शिमला।हिमाचल प्रदेश विधानसभा में विपक्ष के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को बेटे व भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर की एचपीसीए मामले में भ्रष्टाचार व धोखाधड़ी के मामले में बेशक जमानत मिल गई लेकिन इस मामले में आरोपी बनाए गए दो महत्वपूर्ण व वरिष्ठ आईएएस अफसर अतिरिक्त मुख्य सचिव दीपक सानन और बिलासपुर के पूर्व डीसी अजय शर्मा की केंद्र की मोदी सरकार से प्रॉसिक्यूशन सेंक्शन न ले पाने को लेकर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खुद व चीफ सेक्रेटरी पी मित्रा समेत उनके लाडले अफसर सवालों के घेरे में आ गए है।
इन अफसरों में मुख्यमंत्री कार्यालय के अफसर भी शामिल है। इसके अलावा इस चालान में साफ कहा गया है कि एचपीसीए को 2002.03 और 2009में कानून में खेल संघों को दो बीघा से ज्यादा जमीन देने को कोई प्रावधान न होने के बावजूद कई बीघा जमीन आवंटित की गई। इस जमीन को आवंटित करने में शामिल अफसरों को चालान में मुख्य आरोपी ही नहीं बनाया गया है। ।इनमें से एक अफसर मोदी सरकार सचिव के पद पर है तो बाकी वीरभद्र सिंह की गोद में बैठ कर प्रदेश का राजकाज चला रहे है।हालांकि ये किस तरह चल रहा है ये जनता बाखुबी जानती है।
ऐसे में कानूनविद की राय है कि इस मामले का हश्र भी 2003 से2007तक सता में रही वीरभद्र सिंह सरकार के कार्याकाल में दर्ज हार्ड डिस्क मामले की तरह होने वाला है। हार्ड डिस्क मामले में जिन लोगों को आरोपी बनाया गया था उन्हें तत्कालीन वीरभद्र सिंह सरकार के लाडले अफसरों ने गवाह बना दिया था और ये मामला अदालत में तबाह हो गया था। ये मामला हिमाचल प्रदेश अधीनस्थ सेवाएं चयन बोर्ड को तत्कालीन मुख्मंत्री धूमल के कार्यालय से नौकरी लगाने के लिए की गई सिफारिशों का खुलासा था।
वीरभद्र सिंह सरकार ने सता में आने पर बिलकुल फोन टेपिंग कांड की तरह ही काप्यूटर जबत किए थे एफआईआर दर्ज की थी।कानूनविदों की राय है कि जिस तरह से चालान से कई चीजों को वीरभद्र सिंह के लाडले अफसरों बचाने के लिए हेर फेर किया गया है उससे नहीं लगता कि ये मामला सिरे चढ़ पाएगा और धूमल समेत उनके बेटों और एचपीसीए के कर्ताधर्ताओं का सजा दिलाने का वीरभद्र सिंह का सपना पूरा हो पाएगा।हालांकि वीरभद्र सिंह ने एचपीसीए मामले में धूमल और अनुराग को सजा दिलाने के लिए पैरवी करने के लिए पूर्व निदेशक अभियोजन सतीश ठाकुर को तैनात किया है। ये सतीश ठाकुर वही अफसर जिन्हें2003से 2007के कार्याकाल में वीरभद्र सिंह ने निदेशक अभियोजन पर सेवाविस्तार पर सेवाविस्तार दिए थे और इससे खफा तत्कालीन ज्वाइंट डायरेक्टर जीवनशर्मा ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था था।