शिमला। कांगड़ा से 2 व 3 जनवरी की रात से लापता एक पिता की नाबालिग लड़की को खोज पाने में देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट के आदेश नाकाम हो गए है।इस नाबालिग पिता के मानना तो यही है।ये पिता हिमाचल हाईकोर्ट के आदेश से संतुष्ट न होकर हिब्बस कार्पस के तहत सुप्रीम कोर्ट अपनी बेटी को खोज निकालने की फरियाद लेकर गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 मई को डीजीपी को आदेश दिया कि वो 27 मई तक इस नाबालिग को हाईकोर्ट में पेश करे।लेकिन मजे की बात है कि 27 मई को न तो ये नाबालिग हाईकोर्ट में पेश हुई और न ही डीजीपी और एसपी हाईकोर्ट में पेश हुए।हाईकोर्ट में जस्टिस सुरेंद्र सिंह व राजीव शर्मा की खंडपीठ ने इसका कड़ा संज्ञान लेते हुए डीजीपी को शो कॉज नोटिस जारी किया।अदालत ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की चिंताओं के बावजूद डीजीपी ने आईजी कांगड़ा को एक चिटठी लिखने के अलावा कुछ नहीं किया। जबकि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के नाबालिग लड़की को ढूंढने के लिए पुलिस को जमीन-आसमान एक कर देना चाहिए था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि सरकार इस मामले में एसपी कांगड़ा के सुपरविजन में एक टीम गठित करे और अगली सुनवाई तक लड़की को अदालत में पेश करे। साथ ही एसपी कांगड़ा को हरियाणा में अपने कांउटर पार्ट से भी सहयोग करने के निर्देश दिए।अदालत ने साथ ही पूरी स्टेटस रिपोर्ट अदालत में पेश करने के निर्देश दिए।
27 मई के बाद मामला 11जून को लगा ।उसके बाद मामला 12 जून को लगा व पुलिस ने कहा कि वो लड़की को नहीं ढूंढ पाई है। 13 जून को हाईकोर्ट की जस्टिस डीडी सूद व जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने ऑब्जर्ब किया पुलिस इस लड़की को ट्रेस नहीं कर पाई है।चूंकि लड़की के पिता धर्मशाला थाने में दर्ज एफआईआर व सुप्रीम कोर्टव हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा था कि उसकी बेटी को सेना की 235 इंजीनियरिंग रेजीमेंट में तैनात यशपाल आर्य,पुत्र भूप सिंह निवासी गोबिंदपुरी रेवाड़ी हरियाणा भगा कर ले गया है।इसलिए खंडपीठ ने स्टेशन कमांडर आर्टर्टेक को निर्देश दिए कि वो लड़की को ढूंढने में सहयोग करे।
मामले की 23 जुलाई को सुनवाई हुई व सेना की ओर से कहा गया कि यशपाल सेना से 31 दिसंबर 2012 से लापता है और उसे भगौड़ा घोषित कर दिया गया है।लड़की के भगा कर ले जाने के बाद लड़की के पिता ने कांगड़ा में एफआईआर दर्ज कराई थी। लेकिन पुलिस की ओर से कुछ नहीं हुआ। इसलिए उसने 1 मई को हाईकोर्ट ने याचिका दायर की। हाईकोर्ट ने एसपी कांगड़ा से जवाब दाखिल करने के निर्देश दिया।
लड़की के पिता हाईकोर्ट के इस आदेश से संतुष्ट नहीं हुए और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी थी।आज सात महीने बाद इस पिता को अपनी बेटी का ठिकाना नहीं मिला है।
