शिमला। हिमाचल प्रदेश की वीरभद्र सिंह सरकार के सबसे बड़े अफसर मुख्य सचिव पी मित्रा पर हिमाचल प्रदेश पर्यटन निगम कर्मचारी महासंघ के पूर्व महासचिव ओ पी गोयल ने संगीन आरोप लगाकर सनसनी पैदा कर दी है। पर्यटन निगम में घोटालों की तहों को खोलने और आईएएस अफसरों व नेताओें की मिलीभगत से सरकारी खजाने को लूटने के कारनामों से पर्दा उठाने वाले गोयल ने अपने आरोपों का कच्चा चिटठा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ,हिमाचल हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के साथ प्रधानमंत्री मोदी और प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह को भी भेजा है।गोयल ने संवैधानिक पदों पर बैठी इन हस्तियों से मित्रा के खिलाफ जांच करने और मित्रा को चीफ सेक्रेटरीशिप से बाहर करने की मांग की है।
उन्हीं की ओर से दिए एक रिप्रेजेंटेशन की पर्यटन निगम बोर्ड के डायरेक्टर की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी जांच कर रही है। जिसमें धूमल की1998से2003तक की सरकार के भाजपा के विधायक और निगम के अध्यक्ष राकेश पठानिया के नाम 26 लाख की रिकवरी का मामला एक बार फिर सामने आया है।
उधर,सचिवालय में प्रधान सचिव स्तर के कई आईएएस अफसर व्हीसल ब्लोअर की भूमिका निभा रहे गोयल को सबक सिखाने के लिए एक अरसे से लामबंद है।फिलहाल गोयल ने ताजा हमला प्रदेश सरकार के सबसे बड़े बाबू पी मित्रा पर बोला है।
उन्होंने गत दिनों राजधानी में संवाददाताओं से कहा कि मित्रा ने जब वह 1996 में निगम के एमडी थे तो महिला कर्मचारियों को नियमित व पदोन्नत करने के लिए अवांछित मांगे रखी ।गोयल ने कहा किइसमहिला ने मित्रा की अवांछित मांगा का ब्योरा 1999 में निगम के तत्कालीन एमडी पी सी कपूर के सामने भी जाहिर किए थे और पीसी कपूर ने इस महिला कर्मचारी से लिखित में अपने आरोप देने को कहा था।महिला कर्मचारी ने कर्मचारी महासंघ की मार्फत इन आरोपों को तत्कालीन सीएम धूमल के समक्ष भी लाया।यहीं नहीं ये मामले वीरभद्र सिंह के एक लाडले जो इन दिनों भी निगम के बोर्ड के डायरेक्टर है के नोटिस में भी है।लेकिन इस डायरेक्टर की खुद की स्लेट कितनी साफ है इसे लेकर सचिवालय के बड़े बाबू बंद कमरों में कई तरह की टिप्पणियां करते है।
बताते है धूमल ने महिला के इन आरोपों पर जांच शुरू की थी और गोयल और उक्त महिला के ब्यान पुलिस ले भी गई थी। लेकिन बाद में क्या हुआ ये किसी को पता नहीं है। कहा जाता है कि2008में सता में आई धूमल सरकार के 1998 से 2003की सरकार के दौरान के ऑडिट के कई पैरे सेटल हुए थे।इसके अलावा इस कार्याकाल में हिमाचल प्रदेश महालेखाकार के एक अफसर ने आडिट से जुड़े कई मामलों में धूमल सरकार की मदद की थी। सूत्रों के मुताबिक मित्रा और इस अफसर के रिश्तों को लेकर अब सचिवालय के बड़े बाबू कई चीजें तलाशने में लगे है।1998 से2003 के शासनकाल में धूमल ने बाद में मित्रा को दिल्ली डेपुटेशन पर भेज दिया था।गोयल ने मित्रा के खिलाफ भेजी अपनी शिकायत में सुप्रीम कोर्ट की विशाख जजमेंट के अलावा बाकी और जजमेंट का हवाला भी दिया है।
गोयल ने इसके अलावा मित्रा पर भ्रष्टाचार ओर पद के दुरुपयोग के आरोप भी लगाए है। अब सारा दारोमदार प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर आ गया है कि वो इन संगीन आरोपों पर क्या कार्रवाई करते है। इस मौके पर पूर्व एनजीओ लीडर राम सिंह ने कहा कि प्रदेश की महिलाओं की अस्मिता का अपमान ठीक नहीं है। प्रदेश कीआइएएस लॉबी भ्रष्टाचारियों को बचाने में लगी है।गोयल के साथ उन्होंने भी संवाददाता सम्मेलन में शिरकत की थी
प्रिंट मीडिया में ब्लैक आउट
प्रदेश सरकार के सबसे बड़े बाबू पर संगीन आरोप क्या लगे शिमला के प्रिंट मीडिया ने पूरी की पूरी कांफ्रेस ब्लैक आउट कर दी। फिलहाल ऐसा पहली बार हुआ है। मीडिया की इस तरह चीजों को ब्लैकआउट करने को लेकर कई सवाल खड़े हो गए और इसके कई मायने लगाए जाने लगे है।ये बलैकआउट की स्थिति क्यों आई है इस पर सबसे प्रतिक्रिया बंद कमरे में बैठे बाबूओं की ओर से आ रही है। इनमें से कइयों ने मित्रासे सकोर सेटल करने उधर ,प्रदेश के प्रशासन में अजीब स्थिति पैदा हो गई है। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह खुद सीबीआई और आयकर विभाग की जांच का सामना कर रहे है।विपक्ष के नेता धूमल उनका बेटा अनुराग और बाकी भाजपाई आए दिन उनकी फजीहत करने में कोई कोर कसर नहीं रख रहे है।
विधानसभा में प्रतिपक्ष केनेता धूमल व उनके सांसद बेटे अनुराग के खिलाफ आईपीसी व भ्रष्टाचार निरोधक एक्ट की कई धाराओं के तहत धर्मशाला की अदालत में ट्रायल चल पड़ा है।अब प्रदेश सरकार का सबसे सबसे बड़ा नौकरशाह चीफ सेक्रेटरी पी मित्रा को भी कटघरे में खड़ा कर दिया है। फिलहाल पुलिस के सबसे बड़े अुसर डीजीपी संजय कुमार पर अभी कोई दाग नहीं लगा है।अन्यथा इस छोटे प्रदेश में किस तरह से राजपाट चल रहा है इसे लेकर राय बनाना मुश्किल नहीं है
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