षिमला । मुख्यमंत्री आफिस के अधिकारियों पर जेपी कंपनी से सांठगांठ व लेनदेन का आरोप लगाते हुए माकपा ने वीरभद्र सिंह सरकार पर जिला किन्नौर में कडछम वांगतू में आंदोलनरत क्षेत्र में आपातकाल लगाने का आरोप लगाया है। माकपा नेता राकेष सिंघा ने कहा कि सरकार,पुलिस और प्रषासन जेपी के साथ मिल कर लूट करने पर उतर गए है। उन्होंने कहा कि इस दमनकारी कांड का सबसे भयानक पहलू ये है कि विधानसभा सेषन को चले हुए आज दस दिन हो गए है लेकिन किसी ने भी अब तक जुबान नहीं खोली है।
उन्होंने दावा किया कि सीएम आॅफिस के एक अफसर व जेपी कंपनी के बीच हुए लेनदेन के कुछ दस्तावेज उनके हाथ लगे है। और दस्तावेजों को एकत्रित किया जा रहा है। जैसे ही ये दस्तावेज हाथ लगेंगे माकपा उन्हें जारी कर इस गेमप्लान व लूट का भंडा फोड़ देगी। उन्होंने इस अफसर का नाम बताने से इंकार कर दिया। सिंघा ने कहा कि तीन चार दिन का समय और चाहिए। सिंघा राजधानी में माकपा के बाकी नेता संजय चैहान,टिकेंद्र पंवर,कुलदीप सिंह तंवर और जगत सिंह नेगी के साथ संवाददाता सम्मेलन में बोल रहे थे।
उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह सरकार दने धारा 144 लगा दी है और एक हजार के करीब मजदूर आसमान के नीचे जिंदगी बसर कर रही है। इन लोगों को घर नहीं जाने दिया जा रहा है। ऐसा पहले कभी नहीं हुआ। धरा 144 लगाने को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का सरेआम उल्ल्ंघन किया जा रहा है।
जेपी कंपनी का यहां पर एसजेवीएनएल से दो हजार करोडृ रुपए का टर्न ओवर है जबकि 800 से 1 हजार करोडृ रुपए का मुनाफा दांव पर लगा है। इसलिए पिछली धूमल सरकार की तरह ये वीरभद्र सिंह सरकार भी ये सुनिष्चिित करने पर आ गई है कि जेपी कंपनी का ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कैसे सुनिष्चित किया जाए। इसके लिए सरकार को जितना भी जु ल्म ढाना पडृे वो इसके लिए तैयार है। अब केवल और केवल न्यायपालिका से आस बची है।
सिंघा ने दावा किया कि आज से दस दिनों के भीतर किन्नौर का बाकी देष से संपर्क टूटने वाला है। उरनी वाला रोडृ भी सतलुज का जलस्तर बढ़ने की वजह से तबाह होने के कगार पर आ गया है।आज किन्नैर के असित्त्व का सवपाल खड़ा हो गया है। किन्नौर की जनता ,मजदूर और किसान सरकार की मिलीभगत से जेपी कंपनी की ओर से मचाई जा रहा लूट के खिलाफ आवाज उठाने पर आई तो वीरभद्र सरकार दमन पर आ गई है।
माकपा की मांग है कि यहां पर वीडियोग्राफी की जाए! उल्टे पड़ोसी राज्यों से पुलिस प्रोटेक्षन में मजदूर लाए जा रहे है और जेपी के बिजली प्रोजेक्ट को चलाने का इंतजाम सरकार कर रही है। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं में क्वालिटी कंट्रोल के लिए बिजली बोर्ड में एक विंग हुआ करती थी। वीरभ्ज्ञद्र सिंह सरकार ने उसे विंग को भी तबाह कर दिया। अब जेपी जैसी कंपनियां सेल्फ रेगुलेषन कर श्रम कानूनों का उल्लंघन कर रही है और सरकार उलंघ्घनकर्ताओं के साथ मिल गई है।
सिंघा ने इस सारे मामले की न्यायिक जांच कराने की मांग की और एलान किया कि अगर सरकार ने अपना रवैया नहीं बदला तो माकपा प्रदेष भर में आंदोलन छेड़ देंगी।सिंघा ने कहा कि कड़छम वांगतू में मजदूरों को बंधक बनाया हुआ है।इनमें से तीन मजदूर किसी तरह से छूटकर आए है और उन्होंने रामपुर की अदालत में जेपी कंपनी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अर्जी दी है।उन्होंने इसके कागजात भी मीडिया को जारी किए। इससे पहले माकपा नेता टिकेंद्र पंवर ने कहा कि इस बसके लिए वीरभद्र सिंह सरकार जेपी कंपनी को संरक्षण दे रही है।
उधर जेपी कंपनी के एडिषनल जनरल मैनेजर रिखी षर्मा ने सिंघा के सोर आरोपों को नकारते हुए कहा कि कंपनी ने 18 मार्च को ही सकुर्लर निकाल कर सभी मजदूरों को काम पर आने का आग्रह कर दिया है। जिन सात सौ मजदूरों की बात की जा रही है वो 18 तारीख को ही काम छोड़ कर चले गए है। वो कहां है इसका उन्हें नहीं पता। उन्होंने माकपा नेताओं पर इस मसले पर राजनीतिक रोटिया सेंकने का आरोप लगाया और कहा कि सिंघा जहां भी जाते है ऐसा ही करते है। उन्होंने कहा कि हड़ताल कर रहे लोग मजदूरों को काम पर नहीं आने दे रहे हैं और उनसे मारपीट कर रहे है। रामपुर की अदालत में गए मजदूरों को लेकर उन्होंने सफाई दी कि ऐसा कुछ नहीं है।उन्होंने कहा कि यहां पहले ही इंटक की यूनियन है ये यहां कहां से कूद गए।
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