कांगड़ा।हिमाचल प्रदेश केन्द्रीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों डॉ यूसुफ अख्तर, सहायक प्रोफेसर, पर्यावरण विज्ञान स्कूल और डॉ मुश्ताक अहमद, एसोसिएट प्रोफेसर पर्यावरण विज्ञान स्कूल के नेतृत्व में शोध दल ने दावा किया है कि आण्विक स्तर पर प्रोटीन इंजीनियरिंग के माध्यम से उनके शोध में ट्राइकोडर्मा की क्षमता में वृद्धि दर्ज की गई है, जिससे बढ़ी हुई ट्राइकोडर्मिन का उत्पादन संभव हो सकेगा ।
केन्द्रीय विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक दल ने खुलासा किया कि प्रयोगशाला और फील्ड परीक्षणों के बाद यह उन्नत तकनीक फिलहाल स्थानीय किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी । उन्होंने यह भी कहा कि इस परिष्कृत और उन्नत तकनीक से रबी, खरीफ और अन्य नकदी फसलों की पैदावार में तीव्रतर गति से वृद्धि तो होगी ही, साथ ही साथ खेत में रसायनिक खादों और कीटनाशकों के प्रयोग में कमी आएगी, जिससे रसायनों के प्रयोग से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों और पर्यावरणीय प्रदूषण के दुष्परिणामों को कम किया जा सकेगा ।
हाल ही में उनका यह शोध संयुक्त राज्य अमेरिका से प्रकाशित जरनल ,जरनल ऑफ बायोमॉलेकूलर स्ट्रक्चर एंड डायनामिक्स में प्रकाशित हुआ है ।
केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो कुलदीप चंद अग्निहोत्री और प्रति.कुलपति प्रो योगिन्द्र सिंह वर्मा ने शोधकर्ताओं के संयुक्त दल के प्रयासों को अभिनंदनीय बताते हुए इस सफलता के लिए वैज्ञानिक दल को बधाई दी । स्कूल के डीन प्रो ए के महाजन ने कहा कि इस दल के निरंतर प्रयत्नों का ही यह परिणाम है ।
(1)