शिमला। (3 दिसंबर2024)पूर्व की जयराम सरकार में भाजपा के एक नेता की पत्नी समेत अन्यों की नियुक्तियों में की गई गड़बड़ी के खिलाफ चौधरी सरवण कुमार कृषि विवि पालमपुर के पूर्व कुलपति प्रोफेसर एच के चौधरी और अन्य प्रोफेसरों के खिलाफ प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार नियमित जांच की मंजूरी नहीं दे रही है। ये मामला पिछले नौ महीनों से सचिवालय में फाइलों में लंबित पड़ा है।सुक्खू सरकार विजीलेंस को नियमित जांच की मंजूरी क्यों नहीं दे रही है, लगता है कि इसके पीछे कोई गहरा राज छिपा है।
9 अप्रैल 2024 को विजीलेंस कांगड़ा के एसपी बलबीर सिंह ने तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजीलेंस को चिटठी लिखकर पूर्व कुलपति एच के चौधरी के अलावा चयन समिति के सदस्य प्रोफेसर आर के अग्निहोत्री,प्रोफेसर अश्वनी कुमार बंसुधराय और आर के कटारिया के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17 ए के तहत नियमित जांच की मंजूरी मांगी थी। अब ये सभी प्रोफेसर सेवानिवृत हो चुके है।
लेकिन तब से लेकर अब तक नौ महीने हो गए है लेकिन मंजूरी का कहीं कोई पता नहीं हैं। एसपी बलबीर सिंह ने इस चिटठी में लिखा था कि प्रारंभिक जांच में पाया गया कि विवि के अधिकारियों ने विजीलेंस को संबधित दस्तावेज तक मुहैया नहीं कराए।
नियमित मंजूरी के लिए लिखी गई इस चिटठी में लिखा गया है कि एक सहायक प्रोफेसर की विवादित नियुक्ति को लेकर जांच में ये सामने आया कि जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग के चार पदों के लिए विज्ञापन दिए थे। इसके अलावा एग्रीकल्चर बायोटेक्नोलॉजी में सहायक प्रोफेसर के एक पद के लिए विज्ञापन निकाला था।
चयन समिति ने सीड साइंस एंड टैक्नोलॉजी में एमएससी एक महिला ( जो एक भाजपा नेता की पत्नी है) की बतौर सहायक प्रोफेसर नियुक्त करने की सिफारिश कर दी।ये नियुक्ति जांच के घेरे में आ गई कि चयन समिति ने जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग में एमएससी उम्मीदवारों को नजरअंदाज कर सीड साइंस एंड टैक्नालॉजी में एमएससी को किस तरह नियुक्त करने की सिफारिश कर दी । कहा गया कि सीड साइंस एंड टैक्नालॉजी में एमएससी की डिग्री जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग में एमएससी की डिग्री के समकक्ष है।हालांकि जब ये नियुक्ति हुई तो जेनेटिक्स और प्लांट ब्रीडिंग में एमएससी की डिग्री वाले उम्मीदवार कतार में थे लेकिन नियुक्ति इस महिलर उम्मीदवार की कर दी गई।
यही नहीं प्रारंभिक जांच में ये भी पाया गया है कि 29 अक्तूबर 2020 को इस महिला सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति हो जाती है और उसे सेकंडमेंट पर एचपी स्टेट एग्रीकल्चर मार्किटिंग बोर्ड विपणन भवन में प्रशासनिक अधिकारी के रिक्त पद पर उसी दिन तैनाती दे दी जाती है। याद रहे जब ये नियुक्ति होती है तो इनके पति शिमला में तैनात थे। वो तत्कालीन मुख्यमंत्री जयराम के बेहद करीबी थे।अब भी है।
