शिमला। प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ए एम खानविलकर ने कहा है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसाके नए रूपसामने आए है। अब उनकी निजतापर साइबर व सोशलनेटवर्क के जरिए हमला हो रहा है। इस हिंसा ने भौगोलिक सीमाओं को तोड दिया है।
उन्होंने महिलाओं के खिलाफ हो रही हिंसा पर हैरानी जताते हुए कहा है कि हमारी परंपरा में महिलाओं की इज्ज्त करना सिखाया जाता है लेकिन आज महिलाओं पर हमले होना आम बात हो गई है।ये नई पीढ़ी के सामने बड़ी चुनौती है। मुख्य न्यायाधीश प्रदेश विवि में आईसीएसएसआर की ओर से प्रायोजित व कानून व अर्थशास्त्र विभाग की ओर से महिलाओं के खिलाफ हिंसा पर आयोजित सेमिनार में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि समय के साथ लोगों का माइंडसेट बदल गया है व बलात्कार,वेश्यावृति,महिलाओं का व्यापार छेड़छाड़ ,गाली गलौच के अलावा सामाजिक बहिष्कार व भावनात्मक रूप से हमला करना इस हिंसा के अनेक रूप है।
उन्होंने कहा कि दुनिया की आबादी का ये आधा हिस्सा भेदभाव,अन्याय और तरह-तरह की हिंसा का शिकार है।अधिकतर जिन करीबी रिश्तेदारों पर महिलाओं और बच्चियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी है वही जुल्म ढाने में सबसे आगे है। उन्होंने इस समस्या के समाधान को लेकर कह कि कानूनों में जरूरी सुधार की जरूरत है और बालिकाओं को बच्चपन से ही सशक्त किया जाना चाहिए।इसके अलावा पुलिस,डॉक्टरों वकीलों व न्यायिक प्रक्रिया से जुड़े लोगों को संवेदनशील बनाने की जरूरत है।
इस मौके पर विवि के कुलपति एडीएन वाजपेयी,महिला आयोग की अध्यक्ष धनेश्वरी देवी,एडवोकेट जनरल श्रवण डोगरा ने भी शिरकत की
(0)