लेकिन वीरभद्र सिंह ने जीवन शर्मा को निदेशक अभियोजन नहीं बनने दिया था।2008 में धूमल ने जीवन शर्मा को सरकारी वकील बना दिया और सीडी मामला उनके सुपुर्द कर दिया।जीवन शर्मा ने तत्कालीन डीजीपी डीएस मिन्हास के सहयोग से वीरभद्र सिंह व प्रतिभा सिंह को सीडी मामले में दिन में तारे दिखाए थे।हालांकि बाद में वीरभद्र सिंह बरी हो गए ।
लेकिन वीरभद्र सिंह के पास न तो जीवन शर्मा सा प्रॉस्क्यिूटर और न ही मिन्हास सा इंवेस्टिगेटर है।इसके अलावा धूमल ने सीडी कांड में वीरभद्र सिंह को सजा दिलवाने के लिए अफसरों को फ्री हैंड दे दिया था और सीएम ऑफिस का दखल नहीं था।लेकिन इस बार सीएम ऑफिस सीएम से कभी कुछ लिखवाते हैं तो कभी कुछ करवा रहे है। सारा खेल धूमल व उनके बेटों को बरी करवाने का है। वो खुद तभी बचते है।
सूत्रों के मुताबिक वीरभद्र सिंह को कसक है कि धूमल ने उनका व उनके परिवार का सीडी कांड से लेकर वक्कामूला कांड तक जम कर बैंड बजाया है। लेकिन वो सता में आने के दो साल के बाद भी कुछ नहीं कर पाए है।उन्हीं के लाडले व सीएम कार्यालय में तैनात अफसर ही उन्हें डूबोने में लगे है।जिसकी वजह से धूमल व उनके बेटे धमक जमा कर उनकी कुर्सी तक को उलटाने में कामयाब होते नजर आने लगे है। दिल्ली हाईकोर्ट में वीबीएस रिश्वत कांड का मामला दस दिसंबर को लगा है और धूमल व अनुराग केंद्रीय वित मंत्री अरुण जेटली के जरिए वीरभद्र सिंह की गर्दन दबोचने का इंतजाम करने में लगे है।
सोमवार को विजीलेंस की ओर से धर्मशाला की अदालत में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को एचपीसीए घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल समेत 11 लोगों को जमानत मिल गई। बताते है कि सचिवालय में वीरभद्र सिंह के लाडले अफसर अभी भी दीपक सानन और अजय शर्मा को को इस मामले से किसी तरह से बचाने की कोशिशों में लगे है।क्योंकि उन्हें मालूम है कि अगर दीपक सानन को कुछ होता है तो सानन उन्हें भी नहीं छोड़ेंगे।धूमल व उनके बेटे अनुराग व अरुण इसलिए बैखौफ है कि उन्हें बचाने वाले तो सचिवालय में वीरभद्र सिंह की गोद में बैठे है।ये अफसर आर एस गुप्ता की चार्जशीट को ड्राप कराने में कामयाब हो गए है। इसी तरह ये ही अफसर एचपीसीए मामले में वीसी फारकाएसुभाष आहलुवालियाएसुभाष नेगी को मुख्य आरोपी की सूची से बाहर रखने में कामयाब हो चुके है।अभी तक इन जैसे अफसरों ने ही मोदी सरकार से प्रासिक्यूशन सेंकशन नहीं ला पा रहे है।बताते है कि मामला सीवीसी के यहां लटका है।
