शिमला। जिला सोलन के बागा में जेपी कंपनी की ओर से अवैज्ञानिक व अवैध तौर पर स्थानीय लोगों व सरकारी जमीन पर फेंके करीब दो लाख ट्रक मलबे को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेशों पर उठाने के लिए केवल दो टिप्पर लगा रखे हैं। ये एनजीटी के आदेशों की पालना है या एनजीटी का अपमान ये अलग मसला है लेकिन इस मामले पर जेपी कंपनी के अलावा प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार और उसके अफसर सवालों में आ गए है।सरकार व उसके अफसर एनजीटी के आदेशों की पालना किस तरह से करवा रहे है ये जेपी कंपनी की ओर से एनजीटी में दायर जवाब से जाहिर हो गया है।
जेपी कंपनी को एनजीटी ने 14 अगस्त 2014 को स्थानीय लोगों की याचिका पर अवैध रूप से लाखों टन फेंके मलबे को उठाने के आदेश दिए थे। इससे पहले प्रदेश हाईकोर्ट ने भी 9जनवरी 2012 को व15 मई 2013 को इस मलबे को उठाने के आदेश दिए थे।
एनजीटी में जेपी सीमेंट प्लांट की ओर से एनजीटी के आदेशों की अनुपालना को लेकर दायर अनुपालना रिपोर्ट में जो कहा गया है वो हैरान करने वाले ही नहीं कानून का मजाक उड़ाने वाला भी है।अनुपालना रिपोर्ट में कहा गया कि छह अप्रैल से 18 अप्रैल तक उसने इस मलबे को उठाने के लिए दो टिप्पर लगाए हैं।
इनमें से छह अप्रैल को एक टिप्पर ने15 फेरे और दूसरे ने 6फेरे लगाए। दूसरे ने 7 तारीख को एक ने नौ और दूसरे ने 7 फेरे लगाए। जबकि 8 तारीख को एक टिप्पर ने 11 व दूसरे ने केवल दो फेरे लगाए। ये सारा ब्योरा जेपी ने एनजीटी में खुद दायर किया है। नौ तारीख को तो एक ही टिप्पर लगाया आक्ैर उसने 8 फेरे लगाए। 10 तारीख कोदोनों टिप्परों ने पांच-पांच फेरे लगा कर एनजीटी के आदेशों का पालन करने का दावा किया है।
11 तारीख को एक टिप्पर काम पर आया और उसने भी केवल छह फेरे लगा कर इतिश्री कर ली।,15,16,17 व 18 को एक एक टिप्पर लगाए और इन्होंने क्रमश:3,11,11व छह फेरे लगाए।12 तारीख को एक टिप्पर ने नौ व दूसरे ने चार टिप्पर लगाए।
गौरतलब हो कि जेपी कंपनी की ओर से अवैध रूप से फेंके मलबे से स्थानीय लोगों की करीब 50 बीघा जमीन दब गई थी। इसके अलावा खडडों में पानी के स्त्रोत,डेढ दर्जन सिंचाई कूहलें ,दर्जन भर घराट,धार्मिक स्थल आदि अभी सब2009से दबे हुएहै।2011 में जमीन व स्थानीय लोगों के मकानों पर कई कई मीटर उंचा मलबा बिछ गया। स्थानीय लोग तब से लेकर अब तक सरकार व अदालतों के सामने फरियादी बन इस मलबे को उठाने की गुहार ल्रगा रहे हैं लेकिन अब दो टिप्परों से ये मलबा उठाया जा रहा है।
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