शिमला। बंजार से कांग्रेस विधायक कर्ण सिंह वीरभद्र सिंह केबिनेट में तो मंत्री बन गए है लेकिन उनके बड़े भाई व विधानसभा में हिलोपा के विधायक महेश्वर सिंह को इस बात का मलाल है कि भाई ने उन्हें अपने शपथ समारोह में बुलाया ही नहीं। आज राजभवन में जब राज्यपाल आचार्य देवव्रत कर्ण सिंह को पद व गोपनीयता कीशपथ दिला रहे तो मीडिया व बाकी लोग ये देखकर हैरान रह गए कि शपथ समारोह में उनके बड़े भाई महेश्वर सिंह तो मौजूद ही नहीं है। लेकिन शाम को पता चला कि कर्ण सिंह ने बड़े भाई को इस खास मौके पर आने के लिए न्यौता ही नहीं दिया था।
ये खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि खुद महेश्वर सिंह ने उस समय किया जब मीडिया ने उनसे इस बावत सवाल किया। असल में मीडिया उनके न आने का कारण जानना चाहता था।महेश्वर सिंह ने कहा कि छोटे भाई ने बुलाया होता तो वो जरूर जाते। साथ में अपनी पत्नी व बेटे समेत पूरा परिवार आता।शायद मीडिया में छपी उन खबरों को छोटे भाई ने सही मान लिया जिनमें ये लिखा होता था कि महेश्वर सिंह कर्ण सिंह के मंत्री पद को रोके हुए है। शायद उसे गलतफहमी हो गई होगी।
कभी धूमल के सरकार में मंत्री रहे कर्ण सिंह के राजनीतिक कैरियर पर पिछलीधूमल सरकार में ग्रहण लग गया था। धूमल से मतभेदों के कारण ही महेश्वर सिंह भी भाजपा से बाहर हुए थे और आज तक भाजपा में लौटने की राह देख रहे है।
कर्ण सिंह को आयुर्वेद विभाग के अलावा सहकारिता विभाग का जिम्मा भी दिया गया है। अब देखना ये है कि वो एचपीसीए मामले में क्या करते है। एचपीसीए मामले में सरकार ने कई मामले दर्ज कर रखे है और रजिस्ट्रार को-आपरेटिव सोसायटी को एचपीसीए को सोसायटी से कंपनी के तहत रजिस्टर करने की जांच चली हुई है। आखिरी फैसला लेने पर हाईकोर्ट ने स्टे दे रखा है। इसे सरकार अभी तक खुलवा नहीं पाई है।
मजे की बात है कि एचपीसीए में उनके बड़े भाई महेश्वर सिंह का बेटा सदस्य है।अब निगाह कर्ण सिंह पर है कि वो वीरभद्र सिंह के राजनीतिक दुश्मन पूर्व मुख्यमंत्री धूमल व उनके परिवार से जुड़े एचपीसीए मामले में क्या करतब करते है।
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