जमीन आवंटन को लेकर धूमल व अनुराग के खिलाफ जो आरोपपत्र अदालत में दायर किया है उनके इन दोनों के खिलाफ जो आरोप लगाए है उनमें वीरभद्र सिंह के लाडले अफसरों के कारनामों का जिक्र या तो गायब है या घुमाफिरा कर किया गया है।नीचे पढ़े धूमल व अनुराग के खिलाफ चालान में क्या लिखा है और अफसरों के नाम न होने से किस तरह इन्हें सजा मिल पाएगी।
अनुराग के खिलाफ आरोप
विजीलेंस ने अपने चालान में कहा है कि आरोपी अनुराग ठाकुर साल 2000 में पहली बार भ्च्ब्। अध्यक्ष बना व तब से अब तक भ्च्ब्। अध्यक्ष की कुर्सी सम्भाले हुये है। इसने अपनी राजनीतिक पहुंच का लाभ उठाकर भ्च्ब्। में अपनी जगह बनाई है। 2004 05 में वीरभद्रसिंह की सरकार द्वारा लाऐ गए ैचवतजे इपसस का इसने भारी विरोध किया और 24.04.2005 को हमीरपुर के हमीर होटल में भ्च्ब्। की बैठक बुलाकर सर्वसम्मति से अपने आप को भ्च्ब्। कम्पनी बनाने व उसे पंजीकृत करवाने के लिये प्राधिकृत करवा लिया। व 14.07.2005 को इसने अपने साथियों के मिलकर कानपुर मे हिमालयन प्लेयर क्रिकेट एसोसिएशन नाम से कम्पनी का पजींकरण करवाया । जिसमंे इस आरोपी ने स्वयं व अन्य 6 आरोपियांे को डायरेक्टर प्रसतावित किया।उस समय हिमाचल प्रदेश की कम्पनियों का पजींकरण कार्यालय जालन्धर में था इस आरोपी ने अपने असली मकसद पर आते हुये करीब डेढ माह बाद 31.08.2005 को ही कम्पनी का नाम बदल कर हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन करवा दिया जबकि इसी नाम की एसोसिएशन हिमाचल में सोसाईटी एक्ट के तहत पंजीकृत थी।
कम्पनी का कार्यालय पता कानपुर से धर्मशाला बदला जाये जिसके लिये तर्क दिया गया कि ;जींज जीम चतवचवेमक ेीपपिजपदह पद जीम तमहपेजमतमक वििपबम पे कनम जव जीम ंिबज जींज जीम बवउचंदल ूपेी जव मगचंदक पजे ंबजपअपजपमेण् ज्ीम बवउचंदल पे दवज ूवतापदह ेपदबम पजे पदबवतचवतंजपवदण् छवू जीम बवउचंदल चसंद जव बंततल वद पजे ंबजपअपजपमे पद जीम ेजंजम व िभ्पउंबींस च्तंकेमीए ूीमतम पज ींे पउउमदेम ेबवचम जव बंततल ेनबी ंबजपअपजमे ंे उमदजपवदमक पद पजे उंपद वइरमबज बसंनेमण् थ्नतजीमत पद जीम ेजंजम व िीपउंबींस च्तंकमेीए जीम पिदंदबपदह इनेनपदमेे ींे पउउमदेम ेबवचमण् प्ज ूपसस इम मेंल ंदक बवदअमदपमदबम पद जीम उंदंहमउमदज व िजीम बवउचंदल ेनइेजंदजपंस ेंअपदह ंतम मदअपेंहमक इल ूंल व ितमकनबजपवद पद बवेज व िजतंअमस बवउउनदपबंजपवद ंदक वजीमत बवतचवतंजम मगचमदेमेण् प्द अपमू व िजीम ंइवअम पज पे मबवदवउपबंस ंदक बवदअमदपमदज वित जीम बवउचंदल जव ेीपजि पजे तमहपेजमतमक वििपबम तिवउ जीम ेजंजम व िन्जजंत च्तंकमेी जव जीम ेजंजम व िभ्पउंबींस च्तंकमेीद्ध जिससे साबित होता है कि इस आरोपी ने भ्च्ब्। कम्पनी वाण्ज्यििक उद्देश्य के लिए बनाई थी व धारा 25 कम्पनी एक्ट का केवल मुखौटा लगाया गया है ।
