शिमला। हिमाचल प्रदेश टूरिज्म डवलपमेंट कारपोरेशन में फर्जी डिग्री कांड में कारपोरेशन के अफसरों की ओर से एफआईआर दर्ज न किए जाने से मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह से लेकर निगम के उपाध्यक्ष हरीश जनारथा,अतिरिक्त मुख्य सचिव टूरिज्म वी फारका और कारपोरेशन के एमडी मोहन चौहान की भूमिकाएं सवालों में आ गई है। इसके अलावा निगम के एम डी की ओर से जारी किया गया पब्लिक नोटिस में इस्तेमाल किए गए टर्मिनेशन शब्द को लेकर भी सवाल उठ गए है।
मामला दिसंबर 2014 के आखिरी सप्ताह में मुख्यमंत्री के नोटिस में ला दिया गया था। जब ये मामला मुख्यमंत्री केनोटिस में लाया गया था उस समय उदयोग मंत्री मुकेश अग्निोहोत्री व बाकी मंत्री भी मुख्यमंत्री के पास ही बैठे थे। तब मुख्यमंत्री ने खुद कहा था किये गिरफतारी का मामला है। इसके बाद निगम के बोर्ड की 26 दिसंबर को हुई बैठक में ये मामला खूब गूंजा था। लेकिन 26 दिसंबर से लेकर अब तक निगम के अफसरों ने इस मामले में एफआईआर दर्ज नहीं की है। निगम ने अपनी एक टीम दिल्ली इग्नू भेजी और वहां के रजिस्ट्रार ने लिख कर दे दिया कि इग्नू ने कोई डिग्री जारी नहीं की है। ये जानकारी मिल जाने के बाद भी निगम ने एफआईआर दर्ज नहीं की है।चूंकि ये जानना जरूरी है कि ये फर्जी डिग्रियां बनी कहां थी। फर्जी डिग्रियां बनाने में कौन कौन शामिल थे। सारा खेल कहीं बाहर खेला गया या शिमला में ही सब कुछ हुआ।क्या इस धंधे में इग्नू या जिस संसथान की ये डिग्रयिां है वहां से भी कोई शामिल है या मुन्ना भाइयों ने अपने ही स्तर पर धंधा चलाया हुआ है।ये सब काम विजीलेंस का है ।हालांकि विजीलेंस के पास ये मामला पहले ही है। लेकिन फ्राड निगम से हुआ है इसलिए कायदे से निगम की ओर से एफआईआर होनी चाहिए थी।लेकिन लगता है कि निगम के अफसर इस तरह का कोई पर्दा उठाना नहीं चाहते है।
पूर्व की धूमल सरकार में 2010 में पर्यटन निगम में तीन सहायक मैनेजरों को लिमिटेड डायरेक्ट रिक्रूटमेंट स्कीम के तहत नियमित नियुक्तियां दी गई। ये सकीम ही बैकडोर एंट्री के लिए थी और इसके खिलाफ उस समय ही धूमल ,राज्यपाल और बोर्ड को अवगत करा दिया गया था। इन तीन में से एक दीपक कंवर निगम में ही अधिकरी रहे बलदेव कंवर का बेटा था। बलदेव कंवर के हिमाचल भवन चंडीगढ़ भवन का कर्ताधर्ता रहते हुए वीरभद्र सिंह की जासूसी का मामला उछला था।
दीपक कंवर इन दिनों कहा है ये भी किसी को पता नहीं है। लेकिन बीते दिनों निगम के महाप्रबंधक योगेश बहल से इस बारे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उनकी जानकारी के मुताबिक वो किन्नर कैलाश होटल कल्पा में नौकरी पर है। निगम के अफसर कुछ और ही खेल खेल रहे है।
दीपक कंवर की व अन्यों की फर्जी डिग्री का भंडा फूट जाने के बाद निगम के अफसरों ने 6जनवरी को दीपक कंवर से अपने मूल प्रमाण पत्र लेकर मुख्यालय में लेकर आने के आदेश दिए और एक चिटठी उसके घर और एक जहां उसकी तैनाती है,वहां को भेज दी। उसे अपनी स्थिति स्पष्ट करने को भी कहा गया लेकिन कहीं से कोई जवाब नहीं आया। उसे संस्पेंड भी नहीं किया गया है। अब एमडी ने उसे 27 जनवरी तक अपने सर्टिफिकेट व अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए पब्लिक नोटिस जारी किया गया है। ये पब्लिक नोटिस आज बुधवार के अखबारों में छपवाया गया है।
