शिमला।देश में अच्छे एडिटरों की कमी हो गई । गुटखा व शराब बेचने वाले कई जगह संपादक बन गए है।ये दुर्भाग्य है। ये किसी और ने नहीं, देश के जाने माने काटूर्निस्ट इरफान खान ने कह कर मीडिया की स्थिति को जगजाहिर किया । उन्होंने कहा कि विश्वभर में तानाशाह सरकारों का पर्दाफाश करने में कार्टूनिस्टों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है!इरफान खान इन दिनों जनसता अखबार में कार्टूनिस्ट है। उन्हीं की तरह दैनिक हिंदुस्तान के सलाहकार व वरिष्ठ कार्टूनिस्ट राजेंद्र ढाडोपकर ने कहा कि मीडिया का कंट्रोल मीडिया वालों के हाथ में नहीं रह गया है,ये मालिक या मैनेजमेंट के हाथ आ गया है।मीडिया की स्थिति कभी भी अादर्श स्थिति नहीं रही है और संभवत: ये सिलसिला आगे भी चलता रहेगा।
दुनियाभर के अखबारों से हाशिए पर धकेली जा रही कार्टूनों की विधा के ये दोनों बड़े हस्ताक्षर राजधानी शिमला में ‘कार्टूनिंग एवं व्यंग्य चित्रों का प्रभाव एवं अभिव्यक्ति का एक माध्यम’ विषय पर सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय प्रेस दिवस समारोह में बोल रहे थे।
राजेन्द्र ढोडापकर ने व्यंग्य करते हुए कहा कि असल में कार्टून बनाना आलसी लोगों की विधा है।एक वाक्य में ही वो बहुत कुछ बोल देता है।उसमें हजार शब्द नहीं होते पर एक सूत्र होता है और पाठक हजार शब्द खुद सृजित कर लेता है।वो पाठकों की डेमोक्रेसी को व्यक्त करता है।ये जनतांत्रिक विधा है।देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के योगदान को याद करते हुए कहा कि उन्हें देश के लिए जनतंत्र व धर्मनिरपेक्षता जैसी दो बेमिसाल चीजें दी हैं। इसकी कीमत आज पता चल रही है।उन्होंने कहा कि काटूनिस्ट पत्रकारों के बीच आर्टिस्ट होता है और आर्टिस्टों के बीच पत्रकार होता है।कार्टून में हास्य होना चाहिए। लोग हंसे हंसी भी दो तरह की होती है । एक बच्चे की तरह निश्चल हेसी और दूसरी प्रतिरोध कीहंसी। काटूर्निस्ट की हंसी प्रतिरोध की हंसी होती है।कार्टूनिस्ट वअसरवादी होता है। लेकिन अवसरवादिता विचित्र होती है। वह हमेशा सता के खिलाफ होता है ।
उन्होंने कहा कि कार्टून आम आदमी की कहानी है।जिसकी सता होती है वो उसे भव्य दिखाना चाहता है,वो उसे महान दिखाना चाहता है।
चैप्लिन ने कहा था कि ”हम इसलिए हंसते है कि हम रो नहीं सकते”।उन्होंने कहा कि डेमोक्रेसी के बिना कार्टूनिस्ट नहीं हो सकता।बड़े जो बंद सोसायटी में ही बने है।क्योंकि वहा सबवर्सिव एक्टिविटीज जमीन केनीचे चलती रहती है।
उन्होंने कहा कि जैसा जर्नालिज्म होगा वैसा ही कार्टून भी होगा।इस वक्त दुनिया भर में कार्टनिस्टों के लिए अच्छा वक्त नहीं है।लेकिन वक्त बदलेगा और डिजिटल दुनिया में बहुत स्कोप होंगे।उन्होंने कहा कि कार्टूनिस्ट अब दुर्लभ मिलते है,उन्हें कोई ग्रुम करने वाला चाहिए।
जनसता के संपादकीय कार्टूनिस्टइरुान ने कार्टूनों की ताकत का जिक्र करते हुए कहा कि लक्ष्मण को कार्टूनों की वजह से इंमरजेंसी के दौर में कहा गया कि मॉरिशस चले जाओें और वो वहीं रहे। उन्होंने कहा कि कार्टूनों से सरकारों की नींद हराम हो जाती है।दुनिया में बहुत से देश है जहां लोकतंत्र के नाम पर सरकारें तानाशाही चला रही हैं। ईरान में एक तेरह साल की बच्ची को इसलिए सजा दे दी गई क्योंकि उसने ऐ कार्टून बनाए थे कि वो अपने देश के नेताओं को कैसे देखती है।ऐसे में तानाशाही जहां बढ़ेगी वहां कार्टूनिस्ट का काम बढ़ जाता है।उन्होंने कहा कि कार्टूनिस्ट को अपने काम दुरुपयोग नहीं करना चाहिए अगर दुरुपयोग होता है तो उसका अंजाम भी बुरा होता है।
उन्होंने विवादास्पद बात कहते हुए कहा कि फ्रांस की शार्ली एब्दों मैगजीन ने अपने काम का दुरुपयोग किया जिससे एक बड़े समुदाय की भावनाएं आहत हुई और हमला हो गया।हालांकि उन्होंने जोड़ा कि जिन्होंने हत्याएं की उन्होंने भी ठीक नहीं किया । अभिव्यक्ति की आजादी को रोकने के कई तरीके होते है।
मौजूदा असहिष्णुता के मामलों पर पूछे एक सवाल पर उन्होंने कहा कि अब प्रतिक्रिया जल्दी व खतरनाक व अजीब तरह की होती है।कई बार गालियों से अभिनंदन शुरू हो जाता है।उन्होंने कहा कि कार्टूनिस्ट को धर्म को लेकर कार्टून नहीं बनाने चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश सभरवाल को लेकरएक कार्टून बनाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामला झेल रहे इरफान खान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पर भी कार्टून नहीं बनाने चाहिए।