विजीलेंस के चालान में लिखा है कि क्रिकेट 2005 में इस आरोपी ने जो कम्पनी बनाई उसके रजिस्ट्रेशन के लिए कम्पनी आफिस का ।ककतमेे डप्ळ.53एइंदिरा नगर कानपुर बताया जो कि दौराने तफ्तीश झूठा पाया गया है। उस कार्यालय कमरा की किराये की रसीदे त्मदज ।हतममउमदजए बिजली टेलीफोन पानी के बिल कुछ भी पेश न कर सका है ना ही उस आफिस से कोई क्रिकेट खेल सम्बन्धी गतिविधियों चलाने बारे साक्ष्य पेश न कर सका है।
26.04.11 को आरोपी ने कम्पनी का पजींकरण कानपुर से चण्डीगढ़ ट्रान्सफर करवाया। तफ्तीश से पाया गया है कि आरोपी ने भ्च्ब्। सोसाईटी का अध्यक्ष होते हुये जहां सोसाईटी की रक्षा करने का जिम्मेदार था उसके विपरीत इस आरोपी ने आपराधिक षंडयन्त्र रचकर भ्च्ब्। सोसाईटी के समानान्तर कम्पनी बना दी तथा त्महपेजतंत व िैवबपमजल शिमला को इस सूचना से अनभिज्ञ रखा।
इस आरोपी ने रजिस्ट्रार कम्पनी कानपुर को दिये कम्पनी मैमोरेण्डम में अपने बायलाॅज में शुरू मे ही सोसाईटी को ज्ंाम व्अमत करना बताया है। जिससे साबित होता है कि आरोपी शुरू से ही भ्च्ब्। सोसाईटी की सम्पति को कम्पनी मे दर्ज करने के षडयन्त्र में कार्य कर रहा था।
दौराने तफ्तीश यह तथ्य सामने आया है कि भ्च्ब्। सोसाईटी की ओर से क्रिकेट खिलाडियों के आवास हेतू आवासीय परिसर बनाने के लिये सरकारी जमीन लीज पर प्राप्त करने हेतू आवेदन किया गया। परन्तु यहां भी सरकार को अन्धेरे में रखा गया और कम्पनी बनाने या होने बारे तथ्यों को सरकार से छुपाया गया । सोसाईटी के नाम 3.28.06 हैक्टेयर सरकारी जमीन लीज पर प्राप्त कर ली यह जमीन मंत्री परिषद की मंजूरी से दी गई थी । इस जमीन का प्रयोग केवल क्रिकेट खिलाडियों के आवास निर्माण के लिए ही किया जाना था परन्तु इस आरोपी ने इस जमीन का व्यवसायिक प्रयोग करने तथा मूल लीज डीड की शर्तो में संशोधन करने के लिए आवेदन किया तथा अपने राजनितिक पहंुच का अनुचित लाभ उठाते हुए तत्कालीन प्रधान सचिव आरोपी दीपक सानन के स्तर पर ही अपने पक्ष में आदेश करवा लिये जो कि सरकारी नियमांे के विरूद हुए है । इस आरोपी ने तत्कालीन प्रधान सचिव दीपक सानन पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके गलत छव्ब् ले लिया और अनुपूरक पटटानामा निष्पादित करवा कर उपरोक्त होटल का ब्वउउमतबपंस प्रयोग शुरू कर दिया है जबकि यह जमीन खिलाडियों के आवास हेतू ही दी गई थी।
