शिमला।कोटखाई में सरकारी वनों से देवदार के पेड़ उखाड़ कर वहां पर सेब के बगीचे लगाने वाले स्थानीय लोगों के खिलाफ एक व्यक्ति की ओर लिखी गई चिटठी ने सरकार के बड़े बाबूओं को संकट में डाल दिया है। हाईकोर्ट ने इस चिटठी पर संज्ञान लेते हुए प्रधान सचिव वन,प्रधान सचिव राजस्व और वन विभाग के प्रधान मुख्य अरण्यपाल को दो जून को अदालत में हाजिर रहने के आदेश दिए है।इसके अलावा हाईकोर्ट ने इन तीनों के अलावा डीजीपी,निदेशक बागवानी,प्रधान सचिव आईपीएच ,शिमला के डीसी व एसपी के अलावा ठियोग के एसडीएम ओर डीएफओ को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।
चीफ जस्टिस मंसूर अहमद मीर और जस्टिस त्रिलोक चौहान ने ये आदेश जारी कर अब तक हुए नुकसान की रिपोर्ट देने केआदेश दिए है। मामले की आगामी सुनवाई दो जून को होगी।
चिटठी लिखने वाले व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि गांव चैथला,नागपुरी चैथला,करावेग चैथला और सेवग चैथला के करीब 40 वाशिंदों ने सरकार की करीब पांच सौ बीघा जमीन पर सेब के बगीचे लगा दिए है।इन लोगों ने सरकार की जमीन से देवदार के पेड़ काट कर ये बगीचे लगाए। इन में से कइयों ने इस जमीन पर एपल ग्रेडिंग, पानी के स्टोर टैंक और पैकेजिंग हाउस का निर्माण करने के लिए सरकार से वितीय सहायता भी ली है। चिटठी लिखने वाले ने ये भी कहा है कि सरकार ने इन अवैध कब्जाधारियों को बिजली और पानी के कनेक्शन भी दिए है।
अदालत ने इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए ये आदेश जारी किए है। इससे पहले प्रदेश हाईकोर्ट ने सरकार को छह महीने के भीतर हर तरह के अवैध कब्जों को तबाह करने के आदेशदिए थे। इस पर सरकार केबाबू क्या कर रहे है,इसका किसी को पता नहीं है।
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