शिमला। पूर्व धूमल सरकार की ओर से पूर्व आईपीएस अफसर एएन शर्मा को दोबारा नौकरी पर बहाल करने के मामले में पूर्व चीफ सेक्रेटरी रवि ढींगरा,पूर्व गृह सचिव व हाल ही में अतिरक्त मुख्य सचिव की कुर्सी से रिटायर हुए वरिष्ठ आईएएस अफसर पी सी कपूर,पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल व पूर्व आईपएस अफसर एएन शर्मा के खिलाफ राज्यपाल से अभियोजन की मंजूरी लेने की फाइल को राज्यपाल उर्मिल सिंह ने वापस सरकार को भेज दिया है।ये फाइल आज मंगलवार दोपहर बाद सीलबंद लिफाफे में वापस सरकार को भेजी गई है।
विजीलेंस ने इन चारों के खिलाफ राज्यपाल से अभियोजन की मंजूरी लेने के लिए दो सप्ताह पूर्व फाइल राज्यपाल को भेजी थी। लेकिन राज्यपाल के अवकाश व टूअर पर जाने की वजह से ये फाइल राजभवन में अटकी पड़ी थी।
ये लिखा राज्यपाल ने
भरोसेमंद सूत्रों के मुताबिक राज्यपाल ने फाइल पर लिखा कि इस तरह के मामलों में विजीलेंस को राज्यपाल से अभियोजन की मंजूरी लेने की जरूरत ही नहीं है।सरकार राज्यपाल से अभियोजन की मंजूरी लिए बगैर ही अभियुक्तों के खिलाफ चालान अदालत में दायर करने में सक्षम है।
राज्यपाल ने सुप्रीमकोर्ट की ओर से अंतुले बनाम सरकार,चौटाला बनाम सरकार व मुख्यमंत्री वीरभद्र के सीडी केस जैसे मामलों का हवाला देकर फाइल सरकार को भेज दी। उर्मिल सिंह ने फाइल में लिखा राजभवन को इस तरह के मामलों में इन्वॉलव करने की जरूरत ही नहीं है।
इस तरह राज्यपाल ने नया रास्ता खोल दिया है और अब विजीलेंस को अभियोजन की मंजूरी लेने के लिए फाइल राज्यपाल को भेजने की जरूरत नहीं पड़़े्गी। राज्यपाल उर्मिल सिंह का कार्याकाल 24 जनवरी को समाप्त हो रहा है।लेकिन वो 28 जनवरी तक हिमाचल की राज्यपाल रहेंगी। चूंकि कल्याण सिंह 28 जनवरी को राज्यपाल के पद की शपथ 28 जनवरी को लेंगे।कल्याण सिंह को हिमाचल के राज्यपाल के पद का अतिरिक्त कार्यभार सौंपा गया है।
गौरतलब हो कि पूर्व आईपीएस अफसर ए एन शर्मा ने नादौान से भाजपा केटिकट पर चुनाव लड़ने के लिए अक्तूबर-नवंबर 2007 में अपनी नौकरी से इस्तीफा देने का नोटिस दे दिया था। 21नवंबर 2007 तक एएन शर्मा इस नोटिस को वापस ले सकते थे । लेकिन सरकार के पास इसतरह की कोई जानकारी नहीं आई और तत्कालीन चीफ सेक्रेटरी रवि ढींगरा ने उनका इस्तीफा मंजूर कर लिया। इस बीच 27 नवुबर 2007 को भाजपा ने अपने टिकटों की घोषणा कर दी और इन नामों में एएन शर्मा का नाम नहीं था। ए एन शर्मा ने अपने इस्तीफे को मंजूर कर लिए जाने के खिलाफ कैट में मुकदमा दासर करदिया और वहां से उन्हें स्टे मिल गया था।
बाद में प्रदेश में धूमल सता में आए तो एएन शर्मा ने धूमल को रिप्रेजेंटेंशन दिया और धूमल ने रिप्रेंजेंटेंशन परएग्जामिन लिख दिया। प्रोसेस में फाइल तत्कालीन गृह सचिव पीसी कपूर के पास गई और उन्होंने बिना कोई दस्तावेज रिकार्ड पर लाए नोटिंग शीट पर अंकित कर दिया कि जब शर्मा आईपीएस स्तर के अफसर होते हुए अपने रिप्रेंजेंटेंशन में ये लिख्ा रहे है कि उन्होंने अपने इस्तीफे को वापस लेने के लिए 21 नवंबर 2007 को ही चिटठी सरकार को भेज दी थी तो इस पर भरोसा किया जाना चाहिए।उन्होंने ये लनोट लिख कर फाइल तत्कालीन मुख्यसचिव रवि ढींगरा को सरका दी।रवि ढींगरा ने फाइल ओके कर धूमल को सरका दी और ए एनशर्मा बहाल हो गए।
प्रदेश में दिसंबर 2012 में सरकार बदली और वीरभद्र सिंह की सरकार कोएक व्यक्ति ने इस मामले की शिकायत कर दी। मामला विजीलेंस के पास गया और एसपी विजीलेंस रमेश छाजटा नेमामले की जांच की। वह सोलन के एसपी भी है और वीरभद्र सिंह के सबसे लाडले अफसरों में सबसे उपर है।जांच के दौरान पीटीसी डरोह की डिस्पैचर कांस्टेबल संध्या ने अपने बयान मेंकहा कि उन्होंने एएन शर्मा के इस्तीफे को वापस लेने की चिटठी 27 नवंबर 2007 को स्पेशल मैसेंजर के हाथों शिमला भेजी थी। 27 नवंबर को ही भाजपा के टिकटों की घोषणा हुई थी और एएन शर्मा को टिक्ट नहीं मिला था।
छाजटा ने अपनी जांच रिपोर्ट विजीलेंस को भेज दी थी और विजीलेंस मुख्यालय ने दो सप्ताह पूर्व इन सबके खिलाफ राज्यपाल से अभियोजन की मंजूरी लेने के लिए फाइल राजभवन भेजी थी।
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