इसी प्रकार वर्ष 2002 में 49118.25 वर्ग मीटर जमीन क्रिकेट स्टेडियम हेतू सरकार से मात्र 1रूपये टोकन पर लीज पर ली थी उसमें क्लब हाऊस बनाकर इस आरोपी ने क्लब हाऊस को टब्प् डंदंहमउमदज च्अजण् स्जकण् के 10 साल के ।हतममउमदजे पर दे दिया है। जिससे करोडेा रूपयांे की आय भ्च्ब्। को आ रही है जबकि जमीन की मालिक सरकार को इससे कुछ भी हासिल न हो रहा है । इस तरह सरकार के साथ ब्तपउपदंस ठतमंबी व िज्तनेज का अपराध किया है। । विजीलेंस ने चालान में लब हाउस से मिलने वाले करो़ड़ों रूप्ए का ब्योरा भी अदालत के नजर कर रखा है।चालान में आगे कहा है कि इस आरोपी ने अपने अन्य सहयोगी आरोपियों के साथ अपने अपराधिक षडयन्त्र को अन्तिम रूप देते हुये जब महसूस किया कि हिमाचल की राज्य सरकार से जितनी जमीन व सुविधाएं लेनी थी वह ले ली गई है तो 23.09.2012 को भ्च्ब्। सोसाईटी को भ्च्ब्। कम्पनी में इमर्ज कर दिया तथा भ्च्ब्। ैवबपमजपमे की सारी सम्पति जो करोड़ांे में है को भ्च्ब्। कम्पनी में इमर्ज कर लिया । भ्च्ब्। सोसाईटी के तमाम बैक खातों लोन खातो को कम्पनी के नाम परिवर्तित करवाया गया। सोसाइटी को 1.10.12 से पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। यह सब करने के बाद ही इस आरोपी ने इस कारवाई की सूचना रजिस्ट्रार आफ सोसाईटी शिमला को दी है। जबकि ैवबपमजल त्महपेजतंजपवद ।बज 1860 के अनुसार प्रावधान है कि-ः
;ंद्ध । ैवबपमजल उंलए इल चंेेपदह ं ेचमबपंस तमेवसनजपवद कमजमतउपदम जींज पज ेींसस इम कपेेवसअमक व िंदक जीमतमनचवद ूपजी चतपवत पदजपउंजपवद जव जीम तमहपेजतंतण्
;इद्ध । ैवबपमजल कपेेवसअमक नदकमत जीपे ेमबजपवद ेींसस पिसम ूपजी जीम तमहपेजतंत ं निसस तमचवतज ेवूपदह ंे ीवू जीम चतवचमतजल ींे इममद कपेचवेमक वण्
ि
;बद्ध च्तवअपकमक नितजीमत जींज प िजीम बमदजतंस हवअमतदउमदज वत ंदल ेजंजम हवअमतदउमदज पे ं उमउइमत व िवत ं बवदतपइनजवतल जव ंदल ेवबपमजल तमहपेजमतमक नदकमत जीपे ंबजण् ैनबी ेवबपमजल ेींसस दवज इम कपेेवसअमक ूपजीवनज जीम बंदेमदज व िजीम हवअमतदउमदज बवदबमतदमकण्
;कद्ध ैमबण् 46रू. प िनचवद जीम कपेेवसनजपवद व िंदल ेवबपमजलए जीमतम तमउंपदे ंजिमत जीम ेंजपेंिबजपवद व िंसस पजे कमइजे ंदक सपंइपसपजपमे ंदल चतवचमतजल ूींजेवमअमत जीम ेंउम ेींसस दवज इम चंपक जवए वत कपेजतपइनजमक ंउवदहए जीम उमउइमते व िजीम ेंपक ेवबपमजलण्
इस आरोपी ने क्रिकेट स्टेडियम हेतू पटटे पर ली गई सरकारी जमीन पर क्लब हाऊस बनाने व क्लब हाऊस ;भ्वजमस – त्मेजंनतंदजद्ध बनाने व 12 महीने इसका व्यवसायिक प्रयोग करे, भ्च्ब्। के लिये धन अर्जित करने की अनुमति हेतू आवेदन अपने पिता व तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को सीधे तौर पर बिना उचित माध्यम के आवेदन किया तथा अपने मुख्यमंत्री पिता के साथ आपराधिक षडयंत्र करके सचिवों पर अपने राजनीतिक पद का प्रभाव डालते हुए क्लब हाऊस की मंजूरी हासिल की जो की सरकार भ्च् तनसमे व िठनेपदमेे ैबीमकनसम 20 की उल्लंघना है। क्रिकेट स्टेडियम के लिए दी गई जमीन की लीज डीड में यह शर्ते लगाई गई है कि इस जमीन का प्रयोग केवल क्रिकेट स्टेडियम के लिए ही किया जाएगा लिहाजा आरोपी ने लीज डीड की शर्तो का भी उल्लघंन किया है ।
