शिमला। बल्ह बचाओ किसान संघर्ष समिति ने पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के ड्रीम प्रोजेक्ट नागचला एयरपोर्ट का विरोध करते हुए कहा है कि एसआर एशिया की ओर से बनाई गई प्रस्तावित बल्ह हवाई अड्डे की सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट जो बिना डी पी आर के बनाई है को निरस्त करने की मांग की हैं। समिति ने इस रपट को एकतरफा करार दिया हैं।
इस बावत समिति ने आज भू अर्जन एवं ज़िलाधीश मंडी के जरिए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को सौंपा। समिति के कार्यकारी अध्यक्ष प्रेम चौधरी ने दावा किया कि रिपोर्ट में यह साफ़ लिखा है कि परियोजना की डीपीआर व आर आर अभी तैयार नहीं है। एसआर एशिया के पास परियोजना को ले कर मात्र इतनी जानकारी थी कि इस परियोजना के लिए 7 राजस्व मोहाल की 2500 बीघा किसानों की भूमि और 370 बीघा सरकारी भूमि की आवश्यकता होगी जिससे 2862 परिवार प्रभावित होने हैं। इतनी जानकारी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की गई है । उन्होंने कहा कि यह इस क्षेत्र की जनता के साथ मज़ाक नहीं बल्कि हिमाचल प्रदेश भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकर और पारदर्शिता अधिकार सामाजिक समाघात निर्धारण एवं सहमति नियमए 2015 का उलंघन भी है।
समिति के सचिव नन्दलाल वर्मा ने कहा की एस आर एशिया की रिपोर्ट में सामाजिक प्रभाव आकलन रिपोर्ट पढ़कर परियोजना बनने से प्रभावित क्षेत्र की जनता को क्या मिलेगा, किसानों को कितना भूमि का मुआवजा मिलेगा, मकान जो अधिगृहित होंगे उसका कितना मुआवजा मिलेगा, जो हम रोजगार खोएंगे उसके बदले रोजगार मिलेगा कुछ भी पता नहीं चलता। इससे यह भी नहीं पता चल हमें अधिग्रहित होने वाली भूमि के बदले केवल पैसा दिया जाएगा तो कितना दिया जाएगा या अन्य जगह पर बसाया जाएगा तो कहाँ बसाया जाएगा और कैसी भूमि खेती के लिए दी जाएगी।
उनहोंने कहा कि बाढ़ ग्रस्त होने के कारण साथ लगती जमीन में जल भराव का क्या होगा बिना उपरोक्त सारी जानकारी के यह रिपोर्ट को पूर्ण केसे माना जाये प्
उन्होंने दावा किया कि यह रिपोर्ट हिमाचल प्रदेश भूमि अर्जन, पुनर्वासन और नियम 2015 के प्रावधानों का उलंघन हैं। इस कानून का सबसे प्रथम नियम है कि एसआइए में यह साबित होना है कि परियोजना सार्वजनिक उद्देश्य को पूरा करती है। लेकिन पूरी रिपोर्ट में ऐसा कोई तथ्य सामने नहीं रखा गया है। नियमानुसार प्रस्तावित भूमि अर्जन में खाद्य सुरक्षा की बावत विशेष प्रावधान दिए गये हैं जिसके अधीन सिंचित बहुफ़सली भूमि का अर्जन नहीं किया जाएगा। इसका रिपोर्ट में कोई जिक्र नहीं है। रिपोर्ट अनुसार 2862 परिवार विस्थापित होंगे और रिपोर्ट के पृष्ठ 22 में 86.80 फीसद लोगों का कहना है की बराबर मात्र में दूसरी जगह उपजाऊ जमीन दी जाए। इसके लिए ऐसी भूमि चिह्नित करनी थी उसका निरीक्षण करना था और विस्थापित लोगों की राय लेनी थी लेकिन एसआइए रिपोर्ट में ऐसा कुछ भी नहीं है। रिपोर्ट में भूमि अधिग्रहण से कितने परिवार भूमिहीन होंगे उसकी संख्या नहीं दी गई है। केवल परियोजना प्रभावित परिवारों की संख्या को शामिल किया है जिनकी भूमि जा रही है या अन्य संपत्ति जा रही है।
जबकि व्यावसायिक खेती होने से ऐसे हज़ारों लोग हैं जो दशकों से इस क्षेत्र में कृषि कार्य के लिए आते हैं। ऐसे प्रवासी मज़दूर जो बल्ह में मौसमी काम करने के लिए झारखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश से आते हैं उनका ज़िक्र तक नहीं किया गया है। ऐसे कितने परिवार हैं जो अपना रोजगार का स्रोत खो देंगे और उनको क्या मुआवजा दिया जाएगा वो रिपोर्ट में कहीं नहीं है और न हीं उन परिवारों का मत इसमें शामिल है जो अपने वन अधिकारों को खो रहे ।
यही नहीं आर्थिक लाभ व हानि विश्लेष्ण भी रिपोर्ट से गायब है।। परियोजना की लागत कितनी है यह भी रिपोर्ट में नहीं है। भविष्य में परियोजना से क्या फायदा होगा कहीं नहीं है। लोग कितने क्षेत्र में कौन सी फसल उगा रहे हैं , फसल चक्र क्या है, उत्पादन कितना है और उत्पाद की मार्केट रेट क्या है जिससे पता चलता की भूमि अधिग्रहण से स्थानीय आजीविका और उससे सकल उत्पादन और राजस्व का क्या नुकसान होगा कुछ भी नहीं है।
साथ ही बल्ह घाटी में ब्यास की सहायक नदियों सुकेती, कांसा और लोहारी बहती हैं और यह एक बाढ़ प्रभावित क्षेत्र घोषित है जो कोई औद्योगिक इकायी स्थापित करने योग्य नहीं है । इस सन्दर्भ में सरकार ने क्षेत्र के पर्यावरणीय और भौगोलिक सीमाओं को ध्यान में रखते हुए सभी विकल्पों पर विचार नहीं किया है।
उन्होंने कहा कि जब इसमें न परियोजना का बजट है न पुनर्वास और पुनर्व्यवस्थापन का बजट दिया है किन मदों पर कितना खर्च होगा तो किसानों से किस बिनाह पर और किस बात की सहमति मांगी जा रही हैं
उन्होंने कहा कि प्रस्ताबित नए एयरपोर्ट के निर्माण की आवश्यकता का आकलन मौजूद नहीं। ए हिमाचल प्रदेश में पहले से शिमला, भुंतर और धर्मशाला में तीन एयरपोर्ट मंडी से 50 किलोमीटर की हवाई दूरी के अंदर आते हैं। ऐसे में एक नए एयरपोर्ट की ज़रूरत का कोई आकलन रिपोर्ट में नहीं मिलता। इन हवाई अड्डों के विस्तार की योजनाओं पर भी विचार विमर्शध् काम शुरू किया जा चुका है। इस बाबत कोई विस्तृत विमर्श बैठक या अध्ययन का ज़िक्र रिपोर्ट में नहीं है।ऐसे में इस रपट को निरस्त किया जाए।
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