स्थिति को जरा संभालते हुए राजेंद्र ढोडापकर ने कहा कि व्यक्तिगत तौर धर्म की आलोचना करने के पक्ष में है इस्लाम से लेकर बाकी धर्मों में भी आलोचना की परंपरा रही है।
इर फान खान ने समाज में बदल रही स्थिति पर रोशनी डालते हुए कहा कि अब व्यक्ति पर कार्टून बनाना मुश्किल हो गया है। एकदम प्रतिक्रियाआ जाती है कि फलां का बनाया ,फलां का क्यों नहीं बनाया।इसके अलावा कई जगहों पर तो आजादी पर पांबदी लगा दी गई है। मालिक व संपादक पाबंदी लगा देते है कि फलां का कार्टून नहीं बनाना है।इस तरह का चलन बढा है।कई जगहों टू जी और खदानों पर कार्टून बनाने पर पाबंदी लगा दी थी।यहां पर रोजेंद्र ढोडापकर ने जोड़ा कि मीडिया में तो गाली खाने के लिए ही रहते है।
इस मौके पर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने अधिकांश मीडिया को जिम्मेदार बताया व कहा कि समाचार आज के दौर में जीवन का एक हिस्सा हैं, जिनका व्यापक प्रभाव पड़ता है।देश में मौजूदा समय में अनेक घटनाक्रम हो रहे हैं तथा देश प्रगति एवं विकास के मार्ग पर अग्रसर है। अन्य देश भारत के सामाजिक एवं राजनीतिक विकास को जानने का इच्छुक है।मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रेस न केवल जन राय बनाने में सहायक है बल्कि मूल मुद्दों को सामने लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
अवार्डों कीराशि बढ़ाई-:वीरभद्र सिंह ने प्रदेश सरकार द्वारा हर वर्ष दिए जाने वाले राष्ट्रीय विकासात्मक पुरस्कार की राशि को 50 हजार रुपये से बढ़ाकर एक लाख रुपये तथा राज्य पुरस्कार राशि को 40 हजार से बढ़ाकर 75 हजार रुपये करने की घोषणा की। उन्होंने इलैक्ट्राॅनिक मीडिया के लिए पुरस्कार राशि को बढ़ाकर 50 हजार रुपये तथा जिला स्तरीय विकास पत्रकारिता पुरस्कार की राशि को भी बढ़ाकर 50 हजार रुपये करने की भी घोषणा की।
जो सबसे ज्यादा खामोश रहता है वो सबसे ज्यादा बोलता है-: इस मौके पर प्रदेश के सूचना व लोक संपर्क मंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कार्टूनों व कार्टूनिस्टों की ताकत के संदर्भ में कहा कि जो सबसे ज्यादा खामोश रहते हैं वो सबसे ज्यादा बोलता है।चुप्पी से डर लगता है।उन्होंने कहा कि सोशल मीडिया पर नियंत्रण की बात होनी चाहिए। किसी की इज्जत ऐसे ही नहीं उछाल दी जानी चाहिए।उन्होंने कहा कि अगले साल पत्रकारिता को लेकर प्रदेश में नेशनल कंवेंशन आयोजित की जाएगी। साथ ही मीडिया में सरकार की आलोचना को लेकर उन्होंने जोड़ा कि आप कुछ भी कर लें हम ऊफ नहीं करते। अग्निहोत्री ने कहा कि प्रेस डे की प्रासगिकंता को बढ़ाने के लिए इस समारोह में कई आयाम जोड़े जाएंगे।
सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के निदेशक डाॅ. एम.पी. सूद ने मुख्यमंत्री तथा अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर प्रकाश डाला। उन्होंने कार्यक्रम की विस्तृत जानकारी दी तथा मीडिया कर्मियों को बधाई दी।
प्रेस क्लब शिमला के अध्यक्ष ज्ञान ठाकुर ने उद्योग एवं सूचना एवं जन सम्पर्क मंत्री मुकेश अग्निहोत्री को सम्मानित किया।
वन मंत्री श्री ठाकुर सिंह भरमौरी, हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम के उपाध्यक्ष श्री केवल सिंह पठानिया, संपादक एवं अन्य पत्रकार, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के निदेशक डाॅ. एम.पी. सूद ने मुख्यमंत्री तथा अन्य अतिथियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर प्रकाश डाला। प्रेस क्लब शिमला के अध्यक्ष ज्ञान ठाकुर ने उद्योग एवं सूचना एवं जन सम्पर्क मंत्री मुकेश अग्निहोत्री को सम्मानित किया।
वन मंत्री श्री ठाकुर सिंह भरमौरी, हिमाचल प्रदेश राज्य वन विकास निगम के उपाध्यक्ष केवल सिंह पठानिया, संपादक एवं अन्य पत्रकार, सूचना एवं जन सम्पर्क विभाग के वरिष्ठ अधिकारी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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