दौराने तफ्तीश इस आरोपी को एक प्रश्रावली दी गई थी जिसके उत्तर में इसने माना है कि कानपुर में त्ववउ वििपबम किराये पर न लिया था न ही बिजली, पानी ,टैलीफोन के बिल अदा किये ह,ै न ही कोई कर्मचारी वहां रखा था और न ही कोई खेल गतिविधियां वहां से चलाई गई थी। इस आरोपी को भ्च्ब्। चतवबमकपदह तमहपेजतंत पेश पुलिस करने बारे बार .बार लिखा गया तथा छवजपबम न्ध्ै 91ब्तचब भी जारी किये गये परन्तु यह आरोपी रजिस्टर पेश न कर पाया जिससे लगता है कि इस आरोपी कारवाई रजिस्टर गुम कर दिया है या कहीं छुपा दिये हो अत इस आरोपी के खिलाफ 201 प्च्ब् भी लगाई गई हैं। इस आरोपी ने हिमाचल सरकार के साथ जुर्म जेर धारा 406ए, 420ए,120;ठद्ध 201 प्च्ब् का अपराध किया है।
तफ्तीश मुकदमा से पाया गया है कि आरोपी तत्कालीन उपायुक्त कांगडा राम स्वरूप गुप्ता ने भ्च्ब्। को सरकारी भूमि पटटे पर आंबटन हेतू अपनी समहर्ता रिपोर्ट में लीज पर दी जाने वाली भूमि को खाली होना दर्शाया है जो आरोपी अनुराग ठाकुर व इसके मुख्यमंत्री पिता प्रेम कुमार धूमल की मिलीभगत से किया गया है। क्योंकि अगर पेड़ांे बारे सही सूचना अंकित की जारी तो यह जमीन लीज पर नहीं ली जा सकती थी। ऐसे में सरकार को पेडों का मुआवजा जो करीब 50 लाख रूप्ए बनता ह,ै देना पड़ता था।
धूमल के खिलाफ आरोप
विजीलेंस ने अदालत में पेश किए चालान में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को लेकर कहा है कि यह आरोपी ठण्श्रण्च् सरकार में 1998 से 2002 व 2007 से 2012 तक हिमाचल प्रदेश सरकार में रहा। 2001 से 2005 तक भ्च्ब्। में चंजतवद पद बीपम ि रहें। इस बारे में विजीलेंस ने चालान के साथ भ्च्ब्। ।ळड के 29.07.2001 व 29.10.2003 के प्रस्ताव के दस्तावेज भी लगाए है। इसके अलावा राम रतन रोही सचिव भ्च्ब्। का ब्यान भी जोड़ा है। साल 2002 में भ्च्ब्। सचिव ने क्रिकेट स्टेडियम हेतू सरकारी जमीन लीज पर 1 रूपये टोकन फीस पर प्राप्त करने हेतू आवेदन इस आरोपी को किया तथा इस आरोपी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके पहले शिक्षा विभाग की 49118.25 वर्ग मीटर जमीन ल्ैै विभाग के नाम ट्रांन्सफर करवाई फिर ल्ैै विभाग से भ्च्ब्। को लीज पर देने बारे ल्ैै विभाग के द्वारा च्तवचवेंस तैयार करवाई। 27.05.2002 को इस आरोपी ने वह च्तवचवेंस जिसमें सचिवालय के सम्बन्धि सचिवों द्वारा न्ेनंस ज्मतउे पर जमीन भ्च्ब्। को लीज पर देने बारे टिप्पण्यिां लिखी थी को ।