शिमला।भाजपा विधायकों के भारी विरोध और नारेबाजी के बीच सरकार ने आज विधानसभा में हिमाचल प्रदेश खेल (संगमों का रजिस्ट्रीकरण, मान्यता और विनियमन) विधेयक, 2015 को पास कर दिया भाजपा विधायकों ने बिल पर चर्चा के दौरान साफ किया कि जिस मंशा से सरकार इस बिल को ला रही है वो पूरी नहीं होगी।मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने एचपीसीए को जमीन देने के मसले पर जहां धूमल पर हमला किया वहीं धूमल ने भी वीरभद्र पर निजी प्रहार किए।
इससे पहले प्रश्न काल के बाद जैसे ही बिल पर चर्चा शुरू होने लगी तो मुख्यमंत्री ने खड़े होकर बिल लाने के कारणों व उदेश्य पर रोशनी डाली।
इससे पहले बिल पर चर्चा की शुरूआत करते हुए सदन में चीफ व्हीप सुरेश भारदवाज ने इस बिल को ओलपिंक चार्टर और ओलंपिक खेलों की भावना के खिलाफ बताया और कहा कि इसे वापस लिया जाए। उन्होंने कहा कि ये बिल इन इन संघों का सरकारीकरण कर देगा जो कि न तो खेलों और न ही खिलाड़ियों के हित में है। इससे हिमाचल के खिलाड़ी अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेलों में शामिल नहीं हो पाएंगे। इसलिए पिछले 65 सालों में राष्ट्रीय स्तर पर कोई खेल बिल नहीं आया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने राजस्थान में ऐसे बिल होने का हवाला दिया हैं वहां भी ओलपिंक समिति से उन्हें नोटिस मिल चुका है। ।उन्होंने बिल को प्रवर समिति को भेजने या इसे वापस लेने की मांग की।
इसके बाद भाजप विधायक रविंद्र रवि ने बिल लाने पर सरकार की मंशा पर सवाल उठाया और कहा कि सरकार की मंशा ठीक नहीं है। यह खेल संघों पर कब्जा करने की नीयत से लाया जा रहा है। उनकी गिदददृष्टि कई संघों पर है।
बिल पर सतापक्ष की ओर से डिप्टी स्पीकर ने चर्चा में भाग लेते हुए कहा कि बिल पास होने से खेल संघों पर चंद लोगों के प्रभुत्व से छुटकारा मिलेगा।उन्होंने कहा कि बिल में चार साल के बाद चुनाव कराने का प्रावधान है। जबकि कई संघों में बीस बीस सालों से चुनाव ही नहीं हुए है। कई लोग आजीवन सदस्य बने हुए है। बिलासपुर में पूर्व धूमल सरकार के कार्याकाल में हुए प्रदेश ओलपिंक एसोसिएशन के चुनावों का हवाला देते हुए उन्होंने भाजपा सांसद अनुराग ठाकुर पर आरोप लगाया कि वो जब इसके चुनाव करवा रहे थे तो वो उनके हाथ से रजिस्टर छुड़ा कर ले गए थे। उन्होंने कहा कि इससे स्टेज मैनेजमेंट कर चुनाव करने की गलत प्रवृति पर रोक लगेगी। एचपीसीए का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इसे बीसीसीआई से सालाना बीस करोड़ का फंड मिलता है। लेकिन ये कहां खर्च हो रहा है कुछ पता नहीं है। इससे इन संघों की वितीय जवाबदेही तय की जा सकेगी व ये संघ आरटीआई के दायरे में आ सकेंगे।
भाजपा विधायक रणधीर शर्मा इस बिल को खेल विरोधी करार दिया व कहा कि इसे प्रदेश में लागू नहीं होने देंगे। उन्होंने कहा कि इस बिल को एचपीसीए पर कबजा करने के लिए लाया गया है लेकिन सरकार की मंशा पूरी नहीं होगी। इसी तरह का बिल पूर्व कांग्रेस सरकार 2005 में इसी सदन में लाई थी लेकिन सरकार को उसे 2007 में केबिनेट में वापस लेना पड़ा था। अब 2015 में इस तरह का बिल क्यों लाया जा रहा है। उन्होंने बिना कोई नाम लिए हुए कहा कि नोटिंग देख लो किसके नोट पर ये बिल लाया जा रहा है।
इस बीच कांग्रेस विधायक बंबर ठाकुर ने टोका टोकी करनी शुरू की तो भाजपा विधायक रविंद्र रवि ने बंबर की ओर मुखातिब होकर कहा कि आपको तो खुश होना चाहिए ये आपके पक्ष में बोल रहे है।बीच में कांग्रेस विधायक नीरज भारती ने टिप्पणी की व कहा कि एचपीसीए का मुख्यालय तो जालंधर में है। उनके बोलने पर भाजपा विधायकों ने आपति उठाई तो मुख्यमंत्री उठ खड़े हुए और विपक्ष की ओर मुखातिब होकर कहा कि बोले आप तमीज से बोले। भाजपा विधायकों ने कहा कि आप अपने विधायकों को तमीज सिखाएं।
