शिमला। दलित शोषण मुक्ति मंच ने सिरमौर में दलित नेता व आरटीआइ कार्यकर्ता केदार सिंह जिंदान की दिन दहाड़े की हत्या के बाद सरकार की ओर से मुआवजे व बाकी मांगों को लेकर सरकार की ओर मुंह फेर लेने के खिलाफ आंदोलन करने का एलान किया हैं।
मंच के समन्वयक ओम प्रकाश भारती ने कहा कि 8 दिसंबर को राजधानी में शिमला में दलित शोषण मुक्ति मंच एक राज्यस्तरीय अधिवेशन करेगी। जिसमे प्रदेश में दलित उत्पीड़न की समस्यायों के खिलाफ एक रणनीति बनाई जाएगी। इस अधिवेशन में देश की वमपंथी नेता व पूर्व सांसद सुभाषिनी अली सहगल शिरकत करेगी।
भारती ने कहा कि जिन्दान की हत्या के बाद राज्य सरकार ने जिन्दान के परिवार को उचित मुआवजा, एक व्यक्ति को नौकरी और जिन्दान की बेटियों को मुफ्त शिक्षा का वायदा किया था। जिसे आज हिमाचल की भाजपा सरकार मुहं फेरे हुए है। मंच शीघ्र ही इस पर लामबंदी करते हुए घोषित मुआवजे को देने के लिए आंदोलन करेगी।उन्होंने कहा कि ये वादाखिलाफी हैं।
इसके अलावा प्रदेश में दलित शोषण मुक्ति मंच दलितों के शोषण के खिलाफ और उनकी जायज मांग को लेकर आम दलितों को एक मंच प्रदान करेगा। इस बावत राजधनी शिमला में एक बैइक आयोजित की गई।
भारती ने कहा कि 1956 में देश के दलितों,अनुसूचित जातियों व अनुसूचित जनजातियों,,के लिए सवैधानिक आरक्षण शुरू किया गया। आज देश के 31मंत्रालयों की ओर से 584 स्कीमें चला कर इन्हें आरक्षण देने की बात की जा रही हैं। 2018-19 के वित्तवर्ष में केंद्र सरकार की ओर से लगभग 95 हजार करोड़ के कार्यो को करने की बातें की जा रही हैं। लेकिन जमीन पर कुछ भी लागू ही नही किया गया। आरक्षित वर्ग को इसका कितना फायदा हुआ किसी भी मंत्रालय या विभाग के पास इसका कोई जवाब ही नही है।
आज मंच की एक 25 सदस्यीय जिला स्तरीय कमेटी का गठन किया गया जिसमें ओम प्रकाश भारती को समन्वयक व सुरेंद्र सिंह तनवर को सह समन्वयक चुना गया
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