शिमला। किसान सभा के राज्य अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर व सचिव ओंकार शाद ने केन्द्र सरकार को अध्यादेश सरकार करार करार दिया। उन्होंने कहा कि जब से केन्द्र में भाजपा की सरकार बनी है तब से लेकर वह अध्यादेश ही जारी कर रही है। हाल ही में भूमि अर्जन अधिनियम को कारपोरेट घरानों और भूमाफिया के पक्ष में बदलने के लिए केन्द्र सरकार अध्यादेश लाई है जिससे किसानों की ज़मीन हथियाना बड़े उद्योगपतियों के लिए आसान हो जाएगा। शाद ने कहा कि हालांकि यूपीए सरकार द्वारा उक्त एक्ट में बदलाव पूरी तरह किसानों के पक्ष में नहीं था उसके बावजूद वह किसानों को न्यूनतम सुरक्षा देता था मगर अब तो सरकार ने इसे बिलकुल ही पलट दिया है।
उन्होंने कहा कि देश के किसानों और आम जनता के अच्छे दिनों का सपना बेचने वाली केन्द्र सरकार पूरी तरह जन विरोधी फैसले ले रही है और देश को अन्दरखाते पूंजीपतियों के हाथों में सौंप रही है। प्रदेश के किसानों को सेब पर आयात कर बढ़ाने और सब्जियों पर समर्थन मूल्य देने का वादा करके मोदी केन्द्र में जाकर सभी वादे भूल गए और संसद में बैठे प्रदेश के नुमाइंदे भी उन्हें उनके द्वारा किए गए वादों की याद दिलाने की हिम्मत नहीं कर पा रहे।
किसान सभा ने सभी मुद्दों पर राज्य व्यापी संघर्ष और आन्दोलन चलाने का फैसला लिया है। इसकी शुरुआत आगामी 13 फरवरी को मनरेगा पर राज्य स्तरीय अधिवेशन से की जाएगी।
किसान सभा ने साल 2015-16 के लिए संगठन की सदस्यता को प्रदेश के दो तिहाई हिस्से तक बढ़ानेे और एक लाख तक ले जाने का लक्ष्य रखा है।
हिमाचल किसान सभा की राज्य स्तरीय बैठक के बाद किसान सभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि प्रदेश में बढ़ रहे जंगली जानवरों का कहर अब किन्नौर सहित 11 जिलों को प्रभावित कर रहा है। इसमें न सिर्फ बंदर और लंगूर शामिल हैं बल्कि जंगली सूअरों की बढ़ती तादाद, खरगोश और सहल सहित कण्डी क्षेत्र में नीलगाय, हिरण जैसे जानवर भी फसलों को बहुत ज्यादा नुकसान कर रहे हैं।
दूसरी तरफ न्यायालय में लंबित मामले में पिछले चार सालों से तारीखों पर तारीखें लग रही हैं और वन विभाग और सरकारी वकील माननीय न्यायालय के समक्ष सही पक्ष रखने में न तो गंभीर हैं और न ही सफल हो पा रहे हैं। डाॅ. तंवर ने कहा कि एक्ट में प्रावधान के बावजूद उत्पाती जंगली जानवरों को वर्मिन घोषित करने में भी सरकारें विचार नहीं कर रही हैं।
किसान सभा अध्यक्ष ने कहा कि कृषि फसलों को नुकसान करने वालों में आवारा-नकारा पशु भी शामिल हो गए हैं। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस समय 32 हजार पशु आवारा हैं और प्रदेश में बने गौसदनों में केवल एक चौथाई पशुओं के रखने की क्षमता है। किसान सभा इस खमता को बढ़ाने के लिए सरकार पर दबाव बनाएगी।
डाॅ. तंवर ने मनरेगा पर घटे बजट को भी ग्रामीणों की आजीविका पर हमला करार दिया।
उन्होंने कहा कि बजट घटने से उन जिलों के लोगों को ज्यादा नुकसान हुआ है जहां अभी भी पारंपरिक फसलें उगाई जा रही हैं। मनरेगा कामगारों में 65 फीसदी महिलाएं काम कर रहीं थी जिनका रोज़गार मनरेगा का बजट घटने से प्रभावित हुआ है। उन्होंने कहा कि स्थिति यह है कि न तो नये काम मिल रहे हैं और न ही पुराने काम की दिहाड़ी का भुगतान हो रहा है।
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