रणधीर शर्मा ने भाजपा सांसद अनुराग की ओर से क्रिकेट को दिए योगदान का बखान करना शुरू किया तो मुख्यमंत्री फिर उठे और बोल पड़ें, इसके लिए सरकार ने जमीन मुफ्त दी है।उन्होंने आगे कटाक्ष करते हुए कहा कि पुत्र मांगने वाला था और पिता देने वाला था। इस पर महौल गर्मा गया और नेता प्रतिपक्ष धूमल ने पलटवार कर कहा कि एक टूर्नामेंट अपने पिता और एक माता के नाम कराने के अलावा खेलों के लिए आपका क्या योगदान है।
मुख्यमंत्री फिर बोल पड़े की जब आप सीएम थे और एचपीसीए की चीफ पैटर्न थे तब बहुत सारी सरकारी जमीन एक रुपए में एचपीसीए को दी। इस पर धूमल ने कहा कि आप जो रोहड़ू में टूनामेंट कराते है वो किसकी जमीन पर है। वो भी सरकारी जमीन है और खेल गतिविधियों के लिए सरकारी जमीन ही मुहैया कराई जाती है। एचपीसीए को जमीन दी तो क्या बुरा किया।मुख्यमंत्री ने कहा कि वो ये कहना चाहते है कि इसमें सरकार का भी योगदान है।
इस नोकझोंक के बाद चर्चा को जारी रखते हुए रणधीर शर्मा ने सतापक्ष की ओर इंगित करते हुए कहा कि आपने तो शिमला में कांग्रेस आफिस के लिए सरकारी जमीन दे दी जबकि भाखड़ा के विस्थापित जमीन के लिए तरस रहे है। इस बीच नुरपुर के विधायक अजय महाजन ने कहा कि नूरपुर के स्टेडियम पर कैसे कब्जा किया गया ।
इस पर रणधीर शर्मा ने कहा कि कुछ लोग बिलासपुर में भी बीबीएमबी की जमीन पर बने स्टेडियम को कब्जाने बाप बेटा आ गए थे। वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि इससे सरकार का हिडन् एजेंडा सामने आ गया है।
भाजपा विधायकों ने बिल को कल के और चर्चा को करने के लिए टालने का प्रयास किया। लेकिन चर्चा स्पीकर ने सतापक्ष और विपक्षके सदस्यों के बीच बहस के बाद चर्चा शुरू करा दी।
भाजपा विधायक सतपाल सती ने कहा कि जब भी प्रदेश में कांग्रेस की सरकार आती है तो खेलों का राजनीतिकरण हो जाता है।उन्होंने चर्चा में सरकार का पक्ष रखने पर डिप्टी स्पीकर जगत सिंह नेगी पर भी तंज कसा और कहा कि स्पीकर और डिप्टी स्पीकर के दो ही पद है जो पार्टी बाजी से परे होते है। लेकिन यहां पर पद की गरिमा का ध्यान नहीं रखा गया।
इस पर मुख्यमंत्री ने टोकते हुए कहा कि आप गलत बोल रहे है। उन्होंने तल्ख् लहजे में सती को कहा कि आप अपने शब्द वापस लीजिए।
इस पर सती मुख्यमंत्री से बोले कि आप तो ऐसे बवेले करते ही रहते है मुझ पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है।
इस बीच डिप्टी स्पीकर बोल उठे और तलख्ा होकर विपक्षी सदस्यों की ओर मुखातिब होकर कहा कि आप यही शब्द बाहर आकर बोलों कि मुझे मुख्यमंत्री ने बोलने के लिए इशारा किया । इस पर भाजपा विधायक भड़क उइे और सदन में सरकारी गुंड़े नहीं चलेंगे जैसी नारे बाजी शुरू हो गई। इस बीच मुख्यमंत्री ने कहा कि स्पीकर महोदय ये आपको और डिप्टी स्पीकर को सरकारी गुंडे बोल रहे है।
बाद स्पीकर ने कहा कि हम सरकारी गुंडे नहीं है और चर्चा को समाप्त कर मुख्यमंत्री को बिल पारित करने का प्रस्ताव लाने को कहा ।
लंच के बाद दोबारा सदन की कार्यवाही शुरू होने पर स्पीकर ने विधायकों से कहा कि सदन में शालीनता से बोलना चाहिए। सदन में आज सरकार के बिल को रोकने का प्रयास किया गया। मुझे लगा कि विधायक बिल को पास करने व चर्चा कराने के हक में नहीं है। आप ऐसा न समझे कि हम एक्शन नहीं ले सकते। मैं आज के रवैये का नोट लेता हूं।
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