शिमला। धर्मशाला के कारोबारी निशांत शर्मा और उनके साझेदार के डी श्रीधर के बीच विवाद को पुलिसिया अंदाज में निपटाने का प्रयास कुंडू को महंगा पड़ा गया। इस मामले में अब अंदरूनी कहानी सामने आने लगी हैं। हाईकोर्ट ने आज कुंडू की रिकाल याचिका खारिज कर दी । इस फैसले में सामने आया हैं कि संजय कुंडू को 9 क्तूबर 2023 को निशांत शर्मा के साझीदार व वकील के डी श्रीधर ने संपर्क किया था जिसकी कुंडू से पुरानी जान पहचान थी।
निशांत व श्रीधर के बीच संपति को लेकर विवाद चला हुआ हैं। श्रीधर ने कुंडू से कहा कि निशांत के साथ चल रहे कारोबारी विवाद ने बुरी शक्ल अख्तियार कर ली हैं और निशांत ने 9 अक्तूबर 2023 को लिखी ईमेल में उसके खिलाफ झूठे इल्जाम लगाए हैं। उन्होंने संजय कुंडू से निशांत शर्मा के खिलाफ कार्यवाही करने का आग्रह किया।
कुंडू की ओर से पेश हुए वकील संजय जैन ने सुनवाई वाले दिन यानी पांच जनवरी को अदालत में कहा कि गुड फेथ और पुलिस की ओर से मध्यस्थता किए जाने के सिद्धांत के तहत इस मामले में दखल दिया और जब कुंडू को समय मिला तो उसने 27 अक्तूबर 2023 को अपने निजी सचिव राकेश गुप्ता को निशांत शर्मा के मोबाइल पर लैंड लाइन से संपर्क करने के निर्देश दिए। कुंडू की ओर से अदालत में स्वीकार किया गया कि 15 मिस्ड काल जाने के बाद भी उससे संपर्क नहीं हो पाया। जैन ने कहा कि 27 अक्तूबर को दोपहर के समय डीजीपी कार्यालय में निशांत शर्मा की कॉल आई लेकिन उसने शिमला आने से यह कह कर इंकार कर दिया कि वह अपने परविार के साथ मलेशिया जा रहा हैं।
इसके बाद जैन ने कहा कि निशांत व कुंडू के बीच आत्मीय तरीके से बातचीत हुई और उसके बाद कुंडू ने कभी भी न निशांत से बात की और न ही उनकी कोई बैठक हुई।
जैन की इन बातों को निशांत शर्मा ने पूरी ताकत से विरोध किया । निशांत शर्मा अदालत में खुद अपने मामले की पैरवी कर रहे थे। निशांत शर्मा ने कहा कि के डी श्रीधर व उसका भाई सचिन श्रीधरअपने ऊंचे संपकों के जरिए उसे डीजीपी कुंडू के जरिए धमकाने की कोशिश कर रहे थे और उस पर उसकी व उसके पिता की कंपनी मैसर्स श्री चामुंडा लैबोरेटरीज एंड प्रोजेक्टस प्राइवेट लिमिटेड के शेयर बेचने का दबाव बना रहे थे।
निशांत ने कहा कि जब श्रीधर बंधु कंपनी लॉ के जरिए उसकी कंपनी पर कबजा करने में नाकाम हो गए थे तो उन्होंने उस पर उसके परिवार वालों पर गैगस्टरों से हमला करवा कर व आंतकित कर विवाद को सुलझाने की कोशिश की। इसके अलावा संजय कुंडू जैसे प्रभावशाली व्यक्ति के जरिए उसे धमकवा कर इस कंपनी के शेयर बेचने का दबाव बनवाया।
निशांत शर्मा ने कहा कि जब 27 अक्तूबर को कुंडू की उनके साथ बात हुई तो कुंडू का अंदाज धमकाने वाला था व दबाव बनाया जा रहा था कि उसे बात करने शिमला आना होगा।
खंडपीठ ने कहा कि अदालत को यह तय करना मुश्किल है कि किसकी बात सही है लेकिन यह जाहिर करना जरूरी है कि अदालतों ने बार- बार दिशा निर्देश दिएहै कि सिविल विवादों में पुलिस अधिकारी दखल नहीं दे सकते।
खंडपीठ ने कहा कि ये कैसे मान लिा जा सकता है कि संजय कुंडू जैसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी जो यह कानूनी तौर पर अच्छी तरह से जानता है कि किसी कंपनी के साझेदारों के बीच वह दखल नहीं दे सकते । ऐसे में कुंडू ने यह कैसे सोचा कि उसे श्रीधर और निशांत शर्मा के विवाद में दखल देना चाहिए और उनके विवाद को सुलझाना चाहिए।
कुंडू का यह आचार पृथम दृष्टया उनकी डयूटी के परिधि में नहीं आता हैं।
इसके अलावा केडी श्रीधर हिमाचल हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ वकील है व बेहद अनुभवी व कानून के ज्ञाता हैं। वह गरीब आदमी तो कतई भी नहीं हैं।वह कानून का सहारा लेकर निशांत व उनके पिता के साथ विवाद सुलझा सकते थे। उन्हें कुंडू के दखल की जरूरत नहीं थी।
ऐसे व्यक्ति के आग्रह पर आइपीएस संजय कुंडू का विवाद को सुलझाने का प्रयास करना प्रथम दृष्टया कुंडू की ओर से अपनी पावर और अथारिटी colorable exercise लगता हैं।
अदालत ने अपने फैसले में एसपी शिमला की 15 दिसंबर 2023 की स्टेटस रपट का जिक्र किया है जिसमें कहाहै कि के डी श्रीधर जिनका मेाबाइल की सीडीआर से पता चला कि सितंबर, अक्तूबर और नवंबर में उनकी कुंडू के नंबर पर नौ बार काल्ज हुई और 25 अक्तूबर को सबसे लंबी काल्ज 215 सेकेंड की थी। यह मैकलोड़गंज घटना से दो दिन पहले की बात हैं। ऐसे में संजय कुंडू और के डी श्रीधरके बीच तीन महीने से ज्यादा समय से बातचीत होना केवल पहचान ही नहीं दर्शाता बल्कि गहरी दोस्ती की ओर से इशारा करता हैं। एसएचओ पालमपुर संदीप शर्मा ने अपने मोबाइल नंबर से एक वाटसएप संदेश भेजा था जिसमें लिखा था “ Nishant ji, Call on this land line 01772626222, DGP Sir, wants to talk to you”
खंडपीठ ने कहा कि कुंडू ने अपनी रिकॉल याचिका में इसका जिक्र तक नहीं किया हैं। यही नहीं अपनी रिकॉल याचिका में कुंडू ने माना है कि निशांत शर्मा के होटल साइ गार्डन को नशे से जुड़ी गतिविधियां चलाने के लिए निगरानी पर रखा था। इनमें से किसी भी भी बात पर कुंडू के वकील संजय जैन ने आपति नहीं जताई।
अदालत ने कहा कि इन तमाम पहलुओं को जेहन में रखकर ही कुंडू को डीजीपी के पद से हटाने का आदेश दिया था।
अदालत ने कहा कि अदालत महज संबधित अधिकारी के रेपुटेशन को बचाने के लिए अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को नहीं भूल सकता। खंडपीठ ने कहा कि बिना निष्पक्ष जांच के निष्पक्ष ट्रायल संभव नहीं हैं।
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