुहिम का शिकार होकर यहां भी पौधे काटे गए।
राकेश सिंघा ने कहा कि पिछले 27 अगस्त को किसान-बागवान संगठनों की रैली के दबाव में मुख्यमंत्री इस मुद्दे पर उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने और किसानों की 10 बीघा तक की ज़मीन को नियमित करने की बात तो कही थी लेकिन वह सिर्फ किसानों को गुमराह करने के लिए खेला गया दाव था वरना 27 अगस्त से अब तक कोर्ट में इस मामले पर दो बार सुनवाई हो चुकी है लेकिन सरकार ने वादे के मुताबिक अब तक कोर्ट में यह हलफनामा दायर नहीं किया है कि जब तक सरकार इस मुद्दे पर कोई नीति नहीं लाती, कोर्ट किसानों की बेदखली की कार्रवाई को रोक दे। सिंघा ने सरकार के इस वायदे को जुमला और पंचायती राज के लिए चुनावी दाव करार दिया।
हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डाॅ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा किसान-बागवान संगठन इस मुद्दे पर 16 नवम्बर को शिमला के सब्ज़ी मण्डी ग्राउंड में विशाल जनसभा आयोजित करेंगे और अगर तब भी किसानों को राहत न मिली तो 30 नवम्बर से अवज्ञा आन्दोलन शुरू किया जाएगा।
डाॅ. तंवर ने कहा कि प्रदेश के हर घर के आंगन में गाय बांधने और हर पंचायत में गौसदन बनाने की बात तो कही जा रही है लेकिन इसकी व्यावहारिकता को लेकर सरकार के पास कोई योजना नहीं है कि इसके लिए घास-चारे का प्रबन्ध कौन करेगा, ज़मीन कहां से आएगी और इसकी देखभाल कौन करेगा, इस सब के लिए संसाधन कहां से आएंगे। एक तरफ किसानों की ज़मीन से बेदखली हो रही है और दूसरी तरफ वन विभाग जंगलों को जनता के लिए नये-नये नियम बनाकर बन्द करता जा रहा है और जंगलों के हकों से उनकी बेदखली करता जा रहा है। ऐसे में पंचायत और परिवार कैसे पशुओं को पाल सकते हैं।
कुलदीप तंवर ने कहा कि गाय को पालना और संरक्षित करना भावनात्मक मसला नहीं है बल्कि यह व्यावहारिकता का सवाल है और घास-चारे के पुख्ता इंतज़ाम किए बगैर नहीं हो सकता। डाॅ. तंवर ने कहा कि यह बहुत ही हास्यस्पद है कि जिन विश्वविद्यालयों को किसानों के हक में शोध और नई तकनीकें विकसित करनी चाहिए वे गऊ सदन चला रहे हैं।
इस मौके पर नावर वैली फल एवं सब्ज़ी उत्पादक संघ पुजारली-4 रोहड़ू के अध्यक्ष सुन्दर सिंह नेंटा और किसान सभा जिला शिमला इकाई के कोषाध्यक्ष जयशिव सिंह ठाकुर भी मौजूद रहे।
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