शिमला। मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर जहां प्रधानमंत्री ने अपने सारे मंत्री व भाजपा को कामयाबी का प्रचार करने के लिए लगा दिया है वहीं कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने भी अपने मार्शलों को भी एक साल की मोदी सरकार की नाकामियों को जनता के बीच ले जाने के लिए उतार दिया है।सोनिया और राहुल के ये मार्शल इन दिनों देश के अलग अलग भागों में जाकर मोदी सरकार की नाकामियों को मीडिया में उछाल रहे हैं। इस कड़ी में पूर्व मंत्री व कांग्रेस के प्रवकता जतिन प्रसाद ने आज सोमवार को शिमला में मोदी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी ने अर्थशास्त्रियों और भारतीय उद्योग को नए आर्थिक ब्लूप्रिंट का सपना दिखाया था। एक साल बीत चुका है।आर्थिक ब्लूप्रिंट,सुखियां आकर्षित करने वाला प्रिंट बन गया है। उन्होंने सरकार को सुर्खियां आकर्षित करने वाली सरकार बना दिया है, न कि निवेश बढ़ाने वाली सरकार।
एक मजबूत अर्थव्यवस्था का किया कांग्रेस ने निर्माण
वैश्विक मंदी और भाजपा के नकारात्मक अभियान के बावजूद कांग्रेस की यूपीए सरकार के 10 सालों ;2004 से 2014द्ध के दौरान भारत में सर्वाधिक आर्थिक वृद्धि हुई।
अवसर गंवाए, मौके खोए. देश को वित्तीय दिशाहीनता की ओर धकेला
प्रसाद ने कहा किदेश को विकास के मार्ग पर ले जाने के लिए मोदी सरकार के पास न तो आर्थिक दूरदृष्टि है, और न ही रजस्व संबंधी दिशा और वित्तीय समझदारी। वरिष्ठ भाजपा नेता और मोदी के सलाहकार अरुण शौरी ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि सरकार आर्थिक तौर से दिशाहीन है।
कारपोरेट और उद्योग मोदी के जादू में विश्वास खो रहे हैं
वाकपटुता के मुकाबले मोदी सरकार की वास्तविक आपूर्ति में इंडिया इंक का विश्वास खो रहा है। दिसंबर की तिमाही में सीमेंट उद्योग में शून्य वृद्धि दर्ज की गई और कुल लाभ 26 प्रतिशत घट गया। मार्च 2015 में सीमेंट उद्योग के उत्पादन में 4.2 प्रतिशत की कमी आई। इंजीनियरिंग कंपनियों में बिक्री में शून्य वृद्धि दर्ज की जा रही है। रियल इस्टेट सेक्टर में नकारात्मक विकास हो रहा है।
पिछले साल के मुकाबले 2015 में निर्यात में 11 प्रतिशत से अधिक की कमी आई है।
मार्च 2015 की तिमाही में 315 बड़ी कंपनियों की कुल बिक्री में 2014 के मुकाबले 7 प्रतिशत की कमी आई है। यहां तक कि कच्चे माल और बिक्री का अनुपात भी मार्च 2015 में 40 प्रतिशत रहा, जो पिछले दो सालों में सबसे कम है।उन्होंने कहा कि दीपक पारिख, चेयरमैनए एचडीएफसी बैंक ने हाल ही में कहा कि कारोबार आसान बनाने के लिए जमीनी स्तर पर कोई बदलाव नहीं आया है।
उद्योग की दो नई चिंताएं सामने आई हैं। पहली है पुरानी तारीखों पर टैक्स की मांग के रूप में क्स आतंकवाद। विदेशी संस्थागत निवेशकों के शोरगुल के कारण इसके लिए एक कमेटी का गठन कर दिया गया है। दूसरी चिंता हैए भाजपा व संघ परिवार के अनियंत्रित व बेलगाम नेताओं की जो एक पूर्वनिर्धारित एजेंडा के तहत् सामाजिक भाईचारे को तोड़ने में लगे हैं, इसके कारण निवेशकों को गलत संदेश मिल रहा है।