कांगड़ा के योल में तैनात सेना का एक जवान कांगड़ा से 2 व तीन जनवरी की रात को इस नाबालिग को भगा कर ले गया।इससे पहले भी सेना का ये जवान13 अप्रैल 2012 को लड़की को भगा कर ले गया।योल से वो लड़की को मंडी लग या और वहां से दिल्ली ले गया। एफआईआर दर्ज हुइ्र। लेकिन पुलिस की ओर से कुछ नहीं हुआ । माता पिता ने लड़की को दिल्ली से वापस ले आए।इस जवान के माता पिता भी साथ थे। तब मामला समाप्त हो गया। लेकिन बड़ा सवाल छोड़ गया कि ये सब करने पर सेना ने जवान के खिलाफ क्या किया।कहा गया कि सेना ने यूनिट को आसाम भेजा था। ऐसे में सेना का कोई जवान नाबालिग लड़की भगा ले जाए और यूनिट से गायब रहे,सेना पर सवाल उठाता है।
लड़की के पिता का कहना है कि 2012 में एक बार भगा ले जाने के बाद ये जवान दोबारा अक्तूबर 2012 को योल आया। लड़की के घरवालों ने इस पकड़कर पुलिस के हवाले किया। कार्रवाई कोई नहीं हुई।लड़की के पिता याद करते हुए कहते है कि तब पुलिस के एएसआई ने उससे कहा था कि ये जवान हिंदूस्तान का नागरिक है कहीं भी घूम सकता है।कोई वारदात तो नहीं कर गया।
20 नवंबर 2012 को लड़की के पिता ने ईस्टर्न कमांड के जीओसी-इन-सी को चिटठी लिख कर सारा चिटठा लिख भेजा।इस पर कोर्ट आफ इंक्वारी चली। लड़की के पिता कहते है कि ये जवान वहां से भाग खड़ा हुआ और उसकी बेटी को जनवरी में भगा ले गया।सेना का हर आश्रय मिलता रहा।
चिटिठयां चिटठियां और चिटिठयां
जनवरी 2013 से लेकर अब तक अपनी बेटी को ढूंढने के लिए इस पिता ने ऐसा कोई दरवाजा नहीं था जिसे खटखटाया न हो।लेकिन हर जगह से चिटठी निकलती और पुलिस को कार्रवाई करने हिदायत देकर रुक जाती।
लड़की के पिता ने जनवरी 2013 में लड़की के लापता हो जाने के बाद 6 जनवरी 2013 को कमांडिंग ऑफिसर235 इंजीनियरिंग रेजीमेंट सी/ओ 99 एपीओ मिसीहार आसाम को चिटठी लिखी और अपनी बेटी ढूंढने की गुहार लगाई।कोई जवाब नहीं आया।
बेटी के लापता हो जाने के 43 दिनों के बादजब पुलिस की ओर से कहीं कुछ नहीं हुआ तब14 फरवरी को एसपी कांगड़ा को चिटठी लिखी । कोई जवाब नहीं आया।
15मार्च को हिमाचल महिला आयोग को चिटठी लिखी। महिला आयोग की चेयरपर्सन धनेश्वरी ठाकुर ने कहा कि आयोग ने कई जगह चिटिठयां लिखी थी ।उन्हें जवाब आया कि लड़की नहींमिली।
18 मार्च राष्ट्रीय महिला आयोग को चिटठी लिखी। कोई जवाब नहीं आया।25 मार्च को डायरेक्टर आईबी को चिटठी लिखी । कोई जवाब नहीं आया।इसी दिन सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह को चिटठी लिखी कोई जवाब नहीं।
2 अप्रैल को चाइल्ड हेल्पलाइन ने राष्ट्रपति, सीएम वीरभद्र सिंह और राज्यपाल उर्मिला सिंह को चिटठी लिखी।इस पर राज्यपाल ने प्रधान सचिव गृह को कार्रवाई के आदेश दिए। गृह विभाग से आज तक कोई जवाब नहीं आया।साफ है कि सरकार के सारे आर्गेन केवल आपचारिकताएं पूरी करने में रहते है। सब कुछ चिटिठयां लिख कर निपटाया जा रहा है।
लड़की के पिता ने 8 अप्रैल को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से गुहार लगाई।आयोग ने 17 मई को डीजीपी हिमाचल और देश के डिफेंस सेक्रेटरी को कार्रवाई करने के निर्देश दिए। दोनों जगहों से कोई जवाब नहीं आया।
इस मामले ने सवाल खड़ा कर दिया है कि हो सकता है ये जवान इस लड़की से प्यार करता हो । लेकिन क्या इसके लिए लड़की को भगा ले जाना वाजिब है। क्या कानून चुपके-चुपके भगा ले जाने का इजाजत दे सकता है। क्या अदालतें,पुलिस,सेना,महिला आयोग,और बाकी तमाम सारे आर्गंस इस तरह काम कर सकते है।
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