चचतवअम किया व उसी दिन 27-05-02 को कैबिनेट की मीटिगं बुलाई गई और भ्च्ब्। के च्ंतजवद पद ब्ीपम िहोते हुये भ्च्ब्। को रियायती दर पर ;मात्र 1रू टोकन परद्ध जमीन लीज पर देने बारे फैंसला करने वाली कैबिनेट की मीटिगं की अध्यक्षता भी बतौर मुख्यमन्त्री ने स्वयं की। सरकार के हितो को अनदेखा करतें हुये करोड़ो रूपयों की सरकारी जमीन 99 साल के लिये मात्र 1रूपये टोकन फीस पर भ्च्ब्। को देने का निर्णय किया गया जबकि इस आरोपी ने भ्च्ब्। को जमीन न्ेनंस ज्मतउे पर देने बारे लिखी च्तवचवेंस को ।चचतवअम किया था। इसे पता था कि जमीन पहले राजस्व विभाग को वापिस जानी चाहिये और राजस्व विभाग द्वारा भ्च्ब्। को लीज पर दी जा सकती है। धूमल ने बतौर मुख्यमंत्री इस बात को कैबिनेट साथियों से छुपाया गया। काबिले गौर है कि यह सब अपने पुत्र अनुराग ठाकुर आरोपी के साथ अपराधिक षडयंन्त्र करके बेटे द्वारा संचालित भ्च्ब्। को अनुचित लाभ व सरकार को अनुचित हानि पहुंचाने की नीयत से किया गया। जो कि सरासर पद का दुरूप्योग है।
इसी प्रकार साल 2008 में भ्च्ब्। अध्यक्ष आरोपी न.1 अनुराग ठाकुर ने अपनें पिता मुख्यमन्त्री आरोपी को एक पत्र बिना उचित माध्यम के सीधे तौर पर लिखकर क्रिकेट स्टेडियम धर्मशाला हेतू दी गई सरकारी जमीन पर क्लब हाऊस बनाने व उसमें होटल एवं रेस्टोरेंट 12 महीनें चलाने व रूपया कमाने की अनुमति मांगी। जिसे बतौर मुख्यमन्त्री इसने निदेशक ल्ैै को मार्क करके च्तवचवेंस तैयार करने को कहा जबकि इस आरोपी को मालूम था कि सरकारी जमीन केवल क्रिकेट स्टेडियम के लिए ही कैबिनेट द्वारा दी गई है जिसका न्ेम व ि संदक सिर्फ कैबिनेट ही बदल सकती है। जैसा कि भ्च् त्नसमे व िठनेपदमेे के ैबीमकनसमन. 20 में प्रावधान है। भ्च्ब्। को अनुमति प्रधान करने सम्बधी कागाजात तत्कालीन निदेशक खेल अजय शर्मा से अपने मन माफिक च्तवचवेंस तैयार करवा कर अनुमति प्रदान कर दी जिसके आधार पर भ्च्ब्। स्टेडियम में बनाये क्लब हाऊस का व्यावसायिक प्रयोग करके करोड़ों रूपए कमा रही है। जबकि सरकार को इससे कुछ नहीं मिल रही है। जबकि इस जमीन की कीमत उस समय करीब पांच करोड़ 24 लाख रूपए बनती थी, को एचपीसीए को मुफ्त दी गई है। इस आरोपी को पता था कि यह जमीन केवल क्रिकेट स्टेडियम के लिए दी गई है और मंजूरी केबिनेट ने दी है। फिर भी रूल्स आॅफ बिजीनेस के शेडयूल 20 की अवहेलना करते हुए क्लब हाउस बनाने व चलाने की मंजूरी दे दी। इस आरोपी के नोटिंग शीट पर हस्ताक्षर मौजूद है। जो कि इस आरोपी ने सरासर अपने सरकारी पद का दुरूपयोग करके जूर्म जेर धारा 120बी, आईपीसी व 13 ;2द्ध च्ब् ।बज का अपराध किया है।
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