रोजगार का नाश
2014 के आखिर में वेतन बढ़ोत्तरी गिरकर मात्र 3.8 प्रतिशत रह गई जो जुलाई 2005 के बाद सबसे कम है। यह उपभोक्ता मुद्रास्फीति से काफी कम है। प्रमुख मजदूरी आधारित क्षेत्रों. टेक्सटाई, लेदर, मेटलए आॅटोमोबाईल, जेम्स एवं ज्वेलरी, परिवहन, आईटी.बीपीओए हैंडलूम और पाॅवरलूम में मंदी दिखने लगी है। साल में दो करोड़ नौकरियां देने के वायदे के साथ सत्ता में आई मोदी सरकार के पहले साल में केवल 17.5 लाख नौकरियां निर्मित हुईं। फैक्ट्रीज़ एक्ट, अपरेंटीसेस एक्ट और अन्य श्रम कानूनों को कमजोर बनाने के कारण मोदी सरकार के खिलाफ देशभर में प्रदर्शन किए जा रहे हैं। प्रदर्शन करने वाले विरोधी यूनियनों में भाजपा द्वारा स्पाॅन्सर्ड भारतीय मजदूर संघ भी है।
मेक इन इंडिया का छलावा
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया को एक राजनीतिक नारे के तौर पर लगातार इस्तेमाल किया है। परंतु मोदी सरकार ने उद्योगों को उत्पादन में अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा में बराबरी का दर्जा दिलवाने, इनवर्टेड टैक्स संरचना को बदलने, कच्चे माल की लागत पर नियंत्रण करने एवं लाॅजिस्टिक्स की स्थिति सुधारने बारे एक भी कदम नहीं उठाया।
जनवरी 2015 में निर्यात 23.88 बिलियन अमेरिकी डाॅलर तक गिर गया है, जो कि एक वर्ष पहले के 26.89 बिलियन अमेरिकी डाॅलर के निर्यात के आंकड़े से कम है। यहां तक कि कृषि क्षेत्र में गेंहूं, चावल और मक्का का निर्यात साल 2014-15 में 29 प्रतिशत या 135 लाख टन के बराबर घट गया है। दूसरी वस्तुओं जैसे चाय, काॅफी, तम्बाकू, मसाले आदि में भी नकारात्मक विकास हुआ है। यहां तक कि कुछ प्रमुख निर्यात की वस्तुएं जैसे मक्की, धागा, फार्मा, केमिकल्स और जेवरात सेक्टर का प्रदर्शन भी काफी खराब रहा है।
मेक इन इंडिया की एक सबसे बड़ी असफलता मल्टी बिलियन डाॅलर राफेल फाईटर जेट सौदा हैए जो नरेंद्र मोदी और फ्रांस की सरकार के बीच हाल में ही हुआ है। इससे पहले इसी सौदे को लेकर कांग्रेस सरकार ने एक पारदर्शी बिडिंग प्रक्रिया के द्वारा तीन साल से अधिक समय तक चर्चा की थी। इसके तहत फ्रांस से केवल 18 राफेल फाईटर विमान खरीदे जाने थे और बाकी के 108 विमानों का निर्माण तकनीक के हस्तांतरण समझौते के द्वारा हिंदुस्तान एयरोनाॅटिक्स लिमिटेड में किया जाना था। मोदी सरकार ने स्थापित डिफेंस खरीदी प्रक्रियाऔर रक्षा अधिग्रहण काउंसिल को नकार कर एकतरफा निर्णय लेते हुए फ्रांस से 36 राफेल फाईटर विमानों को खरीदने का निर्णय किया है। इसमें तकनीक के हस्तांतरण या एचएएल के द्वारा भारत में उनके निमार्ण का कोई उल्लेख नहीं किया गया। मोदी सरकार ने करोड़ों डाॅलर की इस सबसे बड़ी फाईटर विमान निर्माण डील को मेक इन इंडिया से मेक इन फ्रांस में तब्दील कर दिया।
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