मजे की बात है के इस पब्लिक नोटिस में कहा गया है कि अगर27 जनवरी तक दीपक कंवर ने अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं की तो उसे टर्मिनेट की कार्यवाही शुरू कर दिया जाएगा। कानूनविद टर्मिनेशन शब्द के इस्तेमाल को लेकर सवाल उठा रहे है। कानून के मुताबिक अगर किसी को सरकारी नौकरी से टर्मिनेट किया जाता है तो उसके दोबारा सरकारी नौकरी में लगने के चांस रहते है।सूत्रों की माने तो कंवर के राजनीतिक कनेक्शन है और सरकार बदलने के बाद वह दोबारा कहीं सरकारी नौकरी हासिल कर सके इसीलिए अफसरों ने तकनीकी तौर पर टर्मिनेशन शब्द का इस्तेमाल किया है।जबकि कायदे से फ्राड करने के मामले में इसे डिसमिस किया जाना चाहिए था।
पर्यटन निगम में फर्जी डिग्री का इतना बड़ा कांड हो गया है लेकिन बाहर कहीं कोई कानों कान खबर नहीं है। यहां तक कि 26 दिसंबर को बोर्ड की मीटिंग की प्रोसीडिंग में से जो भाग मीडिया को जारी किया गया उसमें से इस फर्जी कांड को गायब कर दिया गया ।इससे पहले भी बोर्ड की बैठकों में कई कांड गूंजते रहे है। लेकिन उन्हें जानबूझ कर मीडिया को जारी नहीं किया जा रहा है। इससे पहले बोर्ड के डायरेक्टर वीरेंद्र धर्माणी की अध्यक्षता में एक कमेटी बनी व उन्होंने अपनी रिपोर्ट दी।लेकिन इसे भी सर्वाजनिक नहीं किया गया।धर्माणी उना जिला कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भी है।सारे काले कारनामों को छिपाने का काम चल रहा है।वो भी उस निगम जिसके बोर्ड के अध्यक्ष वीरभद्र सिंह खुद है।
यहां यह उल्लेखनीय है कि पयर्टन निगम बोर्ड के अध्यक्ष मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खुद है। जबकि उपाध्यक्ष उनके लाडले व शिमला से आगामी विधानसभा चुनाव मेंपार्टी टिकट केदावेदार हरीश जनारथाहै। आईएएस अफसरों में मोहन चौहान एमडी है तो वीसी फारका अतिरिक्त मुख्य सचिव टूरिज्म है।इन्हीं सभी ने एफआईआर दर्ज करने का फैसला लेना है। लेकिन ये फैसला नहीं लिया जा रहा है।जिससे इन सबकी भूमिकाओं पर सवाल उठ गए है।उधर,ये भी कहा जा रहा है कि कंवर को देश से बाहर जाने का समय दिया जा रहा है।ताकि वो पुलिस की पकड़ में न आ सके और एफआईआर दर्ज न करना उसी रणनीति का एक हिस्सा है।चूंकि 22 दिसंबर 2014 को ये सारा क्राइम इन सबके नोटिस में आ गया था और इग्नू के रजिस्ट्रार ने भी कंफर्म कर दिया है कि डिग्री फर्जी है।इसके बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं हुई है।
इस मामले में जब निगम के महाप्रबंधक योगेश बहल से पूछा गया कि इस मामले में कंवर को सस्पेंड किया हैया नहींऔर एफआईआर दर्ज हुई है या नहीं तो बहल ने कहा वो इस मामले सेडील नहींकररहेहै ।एम से पूछे। एमडी मोहन चौहान बाहर है। उन्होंने कहा कि उनसे कल बात हो कसती है।बहल मोहन चौहान केबाद दूसरे नंबर पर बड़ेअफसर है।खेल साफ है कि कोई आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने को तैयार नहीं है।इससे पहले निगम के उपाध्यक्ष हरीश जनारथा भी कह चुके है वो रिपोर्ट आने के बाद कांफ्रेंस करेंगे। लेकिन अब तो पब्लिक नोटिस भी छपवा दिया है।उनकी तरफ से भी कुछ नहीं कहा जा रहा है।
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