मुबंई।मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल प्रदेश को निवेशकों के लिए एक आदर्श स्थल बनाने का प्रस्ताव रखा है और प्रदेश को निवेशकों के लिए देश के सबसे मुख्य गंतव्य स्थल के रूप में बनाने की कल्पना की है। उन्होंने कहा कि वह उद्योगपतियों से इसके लिए सहयोग की आशा रखते हैं और उनकी सहभागिता से हिमाचल प्रदेश को औद्योगिक हब बनाना चाहते हैं। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने यह बात आज महाराष्ट्र के मुम्बई में बड़े औद्योगिक घरानों के साथ बातचीत के दौरान कही।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में राज्य विद्युत नियामक ने पहले ही वर्ष 2018 तक विद्युत दरों में बढ़ौतरी न करने की घोषणा की है। हिमाचल प्रदेश में उत्तरी भारत के अन्य सीमावर्ती राज्यों की अपेक्षा विद्युत दरें 20 से 30 प्रतिशत कम हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हंे विश्वास है कि यह ‘मीट’ प्रदेश में बड़े औद्योगिक घरानों के निवेश के लिए बेहतर मंच के रूप में मार्ग प्रशस्त करेगी।
वीरभद्र सिंह ने कहा कि प्रदेश सरकार ने भारतीय औद्योगिक संगठन के साथ मिलकर हिमाचल प्रदेश में विभिन्न परियोजनाओं के निवेश की क्षमता की पहचान की है और हिमाचल प्रदेश सरकार तथा भारतीय औद्योेगिक संगठन (सीआईआई) द्वारा इस मीट को संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है।
इस दौरान वीरभद्र सिंह के साथ टाटा कम्पनी लिमिटेड के प्रतिनिधियों ने विचार-विमर्श किया और जल विद्युत क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश का प्रस्ताव किया। उन्होंने प्रदेश में पांच से छह परियोजनाओं का प्रस्ताव रखा, जिन्हें निर्धारित समयावधि में पूरा करने का आश्वासन भी दिया। उन्होंने प्रदेश में केबल कार और रज्जू मार्गों को आरम्भ करने का भी प्रस्ताव दिया।
महेन्द्रा एंड महेन्द्रा के अध्यक्ष एवं निदेशक अरूण नंदा ने बातचीत के दौरान हिमाचल प्रदेश के निचले क्षेत्रों में आर्ट एंड क्राफ्ट विलेज तथा रिजाॅर्ट के विस्तार का प्रस्ताव रखा ताकि राज्य में पर्यटन गतिविधियों को बढ़ावा मिल सके। उन्होंने अन्तर्राष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थानों को स्थापित करने का प्रस्ताव भी दिया। उन्होंने कहा कि यदि सरकार कांगड़ा जिला के धर्मशाला में उन्हें भूमि उपलब्ध करवाने में सहायता करती है तो महेन्द्रा एंड महेन्द्रा, हिमाचल प्रदेश में इकाई स्थापित करने के लिए भूमि की खरीद करेगी। पीडी लाईट्स के कार्यकारी निदेशक अपूर्वा पारेख, जो प्रदेश में वर्तमान में प्रमुख निवेशक हैं, ने अतिरिक्त निवेश के साथ अपनी निर्माण सुविधाओं को विस्तार देने की इच्छा जाहिर की। मुख्यमंत्री ने उन्हें हर संभव सहायता उपलब्ध करवाने का आश्वासन दिया।
एमरसन लिमिटेड तथा मेरियडन समूह के मनोज ने सौर तथा बायोमास एनर्जी के क्षेत्र में 600 से 700 करोड़ रुपये के निवेश का प्रस्ताव रखा तथा ओबनोक्सियस वीड लंटाना तथा चीड़ की पत्तियों से विद्युत उत्पादन की बात कही। उन्होंने राज्य में 10 मैगावाट सौर ऊर्जा परियोजना की योजना तथा पौंग बांध में हाउस बोट और बल्र्ड कल्चर टावर आरम्भ करने का प्रस्ताव किया।
मुख्यमंत्री ने इन प्रोत्साहनों का स्वागत करते हुए कहा कि प्रदेश सरकार लंटाना को हटाने पर 10 रुपये प्रति क्विंटल व्यय कर रही है। उन्होंने कहा कि इस परियोजना से स्थानीय लोगों को भी अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। उन्होंने 250 किलोवाट के बायो मास एनर्जी परियोजना को शुरू करने का भी प्रस्ताव किया।
मुख्यमंत्री ने डीवाई पाटिल समूह द्वारा निजी क्षेत्र में मेडिकल काॅलेज आरम्भ करने के प्रस्ताव का स्वागत किया। समूह के वर्तमान में देश एवं विदेश में 230 से अधिक मेडिकल काॅलेज हैं।लयूमिनस पावर टेक्नोलाॅजी इंडिया के प्रतिनिधि आरती शर्मा तथा प्रबन्ध निदेशक मोहनीश ने निर्माण सुविधाओं में 100 करोड़ रुपये से अधिक के अतिरिक्त निवेश से और विस्तार की इच्छा जाहिर की।
इस अवसर पर, निवेशकों ने प्रदेश सरकार द्वारा पहली बार इस तरह की मीट के आयोजन तथा प्रदेश में निवेश के लिए सरकार के निर्णय की सराहना की। कई फार्मा कम्पनियों ने भी प्रदेश में निवेश एवं विस्तार के लिए सम्पर्क किया।
ग्लेनमार्क, हिन्दुस्तान लीवर, यूनाइटिड फासफोरस, एचआई टैक इंडिया प्राईवेट लिमिटेड सहित कई छोटे एवं औद्योगिक घरानों ने मुख्यमंत्री से विचार-विमर्श किया तथा हिमाचल प्रदेश में निवेश का प्रस्ताव रखा।
उद्योग मंत्री मुकेश अग्निहोत्री, अतिरिक्त मुख्य सचिव वी.सी. फारका, प्रधान सचिव राजस्व तरूण श्रीधर, प्रधान सचिव वित्त डाॅ. श्रीकांत बाल्दी, प्रधान सचिव ऊर्जा एस.के.बी.एस. नेगी, प्रधान सचिव उद्योग आर.डी.धीमान, उद्योग विभाग के निदेशक राजेन्द्र सिंह, सलाहकार उद्योग राजेन्द्र चौहान तथा पर्यटन विभाग के निदेशक मोहन चौहान भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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