शिमला । भारत की कम्युनिस्ट पार्टी ;मार्क्सवादीद्ध की राज्य कमेटी ने प्रदेश कांग्रेस सरकार का दो वर्ष का कार्यकाल को निराशाजनक करार दिया है। सामाजिक और आर्थिक क्षेत्र में सरकार पूर्व भाजपा सरकार के पदचिन्हों पर ही चल रही हैए बल्कि नवउदारवादी नीतियों को अपनाते हुए सामाजिक दायित्वों से पीछा छुड़ाने का प्रयास करती नजर आ रही है।
सीपीआईएम के राज्य सचिवालय से जारी विज्ञप्ति में सचिवालय के सदस्य टिकेंद्र पंवर ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों के प्रति जनाक्रोश के कारण सत्ता में आई कांग्रेस सरकार आम जनता की उम्मीदों पर कतई खरा नहीं उतर पाई है। पूर्व भाजपा सरकार पर प्रदेश को बड़े औद्योगिक घरानों के हाथों बेचने और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप थे।
जनता ने सरकार को इस उम्मीद से बदला था कि कांग्रेस सरकार से उन्हें राहत मिलेगी लेकिन सरकार ने इसके विपरीत नवउदारवादी नीतियों को ही और तीव्रगति से आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। रोजगार और सेवाओं में भारी कटौती के चलते हर ओर अव्यवस्था फैली हुई है। उदाहरण के लिए बर्फबारी के दो सप्ताह बाद भी विश्व विख्यात पर्यटन स्थल कुल्लू.मनाली में बिजली और पानी की आपूर्ति बहाल नहीं हो पाई है। ऐसा इसलिए हो रहा हैए क्योंकि राज्य बिजली बोर्ड में कनिष्ठ अभियंताओं के 18 प्रतिशतए क्लर्क एवं मीटर रीडरों के 54 प्रतिशत तथा टी मेट के 38 प्रतिशत पद रिक्त पड़े हैं।
आर्थिक संकटः माकपा ने कहा कि सरकार की गलत नीतियों के कारण प्रदेश की अर्थव्यवस्था आज बहुत ही संकट के दौर से गुजर रही है। प्रदेश 30, 000 करोड़ रूपये के कर्जे तले दबा हुआ है। कर्मचारियों के वेतन – भत्ते एवं पेंशन आदि के लिए भी सरकार को विभिन्न एजेंसियों से ऋण लेना पड़ रहा है। इसमें सरकार ने कर्ज लेने की अधिकतम सीमा को भी लांघ दिया है
इस समय प्रदेश देश का सबसे ज्यादा कर्जदार राज्य बन गया है। वर्ष 2012.13 में प्रदेश का कर्ज सकल घरेलू उत्पाद से 39.18 प्रतिशत था जो देश के 20.81 प्रतिशत से लगभग दुगना है। यह कर्ज प्रदेश में विकास पर होने वाले खर्च को प्रभावित कर रहा है।
माकपा ने कहा है कि सरकार लोगों को न्यूनतम रोजगार देने में भी असमर्थ हो गई है। जिस कारण बेरोजगारी तेजी से बढ़ती जा रही है। बेरोजगारी की दर वर्ष 1970 में 3.03 प्रतिशत से बढ़कर 23.13 प्रतिशत तक पहुंच गई है।1972 में रोजगार कार्यालयों में दर्ज बेरोजगारों में से 68.64 प्रतिशत को रोजगार उपलब्ध कराया गया था, जो वर्ष2011 में घट कर 0.34 प्रतिशत रह गया है। रोजगार उपलब्ध कराने में सरकार की विफलता के कारण लोगों में रोष उमड़ता जा रहा है।
पंवर ने कहा कि सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग में सहायक अभियंताओं के 21 प्रतिशत, कनिष्ठ अभियंताओं के 26 प्रतिशत तथा बेलदारों के 18 प्रतिशत पद खाली हैं। इसके इलावा पंप संचालकों के 11 प्रतिशत, सहायकों के 83 प्रतिशत, फीटर के 23 फीसदी तथा बेलदारों के 62प्रतिशत पदों को मृत वर्ग घोषित कर दिया गया है। इनमें अधिकतर कर्मचारी अगले पांच वर्षों में सेवानिवृत्त हो जाएंगे। गांवों में पानी की आपूर्ति में भारी दिक्कतें आ रही हैं। सरकार ने आठ शहरों और विभिन्न ग्रामीण क्षेत्रों में भी पानी की पंपिंग और वितरण का काम निजी ठेकेदारों को दे दिया है।
सीपीआईएम ने कहा कि सरकार समस्या का सही समाधान करने के बजाए सार्वजनिक. निजी साझेदारी ;पीपीपी के रास्ते सेवाक्षेत्र को भी निजी क्षेत्र के हवाले करने का प्रयास कर रही है। अस्पताल, सड़केंए पानी की योजनाएं लोकनिर्माण आदि इसमें शामिल हैं। इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज अस्पताल में विभिन्न टेस्टों को आउटसोर्स करना भी इसी श्रेणी में आता है। प्रदेश की लगभग बीस प्रतिशत पेयजल योजनाओं को ठेकेदारों को सौंप दिया गया हैए जबकि 1,495 एकल गांव पेयजल योजनाओं की देखभाल का जिम्मा पंचायतों को सौंपा गया है।
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