शिमला। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के खासमखास व प्रदेश वक्फबोर्ड अध्यक्ष के नाम पर भी अवैध कब्जे होने का आरोप लगाते हुए कहा है कि जिस संस्था के अध्यक्ष पर ही अवैध कब्जों का आरोप हो वह संस्था को अवैध कब्जों से क्या मुक्त करवा पाएगा।मोर्चा ने प्रदेश सरकार पर वक्फबोर्ड को बाहरी लोगों के हाथ देने का आरोप लगाया है।
मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष मुहम्मद राजबली, वक्फबोर्ड के पूर्व चैयरमैन मुनीर हुसैन ने कहा कि भाजपा के शासन काल के समय सरकार ने अल्पसंख्यक वर्ग के हित के लिए कई विकास योजनाओं को शुरू किया था। लेकिन प्रदेश में कांग्रेस की सरकार सता में आते ही भेदभाव की राजनीति शुरू कर दी। भाजपा के शासनकाल में जहां वक्फबोर्ड के अध्यक्ष सहित सभी सदस्य प्रदेश के निवासी थे। वहीं कांग्रेस के कार्यकाल में वक्फबोर्ड की कमान बाहरी लोगों के हाथ दे दी। हालत यह है कि आज वक्फबोर्ड अदरूनी राजनीति का शिकार होकर रह गया है। वक्फबोर्ड के सदस्य ही अध्यक्ष के खिलाफ बगावती रूख अपनाए हुए है।
कांग्रेस के पूर्व कार्यकाल में हज कमेटी की कार्यप्रणाली भी विवादों व घोटालों में घिरी रही है। भाजपा के शासनकाल में हज के लिए जाने वाले हाजियों की संख्या 100 से 200 की गई थी। वहीं ईद सहित अन्य त्यौहारों में मुसलमान महिलाओं के लिए मुफ्त बस सेवा का प्रावधान किया गया था। अल्पसंख्यक वर्ग से संबंधित उच्च शिक्षा के लिए विशेष आर्थिक सहायता के व्यवस्था भी पूर्व भाजपा सरकार ने की थी। भाजपा ने न केवल सरकार बल्कि संगठन में भी अल्पसंख्यक को पूर्ण भागीदारी दी है। भाजपा के प्रदेश कार्यकारिणी में अल्पसंख्यक वर्ग के 6 सदस्यों सहित जिला व मंडल स्तर पर संगठन में अल्पसंख्यकों को भागीदार बनाया गया है।
मोर्चा पर सवाल उठाने वाली कांग्रेस के नेताओं को चाहिए कि वे संगठन में अल्पसंख्यकों को दिए गए स्थान की जानकारी सार्वजनिक करें न कि मात्र राजनीतिक हित साधने के लिए बिना तथ्यों के ब्यानबाजी करें। कांग्रेस को भाजपा पर जातिगत राजनीति का आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। कांग्रेस नेता अपने हितों के लिए प्रदेश में धर्म व जाति के नाम पर बांटने का प्रयास कर रहे है। जिसका ताजा उदाहरण मंडी में पूर्व सांसद प्रतिभा सिंह ने पेश किया है। इससे पहले प्रदेश के सीएम ऐसी कई टिप्पणीयां कर विवादों में घिर चुके है।
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