इसके अलावा एक अन्य इल्जाम को लेकर प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि विवि के रिवोलविंग फंड से गैर सरकारी पत्रिका के लिए 2 लाख 62 हजार 500 रुपए दिए गए। लेकिन विवि ने इस आरोप को नकारा नहीं । इसकी भी नियमित जांच की दरकार है।
इसके अलावा विवि ने 24 दिसंबर 2016 को सीनियर रिसर्च फेलो, तकनीकी सहायक,डाटा एंट्री आपरेटर,स्टूडेंटशिप इन बायोइंफारमेटिक्स् एंड ट्रनी शिप इन बायोइंफारमेटिक्स् में पांच पदों के लिए विज्ञापन जारी किया। 11 नवंबर 2017 को साक्षात्कार के बाद चयनित उम्मीदवारों ने 2 फरवरी 2017 को डयूटी ज्वाइन कर ली। जिस प्रोजेक्ट के तहत ये नियुक्तियां की गई वह 31 मार्च 2020 को समाप्त हो जाना था। लेकिन भारत सरकार के जैवप्रोद्योगिकी विभाग ने इस प्रोजेक्ट को 30 जून 2020 तक बढ़ा दिया।
लेकिन विवि ने दो लोगों एक डाटा एंट्री आपरेटर और तकनीकी सहायक को 20 जून 2020 के बाद भी विवि में लगाए रखा और ये 31 मार्च 2021 तक अपने पदों पर तैनात रहे।
एसपी बलबीर सिंह ने विवि के नियंत्रक के 23 अक्तूबर 2020 की चिटठी का हवाला देकर लिखा है कि इन दोनों के वेतन पर 4 लाख 82 हजार 400 रुपए इसप्रोजेक्ट के बाहर से वहन किए गए। विवि के दस्तावेजों के मुताबिक इनकी सेवाएं 2023-2024 तक ली गई जाती रही और उनके वेतन को दूसरे प्रोजेक्ट बायोटैक्नॉलाजी इंफार्मेंशन सिस्टम नेटवर्क से अदा किया गया । ये रकम 4 लाख 556 हजार के करीब बनी।
चिटठी में ये भी लिखा गया है कि आडिट के मुताबिक भारत सरकार के इस प्रोजेक्ट के बंद होने के बाद स्टाफ के वेतन पर 21 लाख 90 हजार की रकम खर्च कर दी।
एसपी ने तत्कालीन एडीजीपी को लिखा कि आरोपों के साबित करने और किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए विवि से और दस्तावेज हासिल करने जरूरत है । इसलिए विवि के पूर्व कुलपति एच के चौधरी के अलावा चयन समिति के सदस्य प्रोफेसर आर के अग्निहोत्री,प्रोफेसर अश्वनी कुमार बंसुदराय और आर के कटारियाके खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा 17 ए के तहत नियमित जांच की मंजूरी दी जाए।
ये मंजूरी अप्रैल महीने में मांग दी गई थी लेकिन आज नौ महीने बाद भी विजीलेंस धर्मशाला को ये मंजूरी नहीं दी गई है।
विजीलेंस मुख्यालय से reporterseye.com की ओर से इस बावत पूछे सवाल के जवाब में कहा गया कि मंजूरी के लिए फाइल सरकार को भेजी गई है। सरकार से अभी कोई जवाब नहीं आया है।
इस बावत वाटसएप के जरिए अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह ओंकार शर्मा से भी जानकारी मांगी गई लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब नहीं दिया गया। याद रहे कि गृह विभाग मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के अधीन है। यही नहीं सरकार व विजीलेंस मुख्यालय से ये भी नहीं कहा गया है कि विजीलेंस धर्मशाला के इंस्पेक्टरों ने दागी जांच की है। कायदे से जब प्रारंभिक जांच हो चुकी है तो चंद ही दिनों में नियमित जांच की मंजूरी मिल जानी चाहिए या फिर प्रारंभिक जांच को निरस्त कर दिया जाना चाहिए। बहरहाल, सुक्खू सरकार के निराले ही हाल है।
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