शिमला। सात साल की एक बच्ची के साथ दरिंदगी की तमाम हदें पार करते हुए उसके साथ बलात्कार करने और उसके बाद उसकी हत्या कर देने के मामले में सोलन की अदालत ने आरोपी को फांसी की सजा सुनाई है। इसके साथ ही इस आरोपी की क्रुरता की शिकार हुई बच्ची के माता पिता को साढ़े बारह लाख रुपए का मुआवजा देने के आदेश भी दिए हैं। यह मुआवजा राशि राज्य पीडि़त मुआवजा निधि में से देने के आदेश दिए हैं।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सोलन परमिंदर सिंह अरोड़ा ने अपने आदेश में कहा है कि इस 23 साल के आरोपी जब तक इसकी मौत न हो जाए तक तक फांसी पर लटकाए हुए रखा जाए। अदालत ने कहा कि यह मामला विरल से विरलत मामलों के तहत आता हैं। इसमें फांसी की सजा के अलावा कोई और सजा देने के तमाम रास्ते बंद हैं। अदालत ने कहा कि जिस तरह का यह अपराध है और जितनी क्रुरता व जघन्यता के साथ इसे अंजाम दिया गया हैं , यह अपराध असाधारण हो जाता है और जहां पर आरोपी के लिए उम्र कैद अपर्याप्त हो जाती हैं।इसलिए इसे फांसी पर लटकाया जाए।
अदालत ने उतरप्रदेश के हरदोई के 23 साल के आकाश को धारा 302(हत्या) के आरोप में दोषी ठहराते हुए उसे उम्र कैद की सजा सुनाई है और 25 हजार का जुर्माना लगाया है। जुर्माना अदा न करने पर उसे छह महीने की और कैद में रखने के आदेश दिए हैं। अदालत ने इसे पोक्सो की धारा 6 और भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत भी दोषी ठहराया और बामशक्त उम्रकैद की सजा सुनाई व 25 हजार का जुर्माना लगासा है। जुर्माना अदा न करने पर छह महीने की कैद और भुगतने के आदेश दिए हैं।
अदालत ने इस मामले की पूरी प्रक्रिया को प्रदेश उच्च न्यायालय को भेजने के आदेश दिएहै ताकि फांसी की सजा को उच्च न्यायालय से तस्दीक कराया जा सके। यह पूरा मामला बददी के महिला पुलिस थाने का है।बददी थाने में आरोपी के खिलाफ 21 फरवरी 2017 को भारतीय दंड संहिता की धारा 302, 376, और पोक्सो अधिनियम की धारा 6 और 10 के तहत मामला दर्ज किया गया थाा।
जांच के दौरान पासया गया कि पीडि़त बच्ची के माता पिता बददी में नौकरी करते थे और आकाश उनका पड़ोसी था।ये सब प्रवासी थे जो उतर प्रदेश से यहां पर काम करने आए थे।
जांच के दौरान सामने आया कि आरोपी ने क्रुरता की तमाम हदें पार करते हुए इस सात साल की बच्ची के निजी अंगों में लकड़ी के टुकड़े घुसेड़ दिए और इस बच्ची की हत्या भी कर दी।
इंदिरा गांधी मेडिकल अस्पताल में कराए गए पोस्ट मार्टम में सामने आया कि बच्ची की मौत गला घोंटने और निजी अंगों में बाहरी वस्तु को घुसेड़ने से हुई चार फाड़ की वजह से हुई है। यह भी सामने आया कि लकड़ी के टुकड़े बहुत आगे तक चले गए थे।
अदालत ने इसे क्रुरता की इंतहा करार देते हुए आरेपी को फांसी की सजा देने का आदेश सुनाया है।
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