शिमला। (3 दिसंबर 2024)हिमाचल भवन की नीलामी की प्रक्रिया रोकने के लिए सुक्खू सरकार ने दो और कदम उठाते हुए आज प्रदेश हाईकोर्ट में मेंशन करते हुए इस मामले की जल्द सुनवाई का आग्रह किया । अब इस मामले की सुनवाई कल यानी बुधवार को प्रदेश हाईकोर्ट में जस्टिस विवेक सिंह ठाकुर और जस्टिस राकेश कैंथला की खंडपीठ में तय हो गई।
सरकार ने इस मामले में सेली हाइड्रो पावर कंपनी के अप फ्रंट मनी की रकम के 64 करोड़ रूपए हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में जमा कराए थे। लेकिन आज 29 करोड़ 96 लाख रूपए का बैंकर्स चेक और जमा कराया है।
सरकार ब्याज समेत अब तक हाईकोर्ट की रजिस्ट्री में अब तक कुल 94 करोड़ रूपए के करीब रकम जमा करा चुकी है। इसके 30 करोड़ के करीब की रकम तो ब्याज-ब्याज की ही है। अगर 64 करोड़ रूपए शुरू में ही जमा करा दिए जाते तो जनता के खजाने से ब्याज की ये 30 करोड़ की रकम बच जाती। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।
ब्याज की ये रकम तो केवल एक ही मामले की है। बाकी मामलों का विवरण और भी चौंकाने वाला है।
याद रहे मोजर बीयर कंपनी की सेली हाइडल पावर कंपनी ने 400 मेगावाट के सेली हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट को हासिल करने पर 64 करोड़ रूपए की अप फ्रंट मनी की रकम जमा कराई थी। चूंकि बाद में कंपनी इस प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर पाई तो सरकार ने इस आवंटन को रदद कर दिया।
इसके खिलाफ कंपनी ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटा दिया और अप फ्रंट मनी की रकम वापस मांग ली। पूर्व की जयराम सरकार में प्रदेश हाईकोर्ट की जस्टिस संदीप शर्मा की एकल पीठ ने कंपनी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए कंपनी को 64 करोड़ रूपए सात फीसद ब्याज समेत लौटाने के आदेश दिए।
इस फैसले के खिलाफ सरकार ने खंडपीठ में अपील दायर कर दी। खंडपीठ ने जस्टिस संदीप शर्मा के फैसले को तो स्टे कर दिया लेकिन शर्त लगा दी कि ये स्टे तभी लागू होगा जब ब्याज समेत पूरी रकम रजिस्ट्री में जमा रा दी जाएगी। लेकिन सरकार ने ये रकम जमा नहीं कराई। ये रकम क्यों जमा नहीं कराई ये एक रहस्य है। इस बीच एक सुनवाई के दौरान खंडपीठ ने इस स्टे को हटा दिया।
कंपनी ने हाईकोर्ट की एकल पीठ में एग्जीक्यूशन याचिका दायर कर दी। जस्टिस अजय मोहन गोयल की एकल पीठ ने बीते दिनों रकम जमा न कराने पर हिमाचल भवन को अटैच कर दिया और कंपनी को कहा कि वो इसे नीलाम कर अपनी रकम वसूल सकती है। इसके बाद सुक्खू सरकार के हाथ पांव फैल गए और वो हरकत में आई।
सरकार ने देश भर में फजीहत होने के बाद पहले 64 करोड़ रूपए की रकम जमा कराई। इस बावतreporterseye.com ने पहले भी सवाल उठाया था कि 64 करोड़ की रकम जमा कराने से कुछ होने वाला नहीं है। सीपीसी के आर्डर 21 रूल 55 के तहत ब्याज समेत पूरी रकम जमा कराने का प्रावधान है।
इसके अलावा खंडपीठ ने भी पूरी रकम जमा कराने के आदेश दे रखे है। लेकिन सरकार के कानून विद अपनी जिद पर अड़े रहे। लेकिन दो दिन पहले सरकार के आला अफसरों को समझ आ गया कि कानून क्या कह रहा है। ऐसे में वित विभाग ने ब्याज के 29 करोड़ 96 लाख की रकम जारी कर दी। जिसे आज हाईकोर्ट में जमा करा दिया गया है।
अब पूरी रकम जमा होने के बाद कल संभवत: हिमाचल भवन की नीलामी का एपिसोड खत्म हो सकता है।
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