शिमला।सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री धनी राम शांडिल ने बुधवार को यहां हिमाचल प्रदेश पर विश्व बैंक रिपोर्ट ‘स्केलिंग द हाईट्सः सोशल इंक्लयूजन एण्ड सस्टेनेबल डेवलपमेंट’ जारी की।रिपोर्ट में बताया गया है कि हिमाचल प्रदेश ने आर्थिक उन्नति के साथ सामाजिक समावेश का प्रभावी संतुलन किया है। प्रदेश ने चरम गरीबी को कम करने में शानदार प्रगति की है और देश भर में बेहतर मानवीय विकास परिणामों के दृष्टिगत अग्रणी राज्यों में एक बन कर उभरा है। रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदेश, देश भर में शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठ राज्यों में शुमार है, जबकि यहां गरीबी संख्या राष्ट्रीय औसत के लगभग एक तिहाई है।
प्रदेश में जीवन प्रत्याशा अन्य भारतीय की औसत जीवन प्रत्याशा से 3.4 वर्ष अधिक है। इसके अतिरिक्त, प्रदेश प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश भर में दूसरे स्थान पर है। रिपोर्ट के अनुसार, अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति जैसे वंचित तबकों की आबादी में 30 प्रतिशत की भागीदारी है, परन्तु यहां अन्तर समूह असमानताएं कम हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, हिमाचल प्रदेश पर्यावरण चेतना की भावना के प्रदर्शन में कई अन्य राज्यों से आगे है। प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी उल्लेखनीय कार्य हुआ है और यहां ग्रामीण क्षेत्रों में 63 प्रतिशत महिलाओं ने स्वयं के रोजगारयुक्त होने की सूचना दी है तथा प्रदेश, 27 फीसदी की अखिल भारतीय औसत की तुलना में काफी अच्छी स्थिति मेें है।
इस अवसर पर शांडिल ने हिमाचल प्रदेश में आर्थिक उन्नति का गरीबी और सामाजिक मुद्दों पर प्रभाव पर व्यापक रिपोर्ट तैयार करने के लिए विश्व बैंक की टीम के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रदेश गरीबी कम करने में सफल रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश लिंग, जाति या शहरी व ग्रामीण भेदभाव के बिना विभिन्न समूहों में सामाजिक समावेश पर बल देते हुए समृद्धि के सहभाजन में अग्रणी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य मानकों में प्रदेश का प्रदर्शन अन्य राज्यों के मुकाबले कहीं बेहतर है।
उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र की सहभागिता विशेषकर उद्योगों एवं पर्यटन के क्षेत्र में सहभागिता के परिणामस्वरूप कृषि आधारित आर्थिकी को विविधतायुक्त आर्थिकी में परिवर्तित करने में सफलता मिली है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में शीघ्र भू-सुधारों से भूमि के संबंध में असमानता को कम किया है, जिससे सामाजिक समावेश को बढ़ावा मिला है, क्योंकि इन कानूनों से प्रदेश के लोगों के हितों की रक्षा हुई है।
शांडिल ने कहा कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग प्रदेश में जनसंख्या के एक बड़े तबके की सहायता में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। विभाग ने महिला सशक्तिकरण के लिए विभिन्न कार्यक्रम आरम्भ किए हैं और उन्हें विभिन्न योजनाओं के अन्तर्गत वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जा रही है। प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न श्रेणियों में लगभग 3.05 लाख लोगों को सामाजिक सुरक्षा पैंशन उपलब्ध करवाने के लिए प्रति वर्ष 235 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं। विद्यार्थियों के लिए विभिन्न छात्रवृत्ति योजनाएं आरम्भ की गई हैं, जिनमें कौशल विकास योजना भी शामिल है।
अतिरिक्त मुख्य सचिव तरूण श्रीधर ने कहा कि हिमाचल प्रदेश विभिन्न राष्ट्रीय कार्यक्रमों को लागू करने में अग्रणी है और प्रदेश सरकार अधोसंरचना विकास पर विशेष बल दे रही है। प्रदेश सरकार द्वारा प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए एक योजना तैयार की गई है, जिसे केन्द्र सरकार द्वारा सराहा गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों के ईमानदार व मेहनतकश स्वभाव इस पहाड़ी राज्य को विकास पथ पर अग्रसर करने में सहायक रहा है। उन्होंने विश्वास की संस्कृति को जीवित रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
विश्व बैंक के दक्षिण एशिया क्षेत्र के कार्यक्रम प्रमुख जाॅन बलौमक्विस्ट ने कहा कि हिमाचल प्रदेश की छवि एक स्थिर, समावेशी, जोड़ने वाले और सुशासित प्रदेश के तौर पर है और प्रदेश कई मामलों में उत्तरी भारत के अन्य राज्यों से अलग है। उन्होंने कहा कि प्रदेश ने शानदार मानवीय विकास परिणामों के साथ असाधारण प्रगति की है। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों में प्राप्त उपलब्धियों के लिए प्रदेश की सराहना करते हुए कहा कि विश्व बैंक द्वारा हिमाचल के लिए तैयार यह रिपोर्ट अपनी तरह की पहली रिपोर्ट है।
विश्व बैंक के जी.एस.यू.आर.आर. की अग्रणी सामाजिक विकास विशेषज्ञ श्रीमती मैत्रेयी दास, जिन्होंने यह रिपोर्ट तैयार की है, ने कहा कि हिमाचल प्रदेश गरीबी में कमी लाने, सेवाओं की डिलीवरी और मानवीय एवं सामाजिक विकास परिणामों में अपने मजबूत ट्रैक रिकाॅर्ड के साथ कई अन्य राज्यों से आगे है।
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