शिमला। केंद्र से जवाहर लाल नेहरू नेश्नल अर्बन रिन्यूल मिशन के धनराशि खर्च न करने के कारण शिमला स्मार्ट सिटी बनने से बाहर हो गई है। अब प्रदेश में धर्मशाला को स्मार्ट सिटी बनाया जाएगा। केंद्र सरकार ने आज वीरवार को 98 शहरों को स्मार्ट सिटी बनाने घोषणा कर दी है। जिसमें धर्मशाला को शामिल किया गया है।शिमला के स्मार्ट सिटी शहर न बनने से माकपा को राजनीतिक तौर पर झटका लगा है। नगर निगम पर मेयर व डिप्टी मेयर माकपा के है व कांग्रेस व भाजपा इसका ठीकरा माकपा पर फोड़ेगी। हालांकि असल में जेएनएनयूआरएम कांग्रेस व भाजपा सरकारों की विफलता का नमूना है।
केंद्र सरकार की ओर से स्मार्ट सिटी के नामों की घोषणा होने के बाद शिमला के स्मार्ट सिटी से बाहर होने के कारणों का खुलासा करते हुए कहा कि शिमला को केंद्र की ओर से जेएनएनयूआरएम के तहत जो पैसा मिला था उसे वो खर्च नहीं कर पाए। इसलिए उसके अंक कम हो गए और शिमला स्मार्ट सिटी की दौड़ से बाहर हो गया। मजे की बात है कि पिछले अढाई सालों से सुधीर शर्मा ही शहरी विकास मंत्री है और एमसी जिसने जेएनएनयूआरएम को लागू करना है सुधीर शर्मा उसके मंत्री खुद है।
सुधीर शर्मा ने कहा कि इस मसले पर वो कोई राजनीति नहीं कर रहे है। उन्होंने कुछ नहीं किया।शहरों का आकलन चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में बनी किया व घोषणा केंद्र की मोदी सरकार के शहरी विकास मंत्रालय ने किया है।उन्होंने कहा कि ”मैं कुछ कैसे कर सकता था”।
सुधीर शर्मा ने कहा कि स्मार्ट सिटी के तहत मिलने वाले पैसे को वो सही तरीके से खर्च करेंगे और धर्मशाला को आधुनिकतम शहर बनाएंगे। इससे पहले भाजपा व माकपा आरोप लगा रही थी कि सुधीर शर्मा ने शिमला को स्मार्ट सिटी की रेस से बाहर करा कर खुद को राजनीतिक लाभ लेने के लिए धर्मशाला को स्मार्ट सिटी में शामिल करवा लिया है।
(0)