शिमला। राजधानी की विशेष अदालत ने पूर्व आईपीएस एएन शर्मा की इस्तीफे के बाद नौकरी बहाल करने के मामले में भाजपाके वरिष्ठ नेता व पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल,पूर्व चीफ सेक्रेटरी रवि ढींगरा,पूर्व गृह सचिव पी सी कपूर और नगर निगम के पूर्व कमिश्नर एएन शर्मा को सम्मन जारी कर 5 मई को अदालत में हाजिर रहने के आदेश दिए है।
इसी मामले में मोदी सरकार की ओर से तैनात राज्यपाल कल्याण सिंह व कांग्रेसराज में तैनात पूर्व राज्यपाल उर्मिल सिंह ने धूमल की अभियोजन मंजूरी को लेकरअलग अलग राय दी है। कल्याण सिंह ने चालान पेश होने के बाद सरकार से अभियोजन मंजूरी की फाइल मंगवाई और जयपुर से फाइल पर लिख कर भेज दिया कि धूमल के खिलाफ इस मामले पर्याप्त सबूत नहीं हैं और वो अभियोजन मंजूरी से इंकार करते है। अफसरों की मंजूरी पर वो पूरी तरह मौन हो गए है।
जबकि उनसे पहले इन सभी आरोपियों की अभियोजन के लिए वीरभद्र सिंह के अफसरों की ओर से अभियोजन मंजूरी के लिए भेजी फाइल को कड़ी टिप्पणी के साथ वापस सरकार को भेज दिया था। 20 जनवरी को सरकार को भेजी इस फाइल में उर्मिल सिंह ने सुप्रीम कोर्ट के फैसलों का हवाला देते हुए कहा था कि इस मामले में राज्यपाल से मंजूरी लेने की जरूरत नहीं है और जिन अफसरों ने ये फाइल उन्हें भेजी है,वो मिसकंडक्ट के दोषी है।इनके खिलाफ मेजर पेनाल्टी लगाई जाए।ये मेजर पेनाल्टी कभी नहीं लगी।अब ये मामला दिलचस्प बन गया है।
विजीलेंस ब्यूरो ने 12 मार्च को जिस दिन कल्याण सिंह ने अभियोजन मंजूरी की फाइल सरकार से मांगी थी उसी दिन अदालत में चालान पेश किया था।इस मामले में विजीलेंस ने 17 जून 2014 को एफआईआर दर्ज की थी और एसपी सोलन व मुख्यमंत्री के बेहद लाडले अफसर रमेश छाजटा ने जांच की थी।
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